मैं ख़ुद: अरे, हुं कैसी हो...?
ख़्वाब वाली रोशनी: अरे. रोज़ ही जैसी हूं तुम बताओ...!
मैं ख़ुद: आज शादी में था वहां मुझे तुम्हारी बहुत याद आई, काश तुम भी वहां होती...?
ख़्वाब वाली रोशनी: हाँ, मुझे यकीन है मगर मैं वहां कैसे हो सकती थी भला...?
मैं ख़ुद: ओह सच में, क्यों नहीं हो सकती थी...?
ख़्वाब वाली रोशनी: अरे कुछ नहीं. बस कुछ रोज़ की परेशानियां, बस इतना ही।
मैं ख़ुद: ओह.
ख़्वाब वाली रोशनी: