आज के मतदान ने भी साबित कर दिया के प्रदेश मैं मतदाता जागरूक हो चूका है और वो अब अपने अधिकार को भी समझने लगा है, इसका जीता जगता सबूत है प्रदेश मैं मतदान प्रतिशत का बढ़ना, इस बार पुरे प्रदेश मैं ६० से ७० फीसद के बीच मतदान हुआ है और इसी मतदान को देख्कार चुनाव मैदान मैं उतरी सभी पार्टियां इस मतदान को अपने-२ हक मैं होने का दावा कर
रही हैं.
मगर ऐसा नहीं है बेशक मतदान बढ़ा है और यह सभी पार्टियों के हक मैं न जाकर उन पार्टियों के हक मैं जाता दिख रहा है जिनकी कमान इस बार युवा नेताओं के हाथ मैं है इस मैं कांग्रेस के राहुल, सपा के अखलेश और रालोद के जयंत आते हैं, इसकी वजा भी साफ़ है इस बार के मतदान मैं युवा वोटर बढ़ा है और उसने अपना नेता भी युवाओं मैं से ही किसी एक को चुना है, मेरा अपना मानना है इस बार का युवा जियादा जोश के साथ चुनाव मैदान मैं आया और मतदान करने मैं उसने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया..
अब प्रदेश की बागडोर किसके हाथ मैं होगी यह सबसे बड़ा मसला है, इसपर लोग अपनी अपनी
राय दे रहे हैं और चरों तरफ ही इस बात की चर्चा है के इस बार युवा के हाथ मैं ही प्रदेश की कमान होगी, लेकिन कुछ का मानना है के इस बार भी मुलायम सिंह ही प्रदेश के मुख्मंत्री होंगे, ऐसा नहीं है चुनावी पंडितों की नज़र से इस बार प्रदेश की चाबी काग्रेस या यूँ कहें के राहुल के हाथ मैं आती नज़र आ रही है ...
मगर ऐसा नहीं है इस बार के वोटर का रुझान साफ बता रहा है के वो एक अच्छी और साफ सर्कार बनाना चाहते हैं और इस बार युवा चुनाव मैं बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है और युवा की पसंद युवा ही होगी यह बात भी अपनी जगह ठीक है, अब क्या युवा अपने बड़ों से नाम सुनने वाले नेता को चुनेगा या अपने सामने दिखने वाले और वादे करने वाले को चुनेगा ? अगर वादों की बात है तो सबसे आगे सपा के अखलेश हैं जो युवा को अपने वादों पर भरोसा दिला रहे हैं और चाहते हैं के युवा उनके साथ आये साथ ही मुस्लिम कार्ड भी अखलेश खेल रहे हैं और इस बार मुस्लिम माया सरकार को हटाने के लिए सपा पर भरोसा कर रहा है
अब दुसरे युवा हैं कांग्रेस के राहुल गाँधी जो एक ही सपना लिए जनता के बेच हैं के प्रदेश को कैसे बदला जाये और वो यही समझा भी रहे हैं लेकिन उनकी कमज़ोर कड़ी है प्रदेश की कांग्रेस जो करीब करीब ख़तम सी ही हो चुकी है राहुल अपने दम पर कहाँ तक इस जंग को जीत पाते हैं यह सबसे बड़ी शक की बात है राहुल पर युवाओं का भरोसा तो है मगर टीम नहीं है और तीसरे युवा भी राहुल के साथ खड़े हैं जयंत सिंह जिनका अभी भी प्रदेश मैं कोइ वजूद नहीं है और उनके पिता चोधरी अजित सिंह को सब जानते ही हैं और रालोद की किरकिरी अनुराधा कर ही रही हैं जो इस वक़्त सपा के साथ हैं
अब रास्ता क्या है ? तो सबके सामने है सपा और सपा के मुलायम और अखलेश जो इस चुनाव मैं सबसे बड़े हीरो बने हुए हैं खैर जो भी हो देखते हैं क्या होता है इस बार कौन बजी मारेगा सपा, बसपा, कांग्रेस या भाजपा ..... ? क्या यक़ीनन चाबी राहुल के हाथ मैं होगी ?
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