अस्सलामु अलेयकुम वा रहमत्तुल्लाहि वा बरकातेहु,
शुरू अल्लाह को नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम करने वाला है...!
निकाह में खानदान और माल की बराबरी ज़रूरी नही...?
दोस्तों आज हमारे मुआशरे में हम देखते हैं कि शादी के लिये रिश्ता तय करने में खानदान और माली हैसियत को जरूरत से ज्यादा अहमियत दी जाती है, लेकिन इस्लाम ने जिस चीज को अहमतरीन खूबी करार दिया है वो दीनदारी है।
गैर खानदान या गैर बिरादरी में निकाह करने या अपने से कमतर माली हैसियत वाले घर में