मौजूदा पीएम नरेन्द्र मोदी के घोर हिंदुत्ववादी होने के बावजूद न तो उनके भाई-भतीजे दंगाई हैं और न ही उन्होंने कोई ऐप बनाया है, बल्कि वो लोग आज बड़े कारोबारी हैं.
दूसरे गृहमंत्री अमित शाह घोर हिंदुत्ववादी होने के बावजूद उनका बेटा जय शाह ना दंगाई है, और ना ही उसने कोई नफ़रत से भरा ऐप बनाकर किसी को ठेस पहुंचाई है, बल्कि वो भी आज एक बड़ा कारोबारी होने के साथ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड मैं मुख्य पद पर आसीन है.
बाकी देश के सभी हिंदुत्ववादी नेताओं की औलादों का भी यही हाल है, सभी परिजनों का हाल भी यही है, आप एक एक हिंदुत्ववादी नेता का नाम याद करते जाइए तब सर्च करिए उनके बच्चों और परिजनों के बारे में, मैं पूरे यकीन ये कह सकता हुँ कि आपको वहां ना कोई दंगाई मिलेगा, ना कोई किसी प्रकार का ऐप निर्माता या वेबसाइट बनाने वाला मिलेगा, सब अच्छी और कामयाब ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं.
अब आप अपनी तरफ़ देख सोचें कि ऐसे में आपके परिवार का कोई व्यक्ति अगर दंगाई हो गया है, यदि किसी ने बुल्ली बाई टाइप का कोई ऐप बनाया है या कोई वेबसाइट बनाकर किसी की धर्म या जाति पर हमला कर अगर किसी का अपमान कर रहा है या वो किसी की तस्वीरों को ग़ैर कानूनी तरीके से चुरा कर नीलाम कर रहा है, तब ये आपकी गलती है और आज एक बारूद के ढेर पर बैठे हैं...!
और जिस दिन आपकी समझ में ये बात आ जाएगी कि ये सारे खुद सत्ता की मलाई चाट रहे हैं, अपने बच्चों को अच्छी पोस्ट पर स्थापित कर रहे हैं, जबकि आपको या आपके बच्चों को दंगाई बना रहे हैं, नफ़रती बना रहे हैं, उसी दिन देश ही नहीं आपके परिवार मैं भी सब कुछ ठीक हो जाएगा, चैन की नींद आप और हम सो सकेंगे, याद करो अब से तीस साल पुराने समय को जब नफ़रत इतनी नहीं थी, एक दूसरे से मुहब्बत थी.
मुझे पूरा यकीन है कि आज नहीं तो कल ये बात आपकी समझ में ज़रूर आयेगी, और आप सोचोगे इस चल रहे वक़्त के बारे मैं, याद करो अपने पड़ोसी दोस्त या साथ काम करने वाले राम-रहीम के बारे मैं वो कैसा वक़्त था, क्या राम ने किसी का कुछ बिगाड़ा था या रहीम से किसी राम को कोई परेशानी थी, क्या किसी तीसरे नये और अनजान व्यक्ति को ये मालूम था कि आपका बेटा राम है या रहीम है...?
बस एक बात ज़रूर है जिसकी मुझे फ़िक्र है चिंता है, कि ये बात जितनी देर में आपकी और हमारी समझ में आएगी, हमारे समाज और नौजवानों को उतना ही अधिक नुकसान हो चुका होगा और तब उस ग़लती की पूर्ति करने में इतना ही ज़्यादा वक़्त भी लगेगा, हो सकता है उसमें कई पीढ़ियां खप जाये और कई नस्ल तबाह हो चुकी हों, जो हमारे युवा दुश्मन देश के लिए खड़े होने चाहिए वो अपने के सामने खड़े हों ये देश के लिए बेहद ख़तरनाक है, सोचो जब आपका दोस्त राम सही है तब मेरा दोस्त रहीम कैसे ख़राब हो सकता है, जब आपका रहीम सही है तब मेरा दोस्त राम कैसे ग़लत हो सकता है...??
आज देश के कई राज्यों मैं चुनाव की घोषणा हो चुकी है, ख़ूनी दरिंदे फ़िराक़ मैं हैं कि किसी भी बहाने ख़ून बहाया जाये, सत्ता की कुर्सी आज इंसानी ख़ून से तिलक करने के बाद हासिल होती है, किसका ख़ून...? किसी बे गुनाह दोस्त राम का ख़ून तो कहीं, किसी बे गुनाह दोस्त रहीम का ख़ून, पूछो जिसका लाल राम मरा उसको क्या मिला या जिसका लाल रहीम मरा उसको क्या मिला...???
दूसरे आज़ादी से लेकर आज तक के इतिहास को उठाकर देखो अलग मुल्क पाकिस्तान बनने के बाद भी अगर हमारे पूर्वज पाकिस्तान नहीं गये तब उसका मतलब साफ़ है वो अपने भाई से बढ़कर ज़िगरी दोस्त को छोड़कर नहीं जाना चाहते थे, और एक नहीं लाखों मि सा लें हैं जब अपने सगे भाई बहनों को छोड़ अपने पड़ोसी राम की मुहब्बत मैं अपने देश भारत को चुना, इस्लाम के नाम पर बना अलग मुल्क पसंद नहीं था, नाम ही नफ़रती जो था, ये मुहब्बत का सबसे बड़ा सबूत है, आज पड़ोसी मुल्कों से मुकाबले के लिए हमको अपनी उसी एकता की ज़रूरत है, और जिन्होनें नफ़रत की आग लगा दिलों मैं एक दूसरे से डर बिठाकर हमको बांटकर जब जब सत्ता हासिल की तब सत्ता पर काबिज़ होने के बाद कितना सुकून मिला...?
डर किसका अपने ही देश मैं अपनों से डर बिठाने वाले को क्या कहा जाये, उपर दी गई तस्वीरों मैं देखो कौन हिंदू और कौन मुसलमान...?
वो भी तब जब दो दुश्मन पड़ोस मैं मौजूद हों और दोनों आपस मैं हाथ मिला लें, तब हमको क्या करना चाहिए...?
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