एस एम फ़रीद भारतीय
दुनियां के पहले और दूसरे विश्व युद्ध में दुनिया का उन हालात का सामना हुआ है जिसका अंदाज़ा उस वक़्त भी नही था और ना ही आज है, हम आज भी उन ना भुला देने वाले मंज़र को भुला सकते हैं, और ना ही उस ना भरने वाले नुकसान का अंदाज़ा लगा सकते हैं, दूसरी जंगे अज़ीम
जिसमें अमेरिका जीत का दावेदार बनकर उभरा और धीरे-धीरे सारे देशों का मुखिया बन बैठा, यह सब शुरू जब हुआ जब अमेरिका ने पहली बार अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया!
बात 1944-1945 की है वो भयानक दिन जिसको दुनिया आज भी एक बड़े ज़ुल्म के तौर पर देखती है, अमेरिका ने जब सिर्फ अपनी ताक़त का लौहा मनवाने के लिए कई लाख लोगों की जानें लीं, इससे पहले दुनिया के बड़े ज़ालिमों के चर्चे ही लोगों की जु़बां पर हुआ करते थे कि अचानक यह ख़बर सबको सोचने पर मजबूर कर देती है कि अमेरिका ने जापान में लाखों लोगों की जानें लीं?
यह वही अमेरिका था जो आज अपनी सदाक़त के अफसाने बनाते नही थकता। आज भी इसके हुलिये में कोई तबदीली नज़र नही आई, मगर एक बात नोटिस करने वाली है वह यह कि भले ही अमेरिका तकनीकी तौर पर एडवांस हो मगर इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि कई मुल्क आज भी अमेरिका से नही डरते।
पहले वाली ताक़त नहीं है अब !
यह बात तो सभी को माननी पड़ेगी कि अमेरिका में वह पहले वाली ताक़त नही जो 1944-1945 से 1990 की में थी, हां अकड़ ज़रूर वही है, वह कहते हैं ना कि रस्सी जल गई पर बल नही गया, अंदाज़ा लगाइये किसी खुशहाल शख्श की ज़िंदगी में अचानक तंगी आ जाए तो वह दाने-दाने का मोहताज हो जाये, मगर खुश्हाली से बिताये उन दिनों को वह कभी नही भूलता, लंबे समय तक उसके दिलों दिमाग पर उनकी तस्वीरें मौजूद रहती है और आज भी वह अकड़ से कह सकता था कि मेरे पास इतनी दौलत थी, मैं इतना अमीर था, जिसे कहते हैं रस्सी जल गई पर बल नही गया...?
यह कहावत सच्ची है और यहीं पर सादिक़ आती है, कोई उस शख्श से कहे अरे साहब! छोड़िये पुरानी बातों को और आने वाले दिनों पर मंथन कीजिए कि कैसे आने वाले हालात से निमटना है, यही बात अमेरिका को भी याद दिलाने की ज़रूरत है कि भाई क्यों अकड़ते हो पुराने दिन का राग अलापते रहते है आज की बात करिये...!
अफ़ग़ानिस्तान में क्या मिला अमेरिका को...?
मुझे अफगानिस्तान में कहीं नज़र नही आती आपकी सुपर पावर ताक़त ? क्या हुआ 18 साल होने को आये अभी तक अफगानिस्तान की जंग नहीं जीती आपने? ऐसी सुपर पावर का क्या फायदा ? जो तुमने बिन वजह की जंग अफगानिस्तान पर मुसल्ल्त की है इससे कोई लाभ गिनाओ जो हुआ है बात दर असल यह है कि वहां के शहरी जो अपने मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं जिन्हें तालिबान का नाम दिया जा रहा है उनसे अमेकिा नही जीत रहा तो भला और किसी से जीतने का सवाल तो बाद में आता है, वहां पर तालिबान कम वहां की अवाम ज़्यादा मारी जाती है, सारी दुनिया से हिसाब का तलबगार यह देश अपना हिसाब नही देता? बेगुनाह इंसानों का खून बहाकर अमेरिका को चैन नही मिलने वाला!
अमेरिका के खिलाफ सिर्फ़ मुसलमान नहीं हैं और ना अमेरिका सिर्फ़ मुस्लिमों का दुश्मन है?
लोग समझते हैं कि अमेरिका के खिलाफ सिर्फ मुसलमान ही हैं? नही भाई, दुनिया के सारे मुल्क अमेरिका से कहीं न कहीं नफ़रत ज़रूर करते हैं, लेकिन टकराने की हिम्मत सिर्फ़ मुस्लिमों मैं है, वरना जापान और कोरिया मैं मुस्लमान नहीं है, ना ही चीन और रूस मुस्लिमों के मुल्क है...?
चलिए बात करते हैं, आज की आजकल अमेरिका के लिए बैचेनी की सूरत में एक देशा आ रहा है जो उसकी आंख में कंकर की तरह है जिसे अमेरिका निकालने के प्रयास में है मगर उसकी आंख में कंकर की तरह फंसा वह देश किसी तरह से काब़ू में नही आता और यह देश ऐसा वैसा देश नही कि बिना किसी वजह के अमेरिका का दुशमन बना बैठा है बल्कि यह दोनों देशों की पुरानी दुश्मनी है, जिसे दुनिया आज नार्थ कोरिया और अमेरिका की दुशमनी के तौर पर याद करती है, नार्थ कोरिया ने हाइड्रोजन बम बनाकर दुनिया को हैरत में डाल दिया है और सबसे हैरत वाली बात तब सामने आयी जब नार्थ कोरिया के रहनुमा किम जोंग उन ने सीधे तौर पर अमेरिका को खुले लफज़ों में धमकी दे डाली...!
बेबस अमेरिका !
आज अमेरिका बेबस है क्योंकि चीन जो बड़ा ताक़तवर मुल्क माना जाता है वह अमेकिा के बीच में आ गया है क्योंकि नार्थ कोरिया और चीन की आपस में एक संधि है जिसके तहत अगर कोई देश नार्थ कोरिया पर हमला करता है तो जा़हिर बात है चीन नार्थ कोरिया का साथ देगा, सिर्फ चीन के बीच में आने की वजह से अमेरिका अब तक बेबस है वरना कोई परमाणु हमला हो गया होता, चीन ने भी साफ कर दिया है कि जनाबे अमेरिका अगर युध्द हुआ तो इस युध्द में कोई नही जीत पायेगा, इसलिए यह मुक़दमा सिर्फ बयान बाजी़ पर टिका हुआ है, अब तक इसलिए इसका फैसला नही आया, और अमेरिका भी मानने वालें में से नही कुछ न कुछ तो होगा ज़रूर।
तैयार रहें तीसरी जंग देखने के लिए!
और जो होगा दुनिया शायद ही उसे बरदाश्त कर पाये क्योंकि इसका नतीजा तीसरे विश्व युद्ध के तौर निकलेगा जिसका नुकसान नार्थ कोरिया ही नही पूरी दुनिया को भुगतना होगा, और हालात ये बताते हैं ये होकर ही रहेगा, आज नही तो कल वजह वही है जो पहले विश्वयुद्ध की थी, पहला विश्वयुद्ध क्यूं हुआ ये बतायेंगे अगले लेख मैं...!
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