गुजरात दंगे : सुनवाई 13 फरवरी को मिल सकती है मोदी को राहत ?
अहमदाबाद। 2002 के गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी फाइनल रिपोर्ट में कहा है कि जाकिया जाफरी की शिकायत में कोई तथ्य नहीं हैं। एसआईटी ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जाफरी की शिकायत पर अंतिम जांच रिपोर्ट बुधवार को स्थानीय कोर्ट में बंद लिफाफे में सौंप दी। एसआईटी को अपनी जांच में मोदी सहित 56 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले है, इसी आधार पर एसआईटी ने मामले को बंद करने संबंधी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है। मामले की सुनवाई 13 फरवरी को होगी।
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि गुलबर्ग कांड में मारे गए पूर्व सांसद एहसान जाफरी ने 28 फरवरी, 2002 को मदद के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी या अहमदाबाद के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर पीसी पांडे को फोन किए हों ऐसे कहीं भी प्रमाण नहीं मिले। उनके घर के लैंडलाइन फोन से जिन नंबरों पर फोन किए गए थे वे उनके रिश्तेदार के हैं। एक फोन बापूनगर और दूसरा फोन अहमदाबाद के दाणीलिमडा इलाके में किया गया था।
वैमनस्य वाले बयान दिए थे, कार्रवाई का निर्णय कोर्ट करे :
एसआईटी ने हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री ने दो समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने वाले बयान दिए थे। लेकिन उनके खिलाफ किसी भी कार्रवाई का अंतिम निर्णय अदालत पर छोड़ दिया। गौरतलब है कि एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 63 लोगों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था।
तीसरा कुआं खोद के जांच की गई :
हाल ही में मोदी के खिलाफ आवाज उठाने वाले आईपीएस अफसर संजीव भट्ट ने आरोप लगाया था कि नरोडा हत्याकांड के बाद दंगाइयों ने लाशों को नजदीक के तीसरा कुआं नामक कुएं में डाल दिया था। एसआईटी ने इस आरोप के बारे में कहा कि फायर ब्रिगेड की मदद से इस कुएं की जांच की गई, लेकिन वहां से कोई भी लाश या उसके प्रमाण नहीं मिले। चीफ फायर ऑफिसर महेनूझ दस्तूर ने कहा कि उस वक्त हमने कुएं में 20 तक खुदाई कर जांच की थी, लेकिन कोई भी लाश नहीं मिली। इस बारे में मैंने अदालत में भी बयान दिया है।
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