नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखें आगे बढ़वाना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग को एक प्रस्ताव दिया है। उन्होंने दलील दी है कि मार्च में छात्रों की परीक्षाएं हैं। ऐसे में चुनाव होते हैं तो उनकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग मायावती के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर सकता है।
इससे पहले आयोग ने संकेत दिए थे कि वह पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को एक साथ फरवरी-मार्च में करा सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाय कुरैशी ने भी पिछले अगस्त में संकेत दिए थे कि वह इन चुनावों के बारे में सभी राजनीतिक दलों से उनकी राय जानेंगे। इन राज्यों में चुनाव के बाद आयोग को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव भी कराने हैं। अगर उप्र में चुनाव टले तो फिर 2012 के मध्य में ही हो पाएंगे।
कारण कुछ और ही हैंः
भले इन चुनावों के लिए मायावती ने परीक्षाओं का हवाला दिया हो, लेकिन असल में वह चुनावी तैयारियों के लिए कुछ समय चाहती हैं। जिससे वह राहुल गांधी के रोड शो और भाजपा की यात्राओं का जवाब दे सकें। दूसरी ओर आचार संहिता लगने से पहले उत्तरप्रदेश और पंजाब में राज्य सरकारें खूब चुनावी घोषणाएं कर रही हैं।
अभी तय नहीं कर पाया है आयोग घ् सूत्रों की मानें तो चुनाव आयोग तारीख के मामले में अभी कुछ तय नहीं कर पाया है। इसके लिए वह राज्य सरकारों से विचार विमर्श करेगा। गृह मंत्रालय से भी बातचीत की जाएगी। ऐसी उम्मीद है कि बातचीत की प्रक्रिया दिसंबर के अंत तक पूरी हो जाएगी। इसके अलावा चुनाव आयोग के अधिकारी खुद भी तैयारियों का जायजा लेेने के लिए पांच राज्यों का दौरा करेंगे। छह माह तक चुनाव रोक सकता है आयोग घ् रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के तहत चुनाव आयोग किसी भी राज्य में विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने के छह माह तक चुनाव पर रोक लगाए रख सकता है।
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