Friday 18 August 2017

जनगणमन के मायने ओर राष्ट्रीय प्रतीक ?

एस एम फ़रीद भारतीय

जनगणमन-अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता! 
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग 
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे, गाहे तव जय गाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

”वाक्य-दर-वाक्य अर्थजनगणमन आधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!जनगणमन:जनगण के मन/सारे लोगों के मन; अधिनायन:शासक; जय हे:की जय हो; भारत भाग्य विधाता:भारत के भाग्य-विधाता (भाग्य निर्धारक) अर्थात् भगवानजन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंगविन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग 
पंजाब:पंजाब/पंजाब के लोग; सिन्धु: सिन्ध/सिन्धु नदी/सिन्धु के किनारे बसे लोग; गुजरात: गुजरात व उसके लोग; मराठा: महाराष्ट्र/मराठी लोग; 
द्राविड़: दक्षिण भारत/द्राविड़ी लोग;
उत्कल:उडीशा/उड़िया लोग; 
बंग: बंगाल/बंगाली लोग 
विन्ध्य: विन्ध्यांचल पर्वत; हिमाचल: हिमालय/हिमाचल पर्वत श्रिंखला; यमुना गंगा: दोनों नदियाँ व गंगा-यमुना दोआब; उच्छल-जलधि-तरंग: मनमोहक/हृदयजाग्रुतकारी-समुद्री-तरंग या मनजागृतकारी तरंगेंउनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगालएवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पे बसे लोगों के हृदयों में मनजागृतकारी तरंगें भर उठती हैं तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे गाहे तव जय गाथा तव: आपके/तुम्हारे; शुभ: पवित्र; नामे: नाम पे (भारतवर्ष); जागे: जागते हैं; आशिष: आशीर्वाद; मागे: मांगते हैं गाहे: गाते हैं; तव: आपकी ही/तेरी ही; जयगाथा: वजयगाथा (विजयों की कहानियां) सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठने हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते हैं और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं जनगणमंगलदायक जय हे भारत भाग्यविधाता! जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

जनगणमंगलदायक: जनगण के मंगल-दाता/जनगण को सौभाग्य दालाने वाले; जय हे: की जय हो; भारतभाग्यविधाता: भारत के भाग्य विधाताजय हे जय हे: विजय हो, विजय हो; जय जय जय जय हे: सदा सर्वदा विजय हो जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाताविजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो संक्षिप्त संस्करण उपरोक्त राष्ट्रगान का पूर्ण संस्करण है और इसकी कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।
राष्ट्र गान की पहली और अंतिम पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्त संस्करण भी कुछ विशिष्ट अवसरों पर बजाया जाता है, इसे इस प्रकार पढ़ा जाता है: “जन-गण-मन अधिनायक जय हे भारत-भाग्य-विधाता।जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे। ”संक्षिप्त संस्करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है, जिन अवसरों पर इसका पूर्ण संस्करण या संक्षिप्त संस्करण चलाया जाए, उनकी जानकारी इन अनुदेशों में उपयुक्त स्थानों पर दी गई है...

अब सोच का विषय ये कि जिनकी शान मैं ये लिखा ओर गाया गया वो तो देश से जा चुके, दूसरे जब इसको बनाया गया तब भारत एक भारत था ओर सिंध भारत का ही हिस्सा हुआ करता था जो आज पाकिस्तान मैं है?

अब सवाल क्या इस राष्ट्रगान को देश का राष्ट्र गान माना जा सकता है ?
इसका अर्थ जिस तरहां से बनता है तब मुस्लिम ओर वो लोग बिल्कुल भी इसको बर्दाश्त नहीं करेंगे जो एक ईश्वर मैं यक़ीन रखते हैं ओर करना भी नहीं चाहिए, मेरी सोच के अनुसार ज़रूरत है सिंध को लेकर इस गीत पर फिर से विचार करने की 
भारत के राष्ट्रीय प्रतीक
ध्वज= तिरंगा
राष्ट्रीय चिह्न= अशोक की लाट
राष्ट्र-गान= जन गण मन
राष्ट्र-गीत= वन्दे मातरम्
पशु= बाघ
जलीय-जीव= गंगा डालफिन
पक्षी= मोर
पुष्प= कमल
वृक्ष= बरगद
फल= आम
खेल= मैदानी हॉकी
पञ्चांग= शक संवत

नियम व विधियाँ राष्ट्रगान बजाना राष्ट्रगान बजाने के नियमों के आनुसार:
1.राष्ट्र गान का पूर्ण संस्करण निम्नलिखित अवसरों पर सामूहिक गान के साथ बजाया जाएगा, राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के अवसर पर, सांस्कृतिक अवसरों पर या परेड के अलावा अन्य समारोह पूर्ण कार्यक्रमों में, (इसकी व्यवस्था एक कॉयर या पर्याप्त आकार के, उपयुक्त रूप से स्थापित तरीके से की जा सकती है, जिसे बैंड आदि के साथ इसके गाने का समन्वय करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, इसमें पर्याप्त सार्वजनिक श्रव्य प्रणाली होगी ताकि कॉयर के साथ मिलकर विभिन्न अवसरों पर जनसमूह गा सके)
सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में राष्ट्रपति के आगमन के अवसर पर (परंतु औपचारिक राज्य कार्यक्रमों और सामूहिक कार्यक्रमों के अलावा) और इन कार्यक्रमों से उनके विदा होने के तत्काल पहले.
2.राष्ट्र गान को गाने के सभी अवसरों पर सामूहिक गान के साथ इसके पूर्ण संस्करण का उच्चारण किया जाएगा.
3.राष्ट्र गान उन अवसरों पर गाया जाए, जो पूरी तरह से समारोह के रूप में न हो, तथापि इनका कुछ महत्व हो, जिसमें मंत्रियों आदि की उपस्थिति शामिल है। इनअवसरों पर राष्ट्र गान को गाने के साथ (संगीत वाद्यों के साथ या इनके बिना) सामूहिक रूप से गायन वांछित होता है.
4.यह संभव नहीं है कि अवसरों की कोई एक सूची दी जाए, जिन अवसरों पर राष्ट्र गान को गाना (बजाने से अलग) गाने की अनुमति दी जा सकती है। परन्तु सामूहिक गान के साथ राष्ट्र गान को गाने पर तब तक कोई आपत्ति नहीं है जब तक इसे मातृ भूमि को सलामी देते हुए आदर के साथ गाया जाए और इसकी उचित गरिमा को बनाए रखा जाए.
5.विद्यालयों में, दिन के कार्यों में राष्ट्र गान को सामूहिक रूप से गा कर आरंभ किया जा सकता है, विद्यालय के प्राधिकारियों को राष्ट्र गान के गायन को लोकप्रिय बनाने के लिए अपने कार्यक्रमों में पर्याप्त प्रावधान करने चाहिए तथा उन्हें छात्रों के बीच राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान की भावना को प्रोत्साहन देना चाहिए.
सामान्यजब राष्ट्र गान गाया या बजाया जाता है तो श्रोताओं को सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए, यद्यपि जब किसी चल चित्र के भाग के रूप में राष्ट्र गान को किसी समाचार की गतिविधि या संक्षिप्त चलचित्र के दौरान बजाया जाए तो श्रोताओं से अपेक्षित नहीं है कि वे खड़े हो जाएं, क्योंकि उनके खड़े होने से फिल्म के प्रदर्शन में बाधा आएगी और एक असंतुलन और भ्रम पैदा होगा तथा राष्ट्र गान की गरिमा में वृद्धि नहीं होगी, जैसा कि राष्ट्र ध्वज को फहराने के मामले में होता है, यह लोगों की अच्छी भावना के लिए छोड दिया गया है कि वे राष्ट्र गान को गाते या बजाते समय किसी अनुचित गतिविधि में संलग्न नहीं हों.
विवादक्या किसी को कोई गीत गाने के लिये मजबूर किया जा सकता है अथवा नहीं? यह प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष बिजोए एम्मानुएल वर्सेस केरल राज्य AIR 1987 SC 748 नाम के एक वाद में उठाया गया, इस वाद में कुछ विद्यार्थियों को स्कूल से इसलिये निकाल दिया गया था क्योंकि इन्होने राष्ट्र-गान जन-गण-मन को गाने से मना कर दिया था. यह विद्यार्थी स्कूल में राष्ट्र-गान के समय इसके सम्मान में खड़े होते थे तथा इसका सम्मान करते थे पर गाते नहीं थे, गाने के लिये उन्होंने मना कर दिया था, सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी याचिका स्वीकार कर इन्हें स्कूल को वापस लेने को कहा.
सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्र-गान का सम्मान तो करता है पर उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह इसका अपमान कर रहा है, अत: इसे न गाने के लिये उस व्यक्ति को दण्डित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता.
अभी भी एक याचिका राष्ट्र गान को लेकर सुप्रीमकोर्ट मैं लंबित है जिसपर फ़ैसला इसी अगस्त 2017 मैं आने की उम्मीद है...
जयहिंद!!

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