"एस एम फ़रीद भारतीय"
आज़ादी का मतलब क्या होता है, ग़ुलामी और आज़ादी मैं क्या फ़र्क है आज इसी पर चर्चा करते हुए ये लेख आज के ग़ुलामों की नज़र...?
आज़ादी का जश्न हम हर साल ज़ोर शोर से मनाते हैं वो भी ये
भूलकर कि हम ना पहले आज़ाद थे और ना ही आज आज़ाद हैं, पहले हम गोरों की एक कम्पनी जिसका नाम ईस्ट इंडिया कम्पनी था के ग़ुलाम थे और आज एक ही कम्पनी के अनेकों नाम हो गये हम उनके ग़ुलाम है.
पहले की ग़ुलामी और आज की ग़ुलामी मैं ज़मीन आसमान का फ़र्क है, पहले हमको ग़ुलाम बनाकर लगान के रूप मैं वसूली करने वाले उस लगान की कुछ रकम बड़ी ही ईमानदारी से हमारी सर ज़मीन पर ख़र्च किया करते थे और आज चाल फ़रेबी के साथ हमसे टैक्स के रूप मैं पैसा वसूल कर बड़ी ही ईमानदारी से बेईमान अपनी तिजोरियों मैं भर रहे हैं देश मैं काम के नाम पर घोटालेबाज़ों का फ़ौज हर रोज़ तैयार हो रही है.
देश की जनता पहले भूखी थी, किसान परेशान था, मज़दूरों को काम की कमी हुआ करती थी लेकिन सुना जाता है तब इंसान और जानवर भूखे होने के बावजूद बेफ़िक्र चैन की नींद सोया करते थे, मगर आज की चकाचौंध ने सोना जागना सब हराम कर दिया है, इसका ज़िम्मेवार कोई और नहीं हम ख़ुद हैं वो भी अपनी ग़ुलामी वाली मानसिकता की वजह से...?
आज हम ग़ुलाम कैसे हैं ये भी जान लेते हैं, पहले हमारे बुज़ुर्ग मजबूरी या डर की वजह से अंग्रेज़ों की ग़ुलामी किया करते थे और उनके इशारों पर नाचने को मजबूर थे वजह थी उनका ज़ुल्म, मगर आज हम बिना किसी मजबूरी के अपने आपको ग़ुलामी की दलदल मैं धकेले जा रहे हैं.
पहले नाम ईस्ट इंडिया कम्पनी हुआ करता था और आज कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, ईनोलो, राजद, सी पी एम, एआईएएम आदि हज़ारों नाम हैं...?
क्या किसी पार्टी से जुड़कर उसकी अच्छी बुरी सभी बातों पर हां मैं हां मिलाना क्या ग़ुलामी नहीं है...?
क्या हमने कभी हिम्मत की है जो हम पार्टी मैं रहकर पार्टी के ग़लत कामों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायें, अगर किसी ने ये हिम्मत करने की कोशिश की भी तब पार्टी के बड़े बेवकूफ़ ग़ुलामों जो कि वोटर के रूप मैं है ने उसे नकार दिया उसकी आवाज़ को खोखला साबित कर दिया, वहीं ग़ुलाम बनाने वालों ने बड़ी ही सफ़ाई के साथ उसको बागी घोषित कर अपने ग़ुलामों के बीच उनके तंज़ सहने के लिए पार्टी से निकालकर खड़ा कर दिया.
इस ग़ुलामी की मानसिकता के कारण ही आज मुल्क की आधी आबादी बेरोज़गारी की वजह से भूखी सोती है, ग़ुलामों की बढ़ती फ़ौज ने पार्टी रूपी जल्लादों को तो आगे बढ़ाया है मगर देश को बहुत पीछे धकेल दिया है, हम अब कब इनकी क़ैद से आज़ाद होंगे ये सोच का विषय है...?
जय हिंद जय भारत
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