Sunday, 12 June 2022

तुर्की ने अपना नाम बदला हुई दुनियां मैं हलचल वजह क्या है...?

एस एम फ़रीद भारतीय 
दोस्तों, जैसा कि आपने सुना या पढ़ा होगा तुर्की ने अपना नाम तुर्कीये, तुर्कीय या तुर्किए कर लिया है और ये तुर्की ने यूएनओ से गुज़ारिश की थी कि वो अपने नाम को तुर्की से तुर्कीय करना चाहता है लिहाज़ा अब उसका नाम यूएनओ मैं तुर्कीय ही लिखा जाये, इसे यूएनओ ने कबूल कर लिया, इसके बाद दुनियां के विध्वानो मैं एक बहस शुरू हो गई, कि तुर्की ने ऐसा क्यूं किया है.

बीबीसी ने कहा कि हालांकि सरकारी अधिकारी इसका समर्थन करते हैं. लेकिन बहुत से लोगों का कहना है कि यह 'बेचैनी' है क्योंकि आर्थिक संकट से जूझने के बावजूद राष्ट्रपति अगले साल होने वाले चुनावों की तैयारी कर रहे हैं.

हालांकि देशों का नाम बदलना कोई बहुत अधिक आश्चर्य की बात नहीं है.

इससे पहले साल 2020 में द नीदरलैंड ने रिब्राडिंग के तहत हॉलैंड नाम छोड़ दिया था.

इसके पहले मेसिडोनिया ने ग्रीस के साथ राजनीतिक विवाद की वजह अपना नाम बदलते हुए, उत्तरी मैसेडोनिया कर लिया. इसके अलावा स्वाज़ीलैंड ने साल 2018 में नाम बदलकर इस्वातिनी कर लिया था.

अगर इतिहास में देखें तो ईरान को पहले पर्सिया कहा जाता था. सियाम अब थाइलैंड बन चुका है और रोडेशिया बदलकर ज़िम्बॉब्वे हो गया.

जनसत्ता कहता है कि एशिया और यूरोप में पड़ने में वाला एक मात्र देश तुर्की अब तुर्किए नाम से जाना जाएगा। देश का नाम बदलने के लिए राजधानी अंकारा की ओर से भेजे गए अधिकारिक अनुरोध को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने मंजूरी दे दी है। तुर्की की रीब्रांडिंग करने के लिए पिछले साल राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) की ओर से एक कैंपेन लॉन्च किया गया था, जिसके बाद सरकार दस्तावेजों और तुर्की के लोगों की ओर से तुर्किए शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। यानि अब तुर्की को अधिकारिक रूप से तुर्किए कहा जायगा। सरकार ने देश में बने सामान पर ‘Made in Turkey’ की जगह ‘Made in Türkiye’ लिखने का आदेश भी दे दिया है।

एक पक्षी के कारण बदलना पड़ा नाम: तुर्की से तुर्किए किये जाने की बड़ी वजह एक पक्षी को माना जा रहा है, जिसका नाम टर्की (Turkey) है। इस पक्षी को बड़ी संख्या में नार्थ अमेरिकी लोगों के द्वारा थैंक्स गिविंग डे या फिर क्रिसमस पर खाया जाता है जो तुर्की लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसे तुर्की का नाम बदलने के पीछे का एक बड़ा कारण माना जा रहा है.

ज़ी न्यूज़ कहता है कि नये  नाम के प्रचार के लिए सरकार चला रही है मुहिम 
तुर्की के संचार निदेशालय ने कहा है कि उसने अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर देश के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नाम के रूप में तुर्किये के उपयोग को और अधिक प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के लिए मुहिम शुरू किया है. तुर्की के राष्ट्रीय प्रसारक टीआरटी वर्ल्ड ने देश का नाम बदलने के पक्ष में दलील दी है कि तुर्क अपने मुल्क को “तुर्किये“ कहलाना पसंद करते हैं औश्र वह चाहते हैं कि दुनिया के बाकी लोक भी तुर्की को तुर्किये नाम से ही जानें. 

क्या होता है तुर्की का मतलब ?
तुर्की का जो अभी नाम है, उसके कई मतलब होते हैं. हालांकि इसके ये अर्थ अच्छे नहीं है, वह थोड़े नकारात्मक हैं. तुर्की यानी इंगलिश में इसका उच्चरण टर्की होता है और इसका मतलब बेवकूफ या मूर्ख व्यक्ति होता है. इसा इस्तेमाल नाकामी के तौर पर भी किया जाता है. वहीं टर्की नाम का एक पक्षी भी होता है. भारत में इस तीतर के नाम से जानते हैं. उत्तरी अमेरिका में क्रिसमस के मौके पर या फिर किसी पार्टी में इसका मांस परोसने और खाने का चलन है. इसलिए टर्की अपने इस नाम को बदलकर तुर्की भाषा के हिसाब से इसका नाम रखना चाह रहा था.  

आजतक कहता है कि बुधवार को संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की का नाम बदलकर तुर्किए (Turkiye) करने के फैसले को मंजूरी दे दी. तुर्की को अब तुर्किए नाम से जाना जाएगा. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने पिछले दिसंबर में अपना रिब्रांडिंग कैंपेन चलाया था. देश का नाम बदलने को लेकर एर्दोआन ने कहा था कि तुर्किए तुर्की के लोगों की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व और अभिव्यक्ति है.

तुर्की की भू-राजनीतिक भूमिका बढ़ती जा रही है. इसे देखते हुए तुर्की अपनी छवि को लेकर और अधिक सचेत हो गया है. राष्ट्रपति एर्दोआन इस बात को लेकर अब अधिक संवेदनशील दिखते हैं कि तुर्की को विश्व में कैसे देखा जा रहा है. अपनी राष्ट्रवादी प्रवृति के कारण उन्हें ये रास नहीं आया कि उनके देश का नाम तुर्की (तुर्की में लोग अपने देश को टर्की कहते हैं) टर्की नामक एक चिड़िया से मेल खाता है.

टर्की चिड़िया का नाम तुर्की के नाम पर ही रखा गया है. इन पक्षियों को सबसे पहले तुर्की से यूरोप लाया गया था.

एर्दोआन के रिब्रांडिंग कैंपेन के दौरान ही तुर्की के सरकारी चैनल टीआरटी वर्ल्ड ने देश के नाम को तुर्किए कहना शुरू कर दिया था. नाम बदलने के पीछे कारण ये दिया गया था कि कैंब्रिज डिक्शनरी में टर्की/तुर्की का अर्थ पराजित या बेवकूफ होता है.

नवभारत ने लिखा तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने दिसंबर में अपने देश के लोगों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर भाषा में तुर्किए नाम इस्तेमाल करने को कहा था। तब एर्दोगन ने कहा था कि तुर्किये को हर देश मानता है। तुर्किये तुर्की लोगों की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है। इसके अतिरिक्त एर्दोगन ने कंपनियों से कहा था कि वे निर्यात होने वाली सभी चीजों पर 'मेड इन तुर्किये' लिखें.

अगर मैं अपनी सोच के साथ हालातों की बात करूं तक बदले वक़्त और हालात इसकी सबसे बड़ी वजह है, जैसा कि आप शायद जानते ही होंगे कि तुर्की 1923 पहली आलमी जंग के बाद सौ साल की पाबंदियों से गुज़रने वाला देश है और 2023 मैं तुर्की अब तुर्कीय से वो पाबंदियां ख़त्म होने का वक़्त आ गया है, क्यूंकि तुर्की पहले इस्लामी सलतनत उसमानिया सल्तनत के नाम से जाना जाता था और पूरे अरब देशों के साथ कुछ वो मुल्क जो रूस से लगे हैं जिनको कुछ साल पहले रूस ने आज़ाद किया वो और फ़िलस्तीन व इजराइल ये सब सल्तनत का हिस्सा यानि राज्य हुआ करते थे.

पहली आलमी जंग मैं जर्मन या साथ देने और जर्मन के घुटने टेक देने के बाद सल्तनत को नेस्तोनाबूद कर दिया गया और उसके राज्यों को आज़ाद मुल्क बनाकर तुर्की को एक अलग देश बना उसपर सौ साल की पाबंदिया लगा दी गई और तुर्की ने बड़ी ही समझदारी से उन पाबंदियों का सामना ही नहीं किया बल्कि अपने को सोच से भी आगे बढ़ाया कुछ जानकार कहते हैं कि तुर्की ने करीब 450% अपने को तरक्की मैं आगे बढ़ाया है और आधुनिक तकनीक से लेस भी किया है, तुर्की नाम पर अगर ग़ौर करें तब वो किसी एक नाम की तरफ़ इशारा करता है यानि अकेला मजबूर और हताश सा...?

जबकि तुर्कीय या तुर्कीये शब्द पर अगर हम ग़ौर करें तब उसमें एक अपना पन सा दिखता है यानि बहुत से साथियों वाला, यही वजह है उसने अपना नाम बदला, शायद एक मंशा और भी रही होगी ये देखना कि उसके नाम बदलने की कौन कौन मुख़ालिफ़त करते हैं वो उसके सामने होंगे और वो उसी लिहाज़ से अपने को उसके लिए तैयार रखेगा, मगर ऐसा नहीं हुआ और तुर्की पर जो पाबंदियां हैं उनके हटने पर तुर्की अपने विस्तार या वजूद को फिर पाने के लिए आज़ाद होगा, वैसे पाबंदियों मैं इसका ज़िक्र करना लिखना भी एक बड़ी गहरी चाल थी, जिसको तुर्की ने समझा और बड़ी ही अक़्लमंदी से अपने को अपनों के बीच सिर्फ़ नाम बदलकर ही शामिल कर लिया, आगे देखो क्या होता है, यानि साल 2023 तुर्कीय के लिए और दुनियां के लिए कैसा होगा...?

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