Saturday, 1 January 2022

जनवरी से नया साल और हिंदुत्व का ऐजेंडा...?

एस एम फ़रीद भारतीय 
आज ईसाइयों की आबादी 80 लाख से बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई है, ये देश ईसाईयों कि देश तो नहीं है, फिर हर साल नये साल की शुरूआत पहली जनवरी से क्यूं की जाती है...?

हिन्दुओं का नया साल चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन यानी गुड़ी पड़वा पर हर साल विक्रम संवत के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है.

किसको पता था कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नव-वर्ष का प्रारंभ होता है. 2021 में हिन्दू नववर्ष की शुरुआत 13 अप्रैल से हुई. चैत्र नवरात्रि भी इसी दिन से शुरू हुए थे. असल मैं मीन राशि में जब सूर्य और चंद्रमा एक समान अंश पर गोचर करते हैं तब हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है, ये पौष मास है.

हिंदू एक वर्ष के बारह मासों के नाम ये हैं-
माघ मघा में...!
फाल्गुन या फागुन उत्तराफाल्गुनी में...!
चैत्र या चैत - नक्षत्र चित्रा में पूर्णिमा होने के कारण...!
वैशाख या बैसाख विशाखा में होने के...!
ज्येष्ठ या जेठ ज्येष्टठा में...!
आषाढ या आसाढ़ पूर्वाषाढा में...!
श्रावण या सावन श्रवण में...!
भाद्रपद या भादों पूर्वा भाद्रपदा में...!
आश्विन अश्विनी में...!
कार्तिक या कातिक कृत्तिका में...!
अग्रहायण या अगहन या मार्गशीर्ष मृगशिरा में...!
पौष या पूस पुष्य में...!
यानि कुल बारह मास या माह कह लें.

चंद्रमास के नाम : चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन।
 
महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है:-...?
1.चैत्र : चित्रा, स्वाति.
2.वैशाख : विशाखा, अनुराधा.
3.ज्येष्ठ : ज्येष्ठा, मूल.
4.आषाढ़ : पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा.
5.श्रावण : श्रवण, धनिष्ठा.
6.भाद्रपद : पूर्वभाद्र, उत्तरभाद्र.
7.आश्विन : अश्विन, रेवती, भरणी.
8.कार्तिक : कृतिका, रोहणी.
9.मार्गशीर्ष : मृगशिरा, उत्तरा.
10.पौष : पुनर्वसु, पुष्य.
11.माघ : मघा, अश्लेशा.
12.फाल्गुन : पूर्वाफाल्गुन, उत्तराफाल्गुन, हस्त.

पौष : सोमवार,20 दिसंबर 2021 से सोमवार, 17 जनवरी 2022 तक
माघ : मंगलवार, 18 जनवरी 2022 से बुधवार, 16 फरवरी 2022 तक
फाल्गुन : बृहस्पतिवार, 17 फरवरी 2022 से शुक्रवार, 18 मार्च 2022 तक
चैत्र : शनिवार, 19 मार्च 2022 से शनिवार, 16 अप्रैल 2022 तक
बैशाख : रविवार, 17 अप्रैल 2022 से सोमवार, 16 मई 2022 तक
ज्येष्ठ : मंगलवार, 17 मई 2022 से मंगलवार 14 जून 2022 तक
आषाढ़ : बुधवार, 15 जून 2022 से बुधवार, 13 जुलाई 2022 तक
श्रावण : बृहस्पतिवार, 14 जुलाई 2022 से शुक्रवार,12 अगस्त 2022 तक
भाद्रपद : शनिवार, 13 अगस्त 2022 से शनिवार, 10 सितंबर 2022 तक
आश्विन : रविवार 11 सितंबर 2022 से रविवार, 9 अक्टूबर 2022 तक
कार्तिक : सोमवार 10 अक्टूबर 2022 से मंगलवार, 8 नवंबर 2022 तक
मार्गशीर्ष : बुधवार 09 नवंबर 2022 से बृहस्पतिवार, 08 दिसंबर 2022 तक
पौष : शुक्रवार 09 दिसंबर 2022 से...

नव वर्ष उत्सव 4,000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था, लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी, प्राचीन रोम में भी नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी, रोम के शासक जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया, ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था.

वहीं हिब्रू मान्यताओं के अनुसार ईश्वर के द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे, इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है, यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक ५ सितम्बर से ५ अक्टूबर के बीच आता है.

भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है, प्रायः ये तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है.

वही पंजाब में नया साल बैशाखी नाम से १३ अप्रैल को मनाई जाती है, सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार १४ मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है, इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा तमिळ नव वर्ष भी आता है, तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है, आंध्रप्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं, यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है.

तमिल नया साल विशु १३ या १४ अप्रैल को तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है, तमिलनाडु में पोंगल १५ जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है, कश्मीरी कैलेंडर नवरेह १९ मार्च को होता है, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है.

मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए साल के रूप में मनाया जाता है, मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है, गुजराती नया साल दीपावली के दूसरे दिन होता है, इस दिन जैन धर्म का नववर्ष भी होता है, लेकिन यह व्यापक नहीं है, अक्टूबर या नवंबर में आती है, बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी १४ या १५ अप्रैल को आता है, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नया साल होता है.

जबकि इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है, इस्लामी कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है जिसके कारण इसके बारह मासों का चक्र ३३ वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूम लेता है, इसके कारण नव वर्ष प्रचलित ग्रेगरी कैलेंडर में अलग अलग महीनों में पड़ता है.

वहीं जैन नववर्ष, दीपावली का दूसरा दिन होता है, यह दिन वीर निर्वाण संवत के अनुसार वर्ष की शुरुआत माना जाता है, इस बारे में बहुत ही कम लोगों को विदित है, मान्यतानुसार दीपावली को महावीर स्वामी का निर्वाण हुआ था.

जैन के अनुसार भगवान वर्धमान महावीरस्वामीजी के निर्वाण के वर्ष के रूप में ५२७ ईसा पूर्व का उल्लेख करने वाला सबसे पहला पाठ यति-वृषभ का तिलोय-पन्नति (५ वीं शताब्दी ईस्वी) है, इसके बाद के कार्य जैसे कि जिनेसा के हरिवामसा (७८३ CE) में वीर निर्वाण युग का उल्लेख है, और इसके और शाका युग के बीच के अंतर को ६०५ साल और ५ महीने के रूप में बताया.

२१ अक्टूबर १९७४ को पूरे भारत में जैनियों द्वारा २५०० वां निर्वाण महोत्सव मनाया गया और विदेश में भी मनाया गया, जैन समाज द्वारा दीपावली, महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है, जैन ग्रथों के अनुसार महावीर स्वामी (वर्तमान अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर) को चर्तुदशी के प्रत्युष काल में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, चर्तुदशी का अन्तिम पहर होता है इसलिए जैन लोग दीपावली अमावस्या को मनाते है, संध्या काल में तीर्थंकर महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, अतः अन्य सम्प्रदायों से जैन दीपावली की पूजन विधि पूर्णतः भिन्न है.

गुड़ी पड़वा (मराठी-पाडवा) के दिन हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है, चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है, इस दिन हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है, 'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है, कहते हैं शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं (शक) का पराभव किया, इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है, ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व 'ग़ुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है, इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है.

अब आप लोगों की सब कुछ समझ मैं आ गया होगा हम चाहते हैं कि इस रोम के शासक जूलियस सीजर के इस साल को मनाने से छुटकारा मिले, हमारा देश अखंड भारत बने और साथ ही हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा हो जो इस मज़बूत सरकार मैं भी सपना ही बना हुआ है, हिंदू मुस्लिम के बीच की दूरियां कम हों, भारत दुनियां की ग़ुलामी नहीं राज करे, ये हमारा सपना है...!

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