एस एम फ़रीद भारतीय
तुर्की के सबसे पहले सैय्यदना आख़िरी पैगंबर नबी ए करीम सअव मदीना , सऊदी अरब सोम 12 रबी अल-अव्वली (570/571 सीई) 12 रबी अल-अव्वल 11 आह (5/6 जून 632 सीई) थे और हज़रत महमूद अफ़ांडी 37 वें सैय्यना रहे, ये तुर्की का सबसे बड़ा ओहदा होता है.
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब
एर्दोगान के पीर-ओ-मुर्शिद हजरत शेख महमूद आफंदी का आज लगभग 95 साल (1929 - 23 जून, 2022), की उम्र में इंतकाल हो गया, आपकी तमाम ज़िंदगी हमेशा ही बड़ी जद्दो जहद मैं गुज़री और शरीयत व सुन्नत को हमेशा आपने ज़िंदा रखने की कोशिश की.खिलाफत उस्मानिया के खात्मे के बाद, जिस तरह से आपने एक ज़िंदा दिली से ज़िंदगी को जिया और तुर्कों की एक पूरी पीढ़ी को दीन व शरीयत के रास्ते पर रखने की कोशिश की, वो आपकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी जंग और जद्दो जहद थी.
तुर्क एक ज़िंदा क़ौम के नाम से पूरी दुनियां मैं जानी जाती है, मुल्क पर लगी पाबंदियां आने वाले साल हटने वाली हैं हजरत उनको नहीं देख सके कि तुर्कीय कैसा होगा, ये नाम तुर्की से तुर्कीय भी हज़रत ने ही अर्दगान साहब को सुझाया,जिसके पीछे बहुत सी ज़िंदगियां बचाने का राज़ छुपा है, तुर्की दुनियां का अकेला ऐसा मुल्क है जो सौ साला पाबंदियों के बाद भी कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ता रहा, तेल अपना है, मगर पाबंदी की वजह से निकाल नहीं सकता, रूस से ख़रीदकर काम चला रहा है.
आपकी पैदाईश तुर्की इस्तांबुल के एक गाँव के इमाम साहब के घर मैं पैदा हुए थे, आप हजरत 10 साल की उम्र में अपने वालिद के साथ रहकर हाफिज बन गये और 16 साल की उम्र तक इजाजा हासिल करते हुए मदरसा की तालीम को जारी रखी, बाद में अपने चचेरे बहन से शादी की और इमाम के रूप में अपना काम शुरू किया.
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