Saturday, 7 January 2012

देश में मुस्लिमों की स्थित बेहतर नहीं है - पूर्व न्यायाधीश डॉ. राजेंद्र सच्चर

'दुनिया के 34 प्रतिशत मुस्लिम भारत, पाकिस्तान व बाग्लादेश में बसते है। भारत की साढ़े सात करोड़ मुस्लिम महिलाओं में से साढ़े पाच करोड़ निरक्षर है। मुस्लिमों की आरक्षण की माग कोई भीख नहीं, यह उनका संवैधानिक अधिकार है।' यह नजरिया है देश में मुस्लिमों की स्थिति का आकलन करने वाले पूर्व न्यायाधीश डॉ. राजेंद्र सच्चर !सच्चर रविवार को अहमदाबाद में 'अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम्स ऑफ इडियन ओरिजिन' की ओर से आयोजित दो दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मूर्तिपूजा का भी मजाक उड़ाया। सच्चर ने कहा कि देश में मुस्लिमों की स्थित बेहतर नहीं है। आरक्षण मुस्लिमों का अधिकार है व तथा कोई सरकार इस कौम पर अहसान नहीं कर रही। संविधान में सभी संप्रदाय के लोगों को समान अधिकार दिया गया है। देश की बीस करोड़ आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है, उनके पास रोज 20 रुपये भी खर्च करने को नहीं है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के बचपन की एक घटना का उल्लेख करते हुए मूर्तिपूजा का मजाक उड़ाया।
-- सच्चर ने कहा कि भगवान शिव की प्रतिमा के सामने रखे प्रसाद को जब विवेकानंद ने चूहों को खाते देखा तो उन्होंने सोचा कि जो भगवान अपने सामने से चूहे को नहीं हटा सकते वे मानव का क्या भला करेंगे?
-- सांसद मौलाना असरारुल कासमी ने कहा कि देश के मदरसों में 4 प्रतिशत ही बच्चे पढ़ रहे है लेकिन 52 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे है जिनके ईमान को बचाकर रखना जरूरी है। मुस्लिमों को राजनीतिक कैडर तो मिला लेकिन शिक्षा का कैडर अभी तक तैयार नहीं हुआ है। मुस्लिम रोने पीटने वाली कौम नहीं है हमें हर मुश्किलों का सामना करना होगा।

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