मेहनत से कमाई करके अपने बाल बच्चों की परवरिश करना, घरवालों को मुहताजी से बचाना और खुद भी बचना बहुत बड़ी इबादत ही नहीं बल्कि इस्लाम के पांच रुक्नों के बाद सबसे बड़ी फ़र्ज़ इबादत है। कुरान व हदीस में इसके बारे में सख्त ताकीद आई है अल्लाह पाक फरमाता है, हमने तुम्हें जमीन पर रहने के लिए जगह दी और उसी में तुम्हारे लिए रोज़ी बनाई (सूरह आराफ़) और सूरह हजर में फरमाया और हमने तुम्हारे लिए वहां रोज़ी के साधन बनाएं और
आज के मौजूदा हालात को समझने के लिए हमको मदरसा दारुल उलूम देवबंद को समझना होगा, जिसकी स्थापना 1857 की क्रांति सन्दर्भ में हुई, इस क्रान्ति की वजह अंग्रेजों के ज़रिये पीठ पीछे वार करके मुल्क से मुगल मुस्लिम शासक को हटा देना और अनेकों मुस्लिम संगठनों को या तो बन्द कर देना या दिशाहीन कर देना था, ऐसे में देवबंद में दारुल उलूम की स्थापना हुई जिसका लक्ष्य भारत के मज़लूम और मुसलमानों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करना है, इस संस्था को विश्व-भर के
आज के वातावरण में लोगों का संपर्क ज्यादातर दूषित पानी और हवा और भारी तनाव से होता है जिसकी वजह से शरीर में बड़ी मात्रा में अम्लीय व्यर्थ पदार्थ पैदा होते हैं। इसके अलावा बुढ़ापे की वजह से भी कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है। हमारे शरीर मे बीमारी न हो इसके लिए हम अच्छी अच्छी चीज़े खाते पीते हैं और बीमारियों से बचाव करने के लिए दवायों का प्रयोग करते हैं।अल्कलाइन पानी का उपयोग हर तरह की बीमारियों का सबसे