वॉशिंगटन. चीन की सैन्य ताकत की बढ़ती भूख के मद्देनजर भारत बेहद सतर्क है। अमेरिका में तैनात भारत की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि भारत बीजिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत को मजबूत करने की कोशिश में है।
अमेरिका में भारत की राजदूत निरुपमा राव ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘चीन हमारा सबसे बड़ा पड़ोसी है और इसकी प्रगति एक हकीकत है जो सारी दुनिया को पता है। हमने बीते दो दशकों से उसके साथ बातचीत को और मजबूत करने की कोशिश की है।’
उन्होंने कहा, 'मुझसे अकसर पूछा जाता है कि चीन से हमारे रिश्ते प्रतिद्वंदिता या फिर संसाधनों पर कब्जे पर आधारित होंगे। मैं चीन के साथ भारत के संबंधों को इन कठोर मापदंडों पर परिभाषित नहीं करना चाहती। पिछले दो दशकों में हमने द्विपक्षीय बातचीत बढ़ाई है और रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की है। आज चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है। भारत और चीन के रिश्तों में शांति और मिठास बनी रही है।'
राव ने कहा, ‘ऐसे वक्त में हमें इस बात को लेकर भी सतर्क रहना होगा कि चीन अपनी सैन्य ताकत में बढ़ोतरी कर रहा है, सेना का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है और हमारे क्षेत्र में सुरक्षा हालात के आकलन को लेकर नए पैमाने गढ़ रहा है। ऐसे में हमारे सामने भारत-चीन संबंधों को बरकरार रखने की चुनौती है। यह बातचीत और कूटनीति के जरिये ही संभव है।’
रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने बुधवार को संसद के माध्यम से देश को आश्वस्त किया कि सीमा के पास चीन द्वारा किए जा रहे ढांचागत विकास की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। एंटनी ने कहा कि निगरानी और नियमित गश्त के जरिए कारगर ढंग से सीमाओं की रखवाली की जा रही है और सैन्य बल किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।
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