आपकी राय: हम दिन प्रतिदिन सामाजिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता कि हमारे सामाजिक उद्देश्य विकृत हो चुके हैं। हम संस्कारों, परंपराओं और सामाजिक मूल्यों की तिलांजली दे रहे हैं। अपनी राय नीचे दिए गए कमेंट्य बॉक्स में लिखें। बेहतर प्रतिक्रिया को हम प्रकाशित करेंगे। हां, आपसे एक विनम्र निवेदन है कि अपनी राय मर्यादित भाषा में दें। यदि आपकी भाषा से कोई आहत होता है या कोई कानूनी कार्रवाही होती है, तो इसके लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे।
Wednesday, 7 December 2011
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