केरल में कोदिन्ही गांव को ‘जुड़वांओं का गांव’ कहा जाता है। यहां करीब 220 जुड़वां हैं, वह भी सिर्फ 2000 परिवारों में, अचम्भा बना यह गांव डॉक्टरों के लिए रिसर्च का विषय बन चुका है, दुनिया में जुड़वां बच्चे पैदा होने का जो औसत है, उससे यह छह गुना ज्यादा औसत इस गांव में है, गांव के लोगों के मुताबिक, कोदिन्हि में जुड़वां बच्चे पैदा होने
की शुरुआत तीन पीढ़ी पहले हुई, विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिलसिला 60-70 साल पहले शुरू हुआ, इसके पीछे संभवत: यहां के लोगों का खान-पान है, वह किसी जेनेटिक कारण को इसका जिम्मेदार नहीं मानते.
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रति एक हजार जन्म में जुड़वां बच्चों की तादाद 45 है, जबकि एशियाई लोगों में जुड़वां बच्चे पैदा होने का औसत महज चार है, ऐसे में इस गांव का औसत किसी अजूबे से कम नहीं है, जुड़वां बच्चे अक्सर हमशक्ल होते हैं, वे इसका दिलचस्प फायदा उठाते हैं, टीचर उन्हें मिक्सअप कर देते हैं, बच्चे भी एक-दूसरे की क्लास में जा बैठते हैं या एक-दूसरे की परीक्षा दे आते हैं,
किसी चमत्कार से कम नहीं- कुछ लोगों का मानना है कि इस गांव में जुड़वा बच्चे पैदा होने की घटना किसी चमत्कार से कम नहीं है, ज्यादा जुड़वा बच्चे होने के पीछे जो कारण हैं वह भी यहां मौजूद नहीं हैं, आमतौर पर अधिक उम्र की महिलाएं जुड़वां बच्चे जनती हैं, लेकिन इस गांव में 18-20 साल की उम्र में लड़कियों बच्चे जनने लगती हैं, दूसरा, जुड़वा बच्चे जनने वाली महिलाओं की लंबाई औसतन 5 फीट 3 इंच से ज्यादा होती है, जबकि यहां औसत लंबाई 5 फीट के आसपास है...
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