Saturday, 10 December 2011
कितना ही दहाड़ ले चीनी ड्रैगन, 'इनके' सामने अब भी है फिसड्डी ?
बीजिंग. चीन ने भले ही अपनी नौसेना शक्ति को मजबूत बना लिया हो, लेकिन अपने चिरप्रतिद्वंदी अमेरिका से वो फिलहाल बहुत पीछे है। चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ ने मंगलवार को सैन्य मुकाबले की तैयारी पुख्ता करने के आदेश देकर सभी को चौंका दिया। लेकिन यदि चीनी नौसेना की तुलना अमेरिका की विशाल नौसेना से की जाए, तो अंकल सैम का पलड़ा भारी ही दिखता है। अमेरिकी नौसेना में बहुत से ऐसे हथियार शामिल हैं जो कि दुनिया की किसी भी सेना को निस्तेनाबूत कर सकते हैं। चीन के पास विश्व की सबसे बड़ी थल सेना है, लेकिन समुद्र में अमेरिका ज्यादा ताकतवर है। आइए जरा नजर डालते हैं इन दो महाशक्तियों की नौसेना क्षमता पर ? चीन चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी सेना है। इसमें लगभग 23 लाख सैनिक शामिल हैं। इसमें से 3 लाख नौसेना में कार्यरत हैं। चीनी नौसेना के सैनिक तीन बेड़ों में बंटे हुए हैं। चीन के पास 30 विशाल मिसाइल ध्वंसक पोत, आधा दर्जन परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियां और कुछ न्यूक्लियर बेलिस्टिक मिसाइल सबमरीन हैं। इसी साल चीन ने अपना पहला एयरक्राफ्ट कैरियर सबके सामने पेश किया। 300 मीटर लंबे और 55 हजार टन वाले इस सोवियत पोत का पहला ट्रायल 10 अगस्त 2011 को किया गया था। इसके बाद नवंबर में एक बार फिर चीन ने इसको समुद्र में उतारकर अपनी ताकत दिखायी। अमेरिका विशेषज्ञों की मानें तो चीन की नौसेना अमेरिका की तुलना में बहुत छोटी है। अमेरिका के पास बड़ी और तकनीकी अत्यधिक परिष्कृत समुद्री बल है। यूएस पेसिफिक फ्लीट के पास 79 जहाज और पनडुब्बी अमेरिका के पश्चिमी तट पर, हवाई में 29, जापान में 19 और पैसिफिक क्षेत्र गुआम में चार तैनात हैं। अमेरिका के 11 में से 6 एयरक्राफ्ट कैरियर का बेस प्रशांत सागर में है। इसमें जापान के योकोसूका नेवल बेस पर खड़ा यूएसएस जॉर्ज वाशिंगटन भी शामिल है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में अमेरिका के लगभग 50 नेवल जहाज हर समय चौकन्ने रहते हैं। दोनों देशों की नौसेना पर वाशिंगटन के जेम्सटाउन फाउंडेशन में कार्यरत चीनी मिलिट्री विशेषज्ञ डेनिस ब्लास्को का कहना है, "चीन को अमेरिकी सैन्य क्षमताओं के विषय में बहुत कम जानकारी है। 1991 से लगातार हो रहे सैन्य क्षमता के प्रदर्शन दोनों के बीच के अंतर को दिखा रहे हैं।"
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