Friday 22 June 2012

मोमबत्ती और लैंप के सहारे टिमटिमा रहा है ताजमहल ?

आगरा. विश्व प्रसिद्ध ताजमहल में मुगल सम्राट शाहजहां और मुमताज की मुख्य कब्र के दीदार मोमबत्ती और लैंप की रोशनी में करने पड़े, शनिवार को यहां गुसल की रस्म के दौरान बिजली गुल हो गई थी, इससे शाहजहां के उर्स में शामिल होने आए मुगल वंशज प्रिंस याकूब हबीबउद्दीन तूसी खफा हो गए.

उन्होंने बिजली कंपनी टोरंट पावर को कानूनी नोटिस देने की चेतावनी दी है, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल को चौबीस घंटे बिजली सप्लाई देने के निर्देश दिए हैं, इसके बाद भी बिजली कटौती की जा रही है, इसके बाद उन्होंने मकबरे में बिजली जाने से दमघोंटू माहौल के बीच अमन और चैन की दुआ मांगी.।
तीन दिन ही खुलती है असली कब्र- आगरा में शाहजहां और मुमताज की असली कब्र को उर्स के मौके पर खोला जाता है, यह साल में केवल तीन दिन ही खोली जाती है, बाकी दिनों में दर्शक इसकी प्रतिकृति के ही दर्शन कर पाते हैं.
भारत रत्न की मांग- प्रिंस याकूब हबीबउद्दीन तूसी ने बताया कि उन्होंने 2002 में बहादुर शाह जफर को भारत रत्न देने की मांग की थी, इससे संबंधित फाइल गृह मंत्रालय में लंबित है, देश के स्वाधीनता आंदोलन में बहादुर शाह जफर का बड़ा योगदान था, लेकिन उनकी लगातार केंद्र सरकार उपेक्षा करती आ रही है.



 आगरा- विश्व का अजूबा ताजमहल आगरा की पहचान है, आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है, आगरा एक ऐतिहासिक नगर है, जिसके प्रमाण यह अपने चारों ओर समेटे हुए है, वैसे तो आगरा का इतिहास मुख्य रूप से मुगल काल से जाना जाता है लेकिन इसका सम्बन्ध महिर्षि अंगिरा से है जो 1000 साल ईसा पूर्व हुए थे, इतिहास मे पहला ज़िक्र आगरा का महाभारत के समय से माना जाता है, जब इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था, कहते हैं कि पहले यह नगर आयॅग्रह के नाम से भी जाना जाता था, तौलमी पहला ज्ञात व्यक्ति था जिसने इसे आगरा नाम से संबोधित किया.

ताजमहल कवियों, चित्रकारों और संगीतकारों को अपने शब्द, रंग और गीत में मिलता है, ताज प्रेम की पहचान बन चुका है, ताजमहल यूपी के आगरा में स्थित एक मक़बरा है, इसको मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था, ताजमहल मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है, इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामिक वास्तुकला के घटकों का अनोखा मिलन है.
ऐसा भी कहा जाता है, कि शाहजहां ने उन कारीगरों के अंगच्छेदन आदि करा दिये थे, या मरवा दिया था, जिन्होंने ताजमहल का निर्माण कराया था, लेकिन इसके पूर्ण साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं, कुछ लोगों का कहना है, कि ताजमहल के निर्माण से जुडे़ लोगों से यह करारनामा लिखवा लिया गया था, कि वे ऐसे रूप का कोई भी दूसरी इमारत नहीं बनायेंगे, ऐसे ही दावे कई प्रसिद्ध इमारतों के बारे में भी किए जाते रहे हैं.
फतेहपुर सीकरी- मुगल सम्राट अकबर ने फतेहपुर सीकरी बसाई  व अपनी राजधानी वहां स्थानांतरित की, यह आगरा से 35 कि.मी. दूर है, यहां अनेकों भव्य इमारतें बनवायी गयीं, बाद में पानी की कमी के चलते वापस आगरा लौटे, फतेहपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा, एक विश्व धरोहर स्थल है, बुलंद दरवाजा या 'उदात्त प्रवेश द्वार' महान मुगल सम्राट द्वारा बनाया गया था,बुलंद दरवाजा 52 कदम से संपर्क किया है, बुलंद दरवाजा 53.63 मीटर ऊंचे और 35 मीटर चौड़ा है, यह लाल और शौकीन बलुआ पत्थर से बना है, नक्काशी और काले और सफेद संगमरमर द्वारा सजाया.बुलंद दरवाजा के मध्य चेहरे पर एक शिलालेख अकबर धार्मिक समझ का दायरा दर्शाता है.

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