Wednesday, 15 February 2012


चीन से मिल गई थी मालदीव की सेना ?


माले. क्या चीन से समझौता न करने की वजह से मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी है? उदारवादी नेता माने जाने वाले नशीद पर कुर्सी छोड़ने से पहले चीन के साथ रक्षा समझौता करने का दबाव था, जिससे वह बीते तीन महीनों से इनकार कर रहे थे। नशीद पर उनकी ही सेना ऐसा समझौता करने के लिए दबाव बना रही थी। नशीद ने एक भारतीय अंग्रेजी दैनिक को बताया कि मालदीव की सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि आपको इस समझौते पर दस्तखत करने होंगे। 
 
 गौरतलब है कि नशीद की सरकार ने 2009 में भारत के साथ समझौता किया था, जिसके बाद इस देश ने भारत के साथ सुरक्षा तंत्र बनाया था।  तीन महीने पहले मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स ने मेरे पास समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कागजात भेजे थे, लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने ये कागजात बाद में फिर से मेरे पास भेजे और कहा कि आपको इस पर दस्तखत करने होंगे। लेकिन नशीद के मुताबिक वे चीन के साथ किसी तरह का समझौता न करने के अपने रुख पर कायम रहे। गौरतलब है कि मालदीव की सेना ने नशीद के तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई थी,

गौरतलब है कि नशीद ने बीते सोमवार को एक रैली में कहा था कि पुलिस और सेना के अधिकारी उनके खिलाफ साजिश रच रहे थे और सत्ता के आखिरी दौर में उनकी हत्या की योजना बना रहे थे।  
(तस्वीर: मालदीव में मार्च करते हुए नशीद के समर्थक)

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