जिस मजहब में गोद ली बच्ची से बाप निकाह कर सकता है
उस मजहब की तुलना सनातन धर्म संस्कृति से मत किया करो
😫😫
बुर्का, तीन तलाक और हलाला तो मानो उनकी मां-बहनों के शौक थे
🤣🤣
उतनी ही बेबाकी से यदि जनसंख्या नियंत्रण की बात करता,
तो देश उन सभी दलों का सदैव आभारी रहता.....!!
😱😱
संविधान जलाने की सजा है तीन साल
और कमाल की बात
देश जलाने की सज़ा उस संविधान में है ही नहीं ।
⚖️😎
कावड़ियों को गुंडा बोलने वाले हिन्दुओंं
कभी अपनी कार से ताजिये को टक्कर मार के तो देखो
😠
ये कैसा भारत है,
जहां यहीं पर अवतार लेने वाले प्रभु श्रीराम जी का मंदिर चंदे से बनता है,
और हज हाउस सरकारी धन से बनता है ?
🥶🥶
जिनकी सत्ता में रामलला का तिरपाल नहीं बदला,
बल्कि 5000 करोड़ से हज हाउस और लाखों करोड़ से कब्रिस्तान की बाउंड्री बनी,
वह जनता के धन से हो रहे मन्दिर निर्माण पर चिन्ता कर रहा है!
😲😲
जो कहते हैं हमे धर्म की जरूरत नहीं ,
हमे तो रोजगार की जरूरत है
वो देख लें,
अफगानिस्तान से लोग करोड़ों की संपत्ति और रोजगार सब छोड़ कर भाग रहे हैं
🤔
विश्वशक्ति का ढोंग करने वाला अमेरिका जंगली जिहादियों से डर कर भाग निकला,
हिंदुओं गर्व करो कि तुम्हारे पूर्वजों ने उनसे 1000 साल युद्ध में मुकाबला किया
*गर्व से कहो हम हिन्दू है*
👊🤺🗡️
कोई भी "धूर्त शायर" यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है
कि किसी के बाप का अफगानिस्तान थोड़े ही है
कांग्रेसी, बामियों और लिब्रांडुओं के मुँह में जुबान नहीं है
पर हिन्दू इससे भी सबक लेंगे मुझे नहीं लगता
😲😲
महाभारत मे शकुनी नरेश को
गाँधारी का श्राप सदियों से सच्च हो रहा है
'मेरे 100 को मरवाने वाले कान्धार नरेश
तुम्हारे राज्य क्षेत्र मे कभी भी
शान्ति नहीं रहेगी
🙂🙂🙂🙂🙂🙂
जहां संविधान और लोकतंत्र है, वहां शरिया चाहिए....
जहां शरिया लागू हो गया वहां से भागकर लोकतांत्रिक देश में शरण चाहिए....
फिर उस शरण देने वाले देश में भी शरिया चाहिए, यही चक्र चलता रहेगा
🙂🙂🙂🙂🙂
एक कबाड़ और पंचर वाला भी कहता है:
मैं अपने मजहब के लिए जा'न दे सकता हूं!
और एक सम्पन्न हिन्दू से पूछो तो बोलेगा,
मुझे इस लफड़े में नहीं पड़ना।
😠😡
तालिबान कहीं आसमान से नहीं टपका है,
मदरसों से निकला हुआ छात्रों का एक गिरोह है
आप खुद अंदाजा लगाइये कि मदरसों मे क्या पढ़ाई होती है..??
💂♀️💂🏻♂️
टीपू सुलतान इस्लाम के लिए ब्रिटिशो से लड़ा,
भारत की आजादी के लिए नहीं,
टीपू जिहादी था,स्वतंत्रता सेनानी नहीं
- कर्नाटक हाईकोर्ट
*सत्यमेव जयते*
👍😁😄
फिरोज शाह, जिसने 18000 ब्राह्मण हिन्दुओं का कत्ल किया,
उसके नाम पर फिरोज शाह कोटला स्टेडियम है दिल्ली में...
ये है कांग्रेस के काले कारनामे !
🤪🤪
एक मुसलमान को, तालिबान में कोई कमी नही दिखाई देती...
देखो सब मुसलमान चुप हैं...
🤨
और यहाँ हिंदू, मोदीजी योगीजी में, सौ कमियाँ निकाल देता है...
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पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी
"हर सवाल का सटीक जवाब है और एक ही जवाब है वो है लोकतंत्र यानि हर एक को अपने तौर तरीके से जीने की आज़ादी, मतलब जो संविधान कहता है...!"
मगर कुछ सिर फिरे लोग आज़ादी का मतलब कुछ और ही निकाल लेते हैं, धर्म और जाति का महत्व है ज़रूर है, मगर रिश्तेदारी के लिए, देश को आगे ले जाने यानि काम के लिए धर्म और जाति नहीं बल्कि काम महत्व रखता है, मगर कुछ धूर्त लोग जाति धर्म की बात कर देश को आगे ले जाने के बजाये पीछे ले जाने का काम कर रहे हैं, आम आदमी नहीं चाहता मगर उसे मजबूर किया जा रहा है, जाति धर्म मैं उलझाकर.
जाति धर्म भी काम के महत्व के हिसाब से है, यानि हर आदमी हरिजन है क्यूंकि वो गंदगी को एक हरिजन से पहले ख़ुद साफ़ करता है, मगर नफ़रत हरिजन से उसके काम को लेकर की जाती है, जबकि गंदगी को साफ़ करने वाला गंदगी करने या फैलाने वाले से बेहतर है.
दलित कई काम करता है, एक छोटी कुटिया बनाने से लेकर मंदिर मस्जिद बनाने तक का, मगर इमारत तैयार हो जाने पर उसी को मंदिर मस्जिद मैं जाने की इजाज़त नहीं है...?
कोई भी इमारत एक ही पदार्थ से नहीं बनती, उसको जोड़ने के लिए अलग अलग पदार्थों की ज़रूर होती है, ठीक ऐसे ही हम देशवासी हैं, अगर हम जाति धर्म की गंदी राजनीति को छोड़कर देश के लिए मिलकर काम करें तब देश के साथ हम भी खुशहाल होंगे, ये मिसाल अमेरिका, चीन, जापान और जर्मन जैसे विकसित देशों से ली जा सकती है...!!
लेकिन कुछ सिरफिरे देशभक्त होने का दावा तो करते हैं मगर वो ख़ुद इस महान भारत के लिए दीमक बने हुए है, वो जाति धर्म को फैलाकर देश को तबाही के अंधकार मैं ले जाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं...आज देश नहीं देश पर हुकूमत करना ज़रूरी हो गया है, कैसे भी हो बस हुकूमत हाथ मैं आ जाये...इस तरहां के ब्यान देने वालों से पूंछो इन बातों से या आरोपों से रोज़गार पैदा होंगे क्या...?
क्या बिना रोज़गार कोई भी जानदार जी सकता है, नहीं तब वो उस जानवर की तरहां हो जाता है जिससे फ़ायदा ना होने पर कसाई के खूंटे पर या आवारा घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है, भैस जब तक दूध देती है तब तक उसकी सेवा की जाती है दूध देना जैसे ही बंद होता है कटने के लिए बेच दिया जाता है...!
यही हाल हम देशवासियों का कुछ सिरफिरे करना चाहते हैं, जब तक काम है तब तक काम लो और जब बेकार लगे तब उसको आवारा घूमने के लिए छोड़ दो या कानून के शिकंजे मैं कसकर बंदी बना लो, क्यूंकि जब आदमी को भूख लगती है तब वो ये नहीं सोचता कौनसा काम सही है और कौनसा ग़लत है, बल्कि उसको हर काम वो सही लगता है जिससे उसका पेट भर सके और वो करता है, बाद मैं पता चलता है ये तो गलत है मगर मजबूरी और सरकार की नाकामी ने करने को मजबूर कर दिया अब वो जेल मैं अपनी रिहाई के लिए तड़प रहा होता है और परिवार उसे बचाने के लिए सबकुछ दाव पर लगा देता है यानि बर्बादी....?
एस एम फ़रीद भारतीय
मेरा जवाब बुरा लगा हो तो मांफ़ी चाहूंगा मगर यही सच है कड़वा सच...और हां मैं किसी पार्टी का चमचा या दलाल नहीं हूँ...एक लेखक, पत्रकार और मनावाधिकारवादी हूँ...
हर सच्चे देशवासी को ऐसे सिरफिरे लोगों को सटीक जवाब देना चाहिए यही मेरी सोच है...?
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