Sunday, 6 October 2019

कानून और अधिकार, जहां महिला का पीछा करना अभद्रता से देखना अपराध है...?

एस एम फ़रीद भारतीय
कहने को देश का कानून महिला को गंदी निगाह से देखना भी अपराध है, वहीं आज रेप से पीड़ित महिलाऐं न्याय के लिए भटक रही हैं चलिए जानते हैं कानून क्या कहता है, क्या करना चाहिए महिला आयोग को...?

औरत की अनिच्छा और असहमति के बावजूद उससे
सम्पर्क करने की कोशिश करना, उसे घूरना, उसकी जासूसी करना, बदनीयति से उसका पीछा करना, उसे दिमागी रूप से परेशान करना और उसके मन अवचेतन में भय पैदा करना अपराध है। इसका उल्लेख भारतीय दंड विधान की धारा 354 (डी) में है। कई बार महिलाएं सोचती हैं कि पीछा करने वाले को नज़रअंदाज करने पर वह खुद हट जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है।
उदाहरण के लिए 31 दिसंबर की रात नववर्ष के जश्न के दौरान बेंगलुरु में शर्मसार करने वाली छेड़छाड़ या दिल्ली में महिला को स्कूटर से उतार कर छेड़ना। स्टॉकिंग समेत औरतों से जुड़ी किसी भी परेशानी या हिंसा की शिकायत के लिए 1091 पर फोन करने की व्यवस्था है। यह हेल्पलाइन नंबर है। इन हेल्पलाइनों से शिकायत पुलिस थाने को दी जाती है। यहां से औरतों को रेफरेंस नंबर मिलता है, जिससे एफआईआर और आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
पीड़ित महिला राष्ट्रीय महिला आयोग की वेबसाइट पर जाकर भी शिकायत दर्ज करा सकती है। शिकायत का एक रसीद नंबर दिया जाता है। आयोग दस दिन के भीतर शिकायत पर विचार करता है। इसके बाद महिला दोबारा आयोग से संपर्क और परामर्श लेकर पुलिस में शिकायत और अदालती कार्रवाई कर सकती है। उसे शिकायत की रसीद संख्या अपने पास सुरक्षित रखनी होगी। हेल्पलाइन या दोनों अन्य स्थानों पर शिकायत दर्ज करने पर पीछा करने वाले व्यक्ति को गैर-जमानती धारा में गिरफ्तार किया जाता है। इसमें कम से कम एक या अधिक से अधिक 5 वर्ष की सजा है। यदि स्टॉकिंग का दोषी हत्या, दुष्कर्म या किसी हिंसा का दोषी हो तो विभिन्न धाराओं में और सजा है।
दिसंबर 2012 के निर्भया कांड के बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 आया, जिसमें स्टॉकिंग को अपराध में शामिल कर दिया गया। इसके बाद की अवधि में सैकड़ों मामले दर्ज किए गए।
इसके अलावा महिला को परेशान करने के लिए ऑनलाइन या इंटरनेट के साधनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे साइबर स्टॉकिंग कहा जाता है। साइबर स्टॉकिंग वह जुर्म है, जब किसी व्यक्ति का ऑनलाइन पीछा किया जाए, उसकी निजता में दखल देने की कोशिश हो उसे डराया-धमकाया जाए।
भारत में पहले साइबर स्टॉकिंग केस में मनीष कथुरिया को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा था। मनीष छद्‌म नाम से अश्लील चेटिंग करता था। कई अश्लील कॉल एक महिला को आने लगे। सदमें में आई महिला ने पुलिस का सहारा लिया और मनीष के खिलाफ कार्यवाही हुई।
वहीं अमेरिका और कनाडा में साइबर स्टॉकिंग को काबू में लाने के लिए 1990 के प्रारंभिक वर्षों में प्रभावी कानून बनाए गए। 1990 में ही रेबेका सिफर नामक टीवी स्टार की साइबर स्टॉकिंग और फिर हत्या की गई। इसके बाद कैलिफोर्निया में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और वहां पहला साइबर स्टॉकिंग कानून आया।
साथ ही भारत मैं 2013 में बनी जस्टिस वर्मा समिति को जो सुझाव मिले, उससे 630 पेज की रिपोर्ट तैयार की गई। इसकी सिफारिशें इस प्रकार हैं।
} दुष्कर्म और हत्या के अपराधी को 20 साल कैद, जबकि सामूहिक दुष्कर्म सिद्ध होने पर आजीवन जेल।
} महिला को निहारना या घूरना, पीछा करना अपराध है।
} सरकार तय करें कि कानून और उसका पालन कराने वाली एजेंसियां राजनेताओं के हाथों का खिलौना बन जाएं। प्रशासन के प्रत्येक स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जाए।
इस समिति के मुताबिक अश्लील हरकत करने पर आरोपी को 1 वर्ष, शारीरिक छेड़छाड़ पर पांच वर्ष, निर्वस्त्र करने पर तीन वर्ष की सजा है।
ध्यान रखिए शिकायत का रेफरेंस नंबर जरूर रखें। साइबर स्टॉकिंग में ई-मेल या मैसेज का प्रिंट रखें।
फैक्ट कनाडामें 1993 में कॉम्प्रिहेंसिव एंटी स्टॉकिंग कानून आया, यदि इसमें महिला का भयभीत होना सिद्ध हो जाए तो स्टॉकर की गतिविधि सिद्ध करना जरूरी नहीं रह जाता है।
छेड़छाड़ को गैरजमानती बनाया गया है। पहले जमानती था। धारा-354 में कई उपधाराएं भी बनाई गईं। धारा-354 ए, 354 बी, 354 सी और 354 डी का प्रावधान किया गया है। धारा-354ए में चार पार्ट हैं। आईपीसी की धारा-354 ए पार्ट- 4 के तहत अगर कोई शख्स किसी महिला पर सेक्शुअल कॉमेंट करता है, तो वह अपराध होगा। इन मामलों में एक साल से लेकर तीन साल तक कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।

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