Monday 6 June 2022

लोकतंत्र क्या है एक नज़र...?

एस एम फ़रीद भारतीय
लोकतंत्र दुनियां के ईसाई और यहूदियों की मिलकर सोची समझी साजिश है, पहले अंग्रेज बनकर राजा और बादशाहों वाले मुल्कों पर एक कम्पनी बनाकर छल बल से हुकूमत की, उसके बाद मुल्कों को लूटा और जब लूट का जनता ने विरोध किया तब मुल्कों को आज़ाद कर लोकतांत्रिक तरीके के नाम पर अपने इशारों पर नाचने वाले हुकुमरानों को बिठा दिया, वहां भी सियासत भरी चाल ये चली जाती थी कि जो इश३रे पर नाचने वाले होते थे, वही अंग्रेज़ी हुकूमतों कि विरोध कर उन मुल्कों की जनता का दिल जीत लिया करते और जब अंग्रेज़ मुल्क को आज़ाद करते उसके बाद भी कानून और मर्ज़ी इन्ही की चला करती.

दुनियां के कई मुल्क ऐसे हैं जिनपर अंग्रेज़ों ने हुकूमत की और बाद मैं आज़ादी के नाम पर अपनी कठपुतली बना लिया, नतीजा और वजह क्या थी, क्यूंकि अंग्रेज़ जान चुके थे कि हम किसी भी हालत मैं हिंदू और मुसलमानों से ज़मीनी जंग नहीं जीत सकते, माल के साथ जानी नुकसान भी उठाना पड़ता है और अंग्रेजों को मौत से बहुत डर लगता है, यही इतिहास है और कड़वा सच भी यही है.

जहां अंग्रेजों ने देखा कि सामने वाला ज़ालिम है और हमारे काबू से बाहर है तब इन्होने सोने के बल पर अपने दुश्मन से भी समझौता करने मैं कोई कमी नहीं रखी, सोने के साथ कुछ छूट भी दिया करते और सही वक़्त का इंतज़ार उसको शिकस्त देने के लिए नये दुश्मन से हाथ मिलाकर उसके सफ़ाये के लिए किया करते थे.

ख़ासकर ये मुस्लिमों से बहुत दहशत खाया करते थे, लेकिन जब मंगोलों से इनको जान बचाना मुश्किल हो गया तब इन्होनें मुसलमानों से हाथ मिलाया और नतीजा ये हुआ कि वहशी दरिंदे मंगोलों का मुसलमानों ने नामो निशान मिटा दिया, उसके बाद इनकी लड़ाई शुरू हुई मंगोलों का ख़ात्मा करने वाले मुसलमानों से, इन्होने अपने सोने चाँदी के सिक्कों के बल पर मुसलमानों मैं गद्दार पैदा किये कुछ तो सच मैं मुसलमान थे और कुछ ऐसे थे जो ईमान लाने ता नाटक कर इस्लाम मैं शरीक हुए और इनके लिए जासूसी करते रहे.

ये मैं नहीं कह रहा इनका इतिहास कह रहा है, ये लोग भारत तो सिर्फ़ यहां की चमक को देख लूटने के इरादे से आये थे, ये भी इतिहास मैं दर्ज है कि इन दोनों धर्म के लोगों ने कभी दुनियां को अमन चैन से नहीं रहने दिया, हमेशा ही दुनियां मै ये उथल पुथल मचा ते रहे, जिससे भी भविष्य मैं इनको डर सताया उस हुकूमत रा इन दोनों ने मिलकर ख़ात्मा करने मैं कोई कमी नहीं की, यही वजह है हिटलर ने इनकी चालों को समझकर इनके ख़ात्मे ता क़दम उठाया और लाखों यहूदियों का कत्ल करने के बाद कुछ को जब छोड़ा तो कहा कि इनको इसलिए छोड़ रहा हुँ कि जब इनकी हरकत सामने आयेगी तब लोग कहेंगे कि हिटलर सही था...!

अब इनका रचा जाल लोकतंत्र, इसके बारे मैं मुम्बई हाईकोर्ट के वकील क्या कहते हैं जाने और समझें...?

*मुम्बई हाइकोर्ट के सीनियर वकील डी के श्रीवास्तव द्वारा लिखी इस पोस्ट से आप के ज्ञान में वृद्धि होगी।*

यह पोस्ट देश के कोने कोने में पहुंचना चाहिए
             *क्या भारत का सिस्टम*
        *आम जनता को धोखा देता है ?*

आप खुद देखिये....
   
1- नेता चाहे तो दो सीट से एक साथ चुनाव  
     लड़ सकता है ! लेकिन....
     आप दो जगहों पर वोट नहीं डाल सकते,

2-आप जेल में बंद हो तो वोट नहीं डाल 
     सकते..लेकिन
     नेता जेल में रहते हुए चुनाव लड़ सकता है.

3-आप कभी जेल गये थे, तो
    अब आपको जिंदगी भर
     कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी,

लेकिन……
नेता चाहे जितनी बार भी हत्या या बलात्कार के मामले में  जेल गया हो, फिर भी वो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति जो चाहे बन सकता है,

4-बैंक में मामूली नौकरी पाने के लिये
आपका ग्रेजुएट होना जरूरी है..

लेकिन,
नेता अंगूठा छाप हो तो भी भारत का फायनेन्स मिनिस्टर बन सकता है।

5-आपको सेना में एक मामूली
सिपाही की नौकरी पाने के लिये डिग्री के साथ 10 किलोमीटर दौड़ कर भी दिखाना होगा,

लेकिन....
नेता यदि अनपढ़-गंवार और लूला-लंगड़ा है
तो भी वह आर्मी, नेवी और एयर फोर्स का चीफ यानि डिफेन्स मिनिस्टर बन सकता है

और
जिसके पूरे खानदान में आज तक कोई स्कूल नहीं गया.. वो नेता देश का शिक्षामंत्री बन सकता है

और
जिस नेता पर हजारों केस चल रहे हों..
वो नेता पुलिस डिपार्टमेंट का चीफ यानि कि गृह मंत्री बन सकता है.

यदि
आपको लगता है कि इस सिस्टम को बदल देना चाहिये..
नेता और जनता, दोनों के लिये एक ही कानून होना चाहिये..
तो
इस संदेश को फॉरवर्ड करके देश में जागरुकता लाने में अपना सहयोग दें..

अगर फॉरवर्ड नहीं किया तो आप किसी भी नेता को दोषी मत कहना ....,
नहीं किया तो नुकसान का जिम्मेदार आप खुद होगें।

सरकारी कर्मचारी 30 से 35 वर्ष की संतोषजनक सेवा करने के उपरांत भी पेंशन का हकदार नहीं ? जब कि मात्र 5 वर्ष के लिए विधायक / सांसद को पेंशन यह कहाँ का न्याय है...?

श्री डी के श्रीवास्तव
मुख्य सरकारी वकील
मुंबई उच्च न्यायालय.
मुंबई.....
इस मुहिम को आगे बढायें.

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