Monday, 11 April 2022

इस्लाम मैं साली का रिश्ता कितना पाक, मुस्लिम को अपनी नफ़्स पर काबू करना चाहिए...?

एस एम फ़रीद भारतीय 
दुनिया में इंसान के वजूद को बाकी रखने के लिए अल्लाह के कानून के मुताबिक दो मुखालिफ जिन्स का आपस में मिलना ज़रूरी है लेकिन इसी कानून के मुताबिक कुछ ऐसे भी इंसान होते हैं जिनका जिन्सी तौर पर आपस में मिलना कानूने खुदा के ख़िलाफ़ है ।

एक आयत मैं- चुनाँचे अल्लाह रब्बुलइज्जत इरशाद फ़रमाता है : 

तर्जमाः हराम हुईं तुम पर तुम्हारी माऐं और बेटियाँ और बहनें और फूफियों और खलाऐं और भतीजियाँ और भाँजियाँ और तुम्हारी माऐं जिन्होंने दूध पिलाया और दूध की बहनें और तुम्हारी ) औरतों की माऐं । ( तर्जमा कंजुलईमान पारा -4 सूरह निसा रुकूअ -15 | ( आयत -23 ) 

कुरआन करीम की इस आयते करीमा से मालूम हुआ कि माँ , बेटी , बहन , फूपी , खाला , भतीजी , भाँजी , दादी , नानी , पोती , नवासी , सगी सास वगैरा से Nikah करना हराम है.

माँ बहन बेटी से निकाह करने के मसले...?
मसला : माँ सगी हो या सौतेली , बेटी सगी हो या सौतेली , वहन सगी हो या सौतेली , इन तमाम से निकाह हराम है । इसी तरह दादी , परदादी , नानी , परनानी , पोती , परपोती , नवासी , परनवासी , बीच में चाहे कितनी ही पुश्तों का फ़ासिला हो इन सब से निकाह करना हराम है.

मसलाः जिना से पैदा हुई बेटी , उसकी नवासी उसकी पोती इन तमाम से भी निकाह करना हराम है.
( बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा 7 सपहा - 14 + कानूने शरीअत जिल्द -2 सहा -47 ) 

हज़रत उमरा बिन्त अब्दुर्रहमान व हजरत मौला अली ( रजि . ) से रिवायत है कि सरकारे मदीना ( स.अ. ) ने इरशाद फरमाया : 

तर्जमा : रज़ाअत ( दूध के रिश्तों ) से भी वही रिश्ते हराम हो जाते हैं जो विलादत से हराम होते हैं । 
( बुखारी शरीफ जित्द -3 हदीस -90 सपहा -62 तिमिजी शरीफ जिल्द -1 हदीस -1144 सपहा 587 ) 

यानी किसी औरत का दूध बचपन में पिया तो उस औरत से माँ का रिश्ता काइम हो जाता है । अब उसकी बेटी बहन है । उससे Shadi हराम है । हासिले कलाम ये कि जिस तरह सगी माँ के जिन रिश्तेदारों से शरीअत में निकाह हराम है उसी तरह उस दूध पिलाने वाली औरत के उन रिश्तेदारों से भी निकाह करना हराम है ।

मसला : 
 शादी हराम होने के लिए ढाई बरस का ज़माना है । काई औरत किसी बच्चे को ढाई बरस के अन्दर अगर दूध पिलाएगी तो हुरमत ( यानी शादी हराम होना ) साबित हो जाएगी । और अगर ढाई बरस की उम्र के बाद पिया तो हुरमत साबित नहीं होगी । ( यानी शादी करना हराम है ) 
( बहारे शरीअत जिल्द -1 हिस्सा - 7 , सपहा - 19 , कानूने शरीअत जिल्द 2 , सपहा 50 ) 

हज़रत अबूहुरैरा ( रजि . ) से रिवायत है कि सय्यदे आलम ( स.अ.व. ) ने इरशाद फरमाया : 

तर्जमा : कोई शख्स अपनी बीवी के साथ उसकी भतीजी या भाँजी से शादी न करे । 
( बुखारी शरीफ जिल्द 3 बाब 57 हदीस -98 सपहा 66 + मुस्लिम शरीफ जिल्द 1 सपहा 452 ) 

मसला : 
औरत ( बीवी ) की बहन चाहे सगी हो या रज़ाई ( यानी दूध शरीक ) हो । बीवी की ख़ाला या फूफी चाहे सगी हो या रज़ाई । इन सब से भी बीवी की मौजूदगी में Vivah हराम है । 

अगर बीवी को तलाक दे दी तो जब तक औरत की इद्दत ख़त्म न हो उसकी बहन , फूफी ख़ाला वगैरा से निकाह नहीं कर सकता । 
( कानूने शरीअत जिल्द 2 सपहा 48 ) 

हदीस हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ( रजि . ) से इमाम बुखारी ( रजि . ) रिवायत करते है : 

तर्जमा : चार से ज्यादा बीवियाँ इसी तरह हराम हैं जैसे आदमी की अपनी बेटी और बहन । 
( बुखारी शरीफ जिल्द 3 बाब 54 सपहा -64 ) 

मसला : 
जिसमें मर्द और औरत दोनों की अलामतें पाई जाऐं । और ये साबित न हो कि मर्द हैं या औरत तो उसे न मर्द का निकाह हो सकता है , न ही औरत का अगर किया गया तो महज़ बातिल है ( यानी निकाह ही न होगा ) 
( बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा -7 सपहा- 6 ) 

ऐसा शख्स जो शराबी हो या और किसी तरह का नशा करता हो उससे भी रिश्ता नहीं करना चाहिए । 

हुजूर अकरम ( स.अ.व. ) इरशाद फरमाते हैं : " शराबी के निकाह में अपनी लड़की न दो शराबी बीमार पड़े तो उसे देखने न जाओ । 

उस जात की कसम जिसने मुझे नबीए बरहक़ बना कर भेजा शराब पीने वाले पर तमाम आसमानी किताबों में लानत आई है । 
( गुनयतुत्तालिबीन सपहा - 162 ) 

हज़रत इमाम अबूलैस समरकंदी ( रजि . ) अपनी सनद के साथ अपनी तस्नीफे लतीफ " तंबीहुलगाफुलीन " में रिवायत करते हैं : " बाज़ सहाबाए इकराम से रिवायत है कि जिसने अपनी बेटी का Shaid शराबी मर्द से किया तो उसने उसे जिना के लिए रुख्सत किया । 

मतलब ये कि शराबी आदमी नशे में बकसरत तलाक का जिक्र करता है जिससे उसकी बीवी उस पर हराम हो जाती है । " 
( " तंबीहुलगाफलीन " सपहा - 169 ) 

काफिर व मुशरिक मर्द या औरत से मुसलमान मर्द या औरत का शादी करना हराम है । 

आयतः अल्लाह रब्बुलइज्ज़त इरशाद फ़रमाता है :

तर्जमाः और मुशरिकों के निकाह में न दो जब तक वह ईमान न लाऐं 
( तर्जमा कंजुलईमान पारा 2 सूरह बकरा रुकूअ - 11 आयत -221 ) 

मसला : मुसलमान मर्द का मजूसी ( आग की पूजा करने वाली ) बुत परस्त , सूरज को पूजने वाली , सितारों को पूजने वाली इन तमाम में से किसी भी औरत से शादी नहीं होगा । 
( बहारे शरीअत जिल्द - 1 हिस्सा- 7 सपहा - 17 ) 

आज के इस दौर में अक्सर हमारे मुस्लिम नौजवान काफ़िरा मुशरिका औरतों से निकाह करते हैं और निकाह के बाद उन्हें मुसलमान बनाते हैं । ये निहायत ही गलत तरीका है और शरीअत में हराम है । अव्वल तो निकाह ही नहीं होता क्योंकि निकाह के वक्त तक लड़की कुफ्र पर काइम थी, लिहाज़ा सिरे से निकाह ही न हुआ, पहले उसे मुसलमान किया जाए फिर निकाह किया जाए.

याद  रखये ! काफिरा व मुशरिका औरत से मुसलमान कर के शादी करना जाइज़ तो है लेकिन ये कोई फर्ज़ या वाजिब नहीं बल्कि बाज़ रिवायतों के मुताबिक हुजूरे अकरम ( स.अ.व. ) ने उसे पसंद भी नहीं फ़रमाया । उसकी बहुत सी वुजूहात उलमाए कराम ने बयान फ़रमाई हैं जिनमें से चंद ये हैं : 

( 1 ) जिस मुस्लिम औरत से आप ने शादी की अगरचे वह मुसलमान हो गई लेकिन उसके सारे मैके वाले काफिर हैं और अब चूँकि वह आप के रिश्तेदार बन चुके हैं । 

इसलिए आपकी औरत और खुद आपको उनसे तअल्लुकात रखने पड़ते हैं और फिर आगे चल कर मुख्तलिफ़ बुराईयाँ जन्म लेती हैं और नए नए इख़्तिलाफात पैदा होते हैं । 

( 2 ) औरत के नौ मुस्लिम होने की वजह से औलाद की तरबीयत ख़ालिस इस्लामी ढंग से नहीं हो पाती है । 

( 3 ) अगर मुसलमान मर्द का काफिर लड़कियों से निकाह करेंगे तो कुवाँरी मुस्लिम लड़कियों की तदाद में इजाफा होगा ।

मुस्लिम लड़कों की किल्लत होने लगेगी और मुस्लिम लड़कियों को बड़ी उम्र तक कुवाँरी रहना पड़ेगा और ज़्यादा उम्र तक कुवाँरी जिन्दगी नई नई बुराईयों के जन्म का सबब बनेगी । 

( 4 ) दीने इस्लाम में मुशरिकाना रसमों का रिवाज पड़ेगा । में इस तरह की सैंकड़ों बातें हैं जिन्हें यहाँ बयान करना मुमकिन नहीं हासिल ये कि काफ़िरा व मुशरिका लड़की या औरत से शादी न करे यही बेहतर है । इससे दीन व दुनिया का बड़ा नुक्सान है । 

इसलिए अल्लाह तआला ने जहाँ मुशरिक औरतों को मुसलमान कर के निकाह की इजाज़त दी वहीं मोमिन लौंडी से निकाह को ज़्याद बेहतर बताया ये बनिस्बत इसके कि मुशरिका व काफिरा औरत से निकाह किया जाए । 

अक्सर मुसलमान लड़के गैर मुस्लिम लड़की से मुहब्बत करते हैं । मुसलमान लड़के से पहले मुहब्बत और फिर शादी करने वाली लड़कियाँ अक्सर साथ नहीं निभाती हैं 

और ज़रा सी अन बन हो जाने पर " हिन्दू मुस्लिम तफरीक का बखेरा खड़ा करने की कोशिश करती हैं लेकिन जो औरत या लड़की पहले इस्लाम से मुतासिर हुई , उसे प्यार व मुहब्बत या शादी की कोई लालच नहीं । 

थी और उसे दीन इस्लाम पर काइम हुए एक अर्सा गुज़र गया । ऐसी लड़की या औरत से जरूर निकाह कर लेना चाहिए ताकि इस्लाम कुबूल करने पर कुवाँरगी की सज़ा का ताना उसे गैर मुस्लिम न दें.

ये थी क़ुरआन और हदीस से साबित हदीसें.

शादी के बाद न सिर्फ महिला बल्कि पुरुष को भी अपने ससुराल से संबंधित रिश्तों को काफी सावधानी के साथ निभाना पड़ता है। कोई एक छोटी सी बात भी इन रिश्तों को आसानी से बिगाड़ सकती है। एक बार ऐसा हुआ, तो फिर लाख कोशिश करने के बाद भी इन रिलेशन्स में वो पुरानी बात नहीं रह जाती। खासतौर से जब बात पत्नी की जवान बहन को लेकर हो, तब तो जीजा को अपनी कही बातों से लेकर अपने बर्ताव को लेकर और भी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शादी के बाद के सभी रिश्तों में से यह रिश्ता कई ऐंगल्स से काफी सेंसेटिव होता है। हम बता रहे हैं, ऐसी ही 5 बातें जिन्हें जीजा-साली के रिश्ते में अपनाना बेहद जरूरी है ताकि रिश्ते की गरिमा बरकरार रहे.

अपनी साली से हमेशा फिजिकली उचित दूरी बनाए रखें। आपके मन में भले ही ऐसी कोई भी भावना न हो, लेकिन इस तरह की दूरी को मेनटेन करना बेहद जरूरी है, क्योंकि वह एक यंग लेडी है और उसे नजदीकी अनकंफर्टेबल कर सकती है। यह छोटी सी चीज कई मायनों में आप दोनों के रिश्ते को कभी भी नॉर्मल नहीं होने देगी और अगर ऐसा हुआ, तो जाहिर सी बात है कि किसी को भी यह पसंद नहीं आएगा.

आप अपनी पत्नी और साले के साथ जितना मर्जी मजाक कर लें, लेकिन जब बात साली की हो, तो ऐसा करने से पहले 50 बार सोच लें। आपके रिश्ते कितनी ही अच्छे क्यों न हों, लेकिन मजाक या टीज करने के दौरान सीमा न लांघें। यह सीमा जरा सी भी टूटी, तो इससे एक पल में रिश्तों में खटास आ सकती है। वह भले ही उस दौरान कुछ न कहे, लेकिन उसके मन में आपके लिए वैसा सम्मान नहीं रह जाएगा, जैसा पहले रहा होगा। इस वजह से वह आपके सामने आने तक से कतराने लगेगी।

आप भले ही साली को अपनी छोटी बहन जैसा ट्रीट करते हों, लेकिन यह न भूलें कि आप वास्तव में उनके भाई नहीं हैं। बेहतर है कि उनकी पर्सनल लाइफ में झांकने से पहले, यह बात खुद को बार-बार ध्यान दिलाएं। ऐसा भी हो सकता है कि पत्नी आपके साथ अपनी बहन की लाइफ को लेकर चीजें शेयर करें, तब आप जरूर अपनी राय जाहिर कर सकते हैं, लेकिन यह राय भी सिर्फ पत्नी तक ही सीमित रखें और साली को सीधे कुछ भी कहने से बचें।

क्या आपको अपनी साली से जुड़ी किसी बात को लेकर टेंशन है या फिर पसंद नहीं आई है? अगर हां, तो अपनी पत्नी को इस बारे में बताएं। पत्नी सही मौका पाने पर अपनी बहन को सही रूप में चीजों को कन्वे कर सकेगी, जो रिश्तों को खराब होने से बचाएगा।

इसी तरह साली आपको किसी बात को लेकर कॉल करे और कहे कि आप अपनी पत्नी को वह बात न बताएं, तो उनकी सलाह न मानें। सबसे अच्छा यही है कि आप अपनी पत्नी से साली से जुड़ी सभी चीजें शेयर करें ताकि भविष्य में अगर इस बात को कोई मुद्दा बनाने की कोशिश करे, तो आपके पार्टनर को सच्चाई पता हो और आपकी गैर-मौजूदगी में भी वह आपका साइड ले सकें।

अपनी साली के साथ अकेले ज्यादा न तो कहीं जाएं और ना ही उनके साथ ज्यादा अकेले रहें दरअसल, इस स्थिति में आपकी पत्नी भले ही कंफर्टेबल हो, लेकिन आसपास वाले कॉमेंट करने से बचेंगे नहीं, इनमें दोस्तों से लेकर रिश्तेदार तक शामिल हो सकते हैं, जो तरह-तरह की बातें बनाकर जीजा-साली के रिश्ते को गॉसिप का विषय बना सकते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए बेहतर यही है कि आप ज्यादा साथ में न रहें, क्यूंकि एक निकाह मैं दो सगी बहने नहीं रह सकती, इसलिये साली का रिश्ता बीवी के रिश्ते से पाक है, बहन के साथ सिर्फ़ ज़िना होगा जबकि साली के साथ ज़िना भी और बीवी निकाह से बाहर...!!

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