देवताओं के बीच भी चुनावी प्रचार
उत्तर प्रदेश के चुनावों में नेताओं का प्रचार केवाल मतदाताओं के बीच ही नहीं चला रहा. बनारस के भिन्न-भिन्न मंदिरों में अलग-अलग दलों के प्रत्याशी अपनी जीत के लिए पूजा-अनुष्ठान कराने में जुटे हैं.
बनारस के बड़े कर्मकांडी पंडितों में से एक पंडित रविशंकर शर्मा ने
बताया कि चुनावों के समय नेता कई किस्म की पूजाएँ कराते हैं. इस तरह की मनोकामना पूरा करने के लिए वे राज राजेश्वरी की पूजा करते हैं, महामृत्युं जय का जाप करते हैं, बगुलामुखी देवी का यज्ञ करते हैं, रुद्राभिषेक कराते हैं.
बताया कि चुनावों के समय नेता कई किस्म की पूजाएँ कराते हैं. इस तरह की मनोकामना पूरा करने के लिए वे राज राजेश्वरी की पूजा करते हैं, महामृत्युं जय का जाप करते हैं, बगुलामुखी देवी का यज्ञ करते हैं, रुद्राभिषेक कराते हैं.
उन्होंन ने यह भी स्वीकार किया कि वो ऐसे ही दो राजनेताओं के लिए एक विशेष पूजा बुधवार से कर रहे हैं जो मतदान के दो दिन बाद तक चलेगी. उन्होंने उन नेताओं के नाम बताने से इनकार कर दिया.
मतलबी नेता
बनारस के बहुत पुराने मंदिरों में से एक महामृत्युंजय महादेव मंदिर के महंत कनक दत्त दीक्षित ने बताया कि पिछले चुनावों के दौरान इलाहाबाद से बहुजन समाज पार्टी के नेता नंद गोपाल नंदी चुनावों के पहले उनके पास आ कर बड़ी पूजा करवा कर गए.
दीक्षित बोले, चुनावों के पहले बाबा पूजा कराओ पूजा कराओ कह कह कर जान ख़ा ली लेकिन चुनाव जीतने और मंत्री बनने के बाद पलट कर देखा भी नहीं कि बाबा ज़िंदा हैं या मर गए दीक्षित ही की तरह शर्मा ने भी स्वीकार किया कि नेता लोग काम निकाल जाने पर याद नहीं करते. दीक्षित ठंडी सांस लेकर कहते हैं, भाई डॉक्टर को तभी याद करते हैं जब बीमार पड़ते हैं वरना कौन याद करता है.
आपने आपको श्री रमण जी कहने वाले एक ज्योतिषी ने बताया कि पंडितों के अलावा नेता तांत्रिकों के पास भी जा रहे हैं. हालाँकि सबने एक मत से स्वीकार किया कि नेता स्वार्थी होते हैं लेकिन सब एक स्वर में यह भी कहते हैं कि उनकी पूजाएँ बहुत ही शक्तिशाली होती हैं और उनसे लोगों के स्वार्थ सिद्ध होते हैं.
आप कोई और प्रश्न पूछें, उसके पहले महंत दीक्षित कहते हैं कि ब्राह्मण इस तरह की पूजाएँ दूसरों के लिए कर सकता है, उसी से संतुष्ट होना पड़ता है.
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