Wednesday, 7 December 2011
संसद करेगी पीएम को लोकपाल में लाने पर फैसला ?
नई दिल्ली. संसद की स्थायी समिति ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखने के मुद्दे पर फैसला संसद पर छोड़ दिया है। बैठक के दौरान इस मुद्दे पर सामने आए तीनों विकल्पों को रिपोर्ट का हिस्सा बनाया गया है। संसद की कार्मिक एवं कानून व न्याय मामलों की समिति के सदस्यों में 199 पेज की अंतिम ड्राफ्ट रिपोर्ट वितरित की गई। बुधवार को समिति की बैठक में इसे मंजूर किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री के मुद्दे पर तीन प्रमुख राय उभर कर सामने आईं हैं। इन विचारों को विकल्प के रूप में भेजना ही उचित होगा। संसद ही तय करे कि इनमें से कौन-से विचार को शामिल किए जाएं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हर अलग विचार पर बहस करना महत्व नहीं रखता। प्रत्येक विकल्प के लिए अपनी वजहें एवं दलीलें हैं। प्रत्येक विकल्प में कुछ फायदे और कुछ नुकसान है। इसलिए यह मुद्दा समिति संसद की इच्छा पर छोड़ती है। ‘सी’ और ‘डी’ समूह के अधिकारी बाहर संसदीय समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट में ‘सी’ और ‘डी’ समूह के अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में न लाते हुए मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के क्षेत्राधिकार में लाने की सिफारिश है। यह भी कहा है कि लोकपाल को ‘ए’ और ‘बी’ समूह के अधिकारियों के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए जो अधिकार दिए हैं,ठीक उसी तरह की शक्तियां सीवीसी को दी जाए। समिति ने पहले समूह ‘सी’ के अधिकारियों को लोकपाल के दायरे में लाने का फैसला किया था,लेकिन कांग्रेस सदस्यों की तीखी प्रतिक्रिया के चलते उन्हें बाहर ही रखा गया। केंद्र के ‘सी’ और ‘डी’ श्रेणी के समकक्ष राज्य सरकारों के अधिकारियों को लोकायुक्तों के क्षेत्राधिकार में रखने की सिफारिश की गई है। राज्य सरकार के उपक्रमों के अधिकारी भी दायरे में होने चाहिए। प्रधानमंत्री को लेकर तीन विकल्प प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा जाए। कुछ शर्तो के साथ प्रधानमंत्री को शामिल किया जाए। राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी मामले, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष से जुड़े मामलों को बाहर रखा जाए। लोकपाल जांच करें, लेकिन पद छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई करें या मुकदमा चलाया जाए। अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशें सात सदस्यीय सर्च पैनल अनिवार्य रूप से गठित की जाए। सर्च पैनल में एससी/एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण। बिल का नया नाम लोकपाल/लोकायुक्त बिल 2011 होगा। मुख्यमंत्रियों को लोकायुक्तों के दायरे में रखा जाए। सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव नहीं। न्यायपालिका, सांसदों का संसद में आचरण दायरे से बाहर रखें। सिंघवी को मिला दो दिन का समय लोकपाल बिल दो से तीन दिन में संसद में पेश हो जाएगा। संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सरकार ने समिति को सात दिसंबर तक बिल पेश करने को कहा था। मंगलवार को सिंघवी ने राज्यसभा के उप सभापति हामिद अंसारी से मिलकर कुछ और वक्त देने की मांग की थी। माना जा रहा है कि अंसारी ने दो दिन में बिल पेश करने को कहा है। बाद में अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को बताया कि बुधवार को समिति की आखिरी बैठक होनी है।
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