Tuesday 31 December 2019

"मानवाधिकार" बस पुलिस ही के ख़िलाफ़ नहीं है...?


"एस एम फ़रीद भारतीय"
"मानवाधिकारों" को लेकर अक्सर विवाद बना रहता है, आज भी बना हुआ है, आज पुलिस मानवधिकारों को कुचल रही है लेकिन हमारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कहां कितनी गहरी नींद मैं सोया है किसी
को नहीं मालूम.

आज ये समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि क्या वाकई में मानवाधिकारों की सार्थकता है, यह कितना दुर्भाग्यपू्‌र्ण है कि तमाम प्रादेशिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारी और गैर सरकारी मानवाधिकार संगठनों के बावजूद मानवाधिकारों का परिदृश्य तमाम तरह की विसंगतियों और विद्रूपताओं से भरा पड़ा है, किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है यही मानवाधिकार है.

हमारे भारत का संविधान इस अधिकार की ना सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सज़ा की भी गारंटी तो देती है, मगर सज़ा किसको कब मिलेगी ये आज भी सुनिश्चित नहीं है, यही वजह है आज मानवाधिकारों को कुचला जा रहा है, बहुत सी छोटी बड़ी अदालतें ख़ुद मानवाधिकारों के हनन करने मैं लगी हैं, पीड़ित से तारीख़ पर रिश्वत लेना वो भी खुलेआम ये भी तो मानवाधिकार हनन के दायरे मैं आता है.

ज़्यादातर सरकारी कार्यालयों मैं बिना रिश्वत कोई काम नहीं होता, मामूली से काम के लिए भी बार बार चक्कर लगवाना और रिश्वत मांगना भी तो मानवाधिकार हनन ही है.

मगर आज हम ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि मानवाधिकार सिर्फ़ पुलिस के ख़िलाफ़ ही काम करता है, जबकि ऐसा नहीं है, मानवाधिकार हनन वो है जो किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा किसी भी नागरिक का किसी भी रूप मैं किया जाता हो, यानि किसी भी सरकारी सुविधा से नागरिकों को वंचित करना या उसके बदले रिश्वत मांगना मानवाधिकार हनन होता है.

एक सबसे बड़ी विडंबना देखिये जो मानवाधिकार पुलिस को सबसे बड़ी ताक़त देता है, वही पुलिस ख़ुद मानवाधिकारों को कुचल कर मानवाधिकार हनन की दोषी बनती है, मिसाल के तौर पर किसी भी मानवाधिकार हनन के मामले मैं सबसे पहले रिपोर्ट दर्ज करने काम पुलिस विभाग को ही है, अगर पुलिस ईमानदारी से अपने कार्य को करने लगे तब देश और देश की जनता पुलिस पर गर्व करने के साथ ही सबसे ज़्यादा भर्ती होने के लिए पुलिस मैं ही लाईन लगायेगी, मगर अफ़सोस ऐसा दुनियां ख़ासकर भारत मैं होता नहीं है, भारत मैं ख़ासकर पुलिस ख़ुद मानवाधिकार हनन की दोषी बन जाती है, यही इस देश और पुलिस विभाग का दुर्भाग्य है.

2 comments:

  1. माशाअल्लाह शानदार लिखा है 5

    ReplyDelete
  2. साहब ये बिल्कुल सही है ।

    ReplyDelete

अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !

क्या 2024 के नतीजे चौंकाने वाले होंगे...?

दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में कितने मतदाता...?  कितने करोड़ पहली बार चुनेंगे अपना नेता...?? लोकसभा के 543 निर्वाचित स...