Saturday 9 December 2017

बाबरी मस्जिद रामजन्मभूमि का कड़वा सच ?

एस एम फ़रीद भारतीय
बाबरी मस्जिद के वो पहलू जिनको आधार पर हम कह सकते हैं कि बाबरी मस्जिद सिर्फ़ ओर सिर्फ़ मस्जिद है, ना कोई मंदिर टूटा ओर ना ही वहां राम जन्म भूमि है, ये विवाद संघ ने इसी सत्ता के लिए पैदा किया जिसपर वो आज आसीन हैं ओर इस झगड़े की बुनियाद 1934 मैं संघ के इशारे पर रखी गई डालें परत दर परत पूरे मामले पर एक नज़र ?

1528 में मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई और नमाज़ का सिलसिला चालू हुआ, तुज़के बाबरी और बाबरनामा में किसी मंदिर को तोड़ने का ज़िक्र नहीं है.
2. 1575 में तुलसीदास ने राम चरित मानस लिखी मगर किसी भी मंदिर के तोड़ने का वर्णन नही किया.
3. बाबर के कटु आलोचक और उसके समकालीन गुरू नानक ने भी मंदिर तोड़ने का वर्णन नहीं किया जबकि नानक ने अयोध्या में कुछ समय बिताया था.
4. 1857 में मस्जिद के बगल में दीवार उठा कर खाली प्लाट में से एक हिस्सा साजिशन हिन्दुओं को दे दिया गया.
5. 1883 के मई के महीने में हिन्दुओं ने उस हिस्से में मंदिर बनाना चाहा मगर सरकार ने मंदिर बनाने की अनुमति नही दी.
6. 24 दिसम्बर 1885 को अदालत ने हिन्दुओं की मंदिर बनाने की अर्जी रद्द कर दी, हिन्दुओं ने खुद उसे बाबरी मस्जिद लिखा, उस समय तक हिन्दुओं का बाबरी मस्जिद पर कोई दावा नही था.
7. 26 मार्च 1886 को अदालत ने हिन्दुओं की अपील भी ख़ारिज कर दी.
8. 1877 में पहली बार फ़ैज़ाबाद गजट में एच० आर० नवल ने बिना किसी साक्ष्य के ये नोट चढ़ाया “1528 में बाबर ने 1 सप्ताह अयोध्या में बिताया, मंदिर ढहाया और मस्जिद का निर्माण किया” जबकि एतिहासिक तथ्यों के अनुसार बाबर कभी अयोध्या गया ही नहीं था, उसका अयोध्या से निकटतम प्रवास 110 किमी दूर था जहाँ से वो गुज़रा था.
9. 1934 में हिन्दू – मुस्लिम दंगों के दौरान बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचा.
10. 22 दिसम्बर 1949 की रात में मस्जिद के अंदर मूर्तियाँ रख दी गई। 23 दिसम्बर को अदालत ने ताला डलवा दिया, मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगा दी और हिन्दुओं को पूजा की अनुमति दे कर पहली बार मस्जिद विवादित बना दी गयी.
11. 16 जनवरी 1950 को मुसलमानों ने मस्जिद की बहाली के लिये अदालत में आवेदन दिया, मगर अदालत ने मूर्ति ना हटा कर हिन्दुओं के पूजा पाठ को बरक़रार रखा.
12. 1 जुलाई 1951 को अदालत में पुलिस सह आयुक्त ने ये बयान दिया के ये बाबरी मस्जिद है और 1925 से 1949 तक यहाँ मुसलमान नमाज अदा करते रहे हैं.
(वर्ष 1961 में सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और मोहम्मद हाशिम अंसारी समेत आठ अन्य मुस्लिमों ने विवादित धर्मस्थल को मस्जिद घोषित करने और रामलला की मूर्ति हटाने के लिए वाद दायर किया.)
13. 27 जनवरी 1986 को फैजाबाद अदालत में हिन्दुओं ने बाबरी मस्जिद पर कब्ज़ा करने की अर्जी दी, 28 जनवरी को अदालत ने आदेश दिया के तमाम केस हाईकोर्ट स्थानांतरण हो गए हैं इसलिए अर्जी रद्द की जाती है.
14. 30, 31 जनवरी 1986 को आदेश के खिलाफ जिला जज के यहां अपील की गयी, मुसलमानों ने भी अर्जियां दी, सब रद्द कर दी गई.
15. 1 फरवरी को हाईकोर्ट की परवाह न करते हुए जिला जज ने 04:45 पर ताला खोलने का आर्डर दे दिया, 05:12 पर ताला खोला गया और पूजा-पाठ शुरू कर दिया गया, 2 बजे से ही फ़ैज़ाबाद में पीएसी की सात कंपनी तैनात कर दी गई थी, मुस्लिम इलाकों को घेर लिया गया और रात को टीवी पर पूजा और दर्शन प्रसारित किया गया, नतीजे में भारत में दंगे भड़क उठे.
16. नवम्बर 1989 में हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद से मिली हुई जगह को ‘जैसी है वैसी ही’ रखने का आदेश दिया लेकिन फिर भी उसी जगह पर शिलान्यास की रस्म अदा की गई.
17. सितम्बर 1990 में आडवाणी ने हिन्दुओं को भड़काने के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकालने का कार्यक्रम बनाया, 23 अक्टूबर को बिहार की लालू प्रसाद सरकार ने देश का माहौल बिगड़ता देख रथयात्रा रूकवा दी और पुलिस ने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया.
18. अक्टूबर 1991 में सरकार ने मस्जिद की 7.22 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण कर लिया.
19. नवम्बर 1991 में सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश जारी किया कि विवादित परिसर को मस्जिद के रूप में रहने दिया जाए.
20. मई से जुलाई 1992 तक भाजपा के कल्याण सिंह की प्रदेश सरकार ने मंदिर बनाने के लिये उसी जगह पर निर्माण कार्य जारी रखा.
21. 22 जुलाई 1992 को सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के जवाब में प्रदेश सरकार ने अपनी रजामंदी दी लेकिन निर्माण जारी रखा गया, नवम्बर में प्रदेश सरकार और सांप्रदायिक संगठन सुप्रीम कोर्ट को यकीन दिलाते हैं के निर्माण कार्य नहीं होगा, बाबरी मस्जिद सुरक्षित रहेगी और उसकी सुरक्षा की जाएगी.
22. 6 दिसम्बर 1992 को उत्तर प्रदेश सरकार की सरपरस्ती, केंद्र सरकार के मिलीभगत और सांप्रदायिक दलों की शह पर पहले से तय योजना के तहत सांप्रदायिक आतंकवादी, विश्व हिन्दू परिषद्, शिवसेना, भाजपा के कार्यकर्ताओं ने 5 घंटे में बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया। इन दंगों में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए.
(इस मामले में सबसे पहली गवाही मोहम्मद अंसारी की 197 पृष्ठ की हुई। अंसारी की गवाही 24 जुलाई से शुरु होकर उसी साल 29 अगस्त 1996 तक चली.
वक्फ बोर्ड की तरफ से सर्वाधिक 288 पृष्ठ की गवाही सुरेश चन्द्र मिश्र की रही जबकि सबसे कम 64 पृष्ठ में रामशंकर उपाध्याय ने अपना बयान दर्ज कराया। कानूनी दांवपेचों में उलझे इस मामले में 06 दिसम्बर 1992 को बड़ा मोड़ आया और विवादित ढांचा ध्वस्त कर दिया गया। ढांचा ध्वस्त होने के बाद केन्द्र सरकार ने सात जनवरी 1993 को 67 एकड़ से अधिक जमीन का अधिग्रहण कर लिया.
अधिग्रहण के इस अधिनियम के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड, अक्षय ब्रह्मचारी, हाफिज महमूद एखलाख और जामियातुल उलेमा ए हिन्द ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने सभी याचिकाओं को उच्चतम न्यायालय में भेज दिया.)
23. 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई.
24. 2001 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया.
25. जनवरी 2002 में बाबरी मस्जिद विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया.
26. फ़रवरी 2002 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरु करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए.
27. 13 मार्च 2002 में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फ़ैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरक़रार रखी जाएगी और किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहीत ज़मीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फ़ैसले का पालन किया जाएगा.
28. 15 मार्च 2002 में विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ कि विश्व हिन्दू परिषद् के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग आठ सौ कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपी.
29. 22 जून 2002 में विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की माँग उठाई.
30. जनवरी 2003 में रेडियो तरंगों के ज़रिए ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष दबे हैं, कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकला.
31. मार्च 2003 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया.
32. अप्रैल 2003 में इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर व मस्जिद से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं मसलम प्राचीन मेहराब वगैरह.
33. मई 2003 में सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए.
34. जून 2003 में काँची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और उम्मीद जताई कि जुलाई तक अयोध्या मुद्दे का हल निश्चित रूप से निकाल लिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
35. अगस्त 2003 में भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने विश्व हिन्दू परिषद् के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए.
36. अप्रैल 2004 में आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा.
37. जुलाई 2004 में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए.
37. जुलाई 2004 में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए.
38. जनवरी 2005 में लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने में उनकी भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया.
39. जुलाई 2005 में पाँच हथियारबंद चरमपंथियों ने विवादित परिसर पर हमला किया जिसमें पाँचों चरमपंथियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नज़दीक ही मार डाले गए.
40. 06 जुलाई 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान ‘भड़काऊ भाषण’ देने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी को भी शामिल करने का आदेश दिया.
41. 28 जुलाई 2005 में लालकृष्ण आडवाणी 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में गुरूवार को रायबरेली की एक अदालत में पेश हुए। अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी के ख़िलाफ़ आरोप तय किए.
42. 04 अगस्त 2005 में फ़ैजाबाद की अदालत ने अयोध्या के विवादित परिसर के पास हुए हमले में कथित रूप से शामिल चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा.
43. 20 अप्रैल 2006 में यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल और शिव सेना की ‘मिलीभगत’ थी.
44. जुलाई 2006 में सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ़ काँच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया, इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया और कहा कि यह अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे.
45. 30 जून 2009 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जाँच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी.
46. 7 जुलाई 2009 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफ़नामे में स्वीकार किया कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 23 महत्वपूर्ण फ़ाइलें सचिवालय से ग़ायब हो गई हैं.
47. 23 नवंबर 2009 में एक अंग्रेजी अखबार में आयोग की रिपोर्ट लीक.
48. 24 नवंबर 2009 में लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश। आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी.
49. 20 मई 2010 में बाबरी विध्वंस के मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमा चलाने को लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में ख़ारिज.
50. 26 जुलाई 2010 में रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी.
51. 8 सितंबर 2010 में अदालत ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फ़ैसला सुनाने की घोषणा की.
52. 17 सितंबर 2010 में हाईकोर्ट ने फ़ैसला टालने की अर्जी ख़ारिज की.
53. 30 सितंबर 2010 में इलाहाबाद हाईकाेर्ट की लखनऊ बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया.
अब इन तथ्यों को पढ़कर बतायें कि कहां इन तथ्यों से रामजन्मभूमि का वजूद सामने आता है, ये सब खेल हिंदु-मुस्लिम को आपस में लड़ाकर हिंदूओं को वोट बैंक की शक्ल मैं इस्तेमाल करने के लिए बड़ी सोची समझी साज़िश के तहत किया गया है, आज ये रामजन्मभूमि के अलावा हिंदू राष्ट्र का सपना लोगों को दिखा रहे हैं जो मुमकिन ही नहीं है क्यूंकि हमारा मुल्क दुनियां के साथ चलने वाला है ना कि अलग थलग अकेला ?
सोचें ओर जवाब दें झूंठों की हुकुमत ओर बहकावा कब तक ?

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