दिल्ली गंग रैप कैस ने तमाम देश को हिल कर रख दिया है समाचार चैनल हो अखबार हो या फिर हम लोग यानि इन्टरनेट की दुनियां चरों तरफ इस केस की ही चर्चा है महिला हो या पुरुष सब एक ही आवाज़ उठा रहे हैं के देश की राजधानी मैं ऐसा कांड क्यूँ ?
इस कांड से देश के कानून पर भी लोगों की आवाज़ उठ रही है लेकिन क्या हकीकत मैं हमारा कानून इतना कमज़ोर है ? या फिर मज़बूत कानून के बावजूद इसको चलने वाले इसको कमज़ोर किये हुए हैं ?
हर रोज़ एक नया सवाल उठता है के ऐसा क्यूँ होता है इसका जवाब भी मेरी नज़र मैं तो हम सब के पास है और वोह यह है के हम किसी भी आवाज़ को उठाने के बाद अंजाम tak पहुँचने से पहले ही दफ़न कर देते हैं और फिर से वही लापरवाही के किस्से शुरू हो जाते हैं
सवाल एक है क्यूँ पुलिस को साल मैं केस की संख्या के चक्कर मैं बंधा जाता है के साल मैं इतने ही केस होने चाहियें और इनमें अगर गिरावट नहीं आई तो सरकार गंभीर क़दम उठाएगी और यही सरकार के आदेश हमारी पुलिस को जहाँ रिपोर्ट करने से तो रोकती ही है उनके लिए कमाई का जरिया भी बन जाता है और अपराधियों के के हौसले भी बुलंद हो जाते हैं और वोह पुलिस से डरने के बजाये उसको अपना घुलाम या साथी समझने लगते हैं !
मैं हमेशा ही इसके खिलाफ आवाज़ उठता रहा हूँ लेकिन वही मिसाल के अकेला चना क्या भाड़ झोंके गा ? आप आप खुद सोचें अगली खबर आपको बनना है या ..... ? हमारी आवाज़ दम क्यूँ तोड़ देती है ? हम अंजाम तक क्यूँ नहीं पहुँचते हैं ?