Tuesday 8 May 2012

मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे में आना चाहिए या नहीं ?


उप्र के लोकायुक्त ने कहा कि प्रदेश की पूर्व सरकार में मंत्री रहे कई नेता जांच के घेरे में हैं, कुछ पूर्व मंत्री बयानबाजी करके सीमा लांघ रहे हैं, इनकम टैक्स बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के दायरे में आना चाहिए या नहीं, इस बारे में कोई भी निर्णय विधानसभा में चुने गए जनप्रतिनिधि लेंगे. 


पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में जांच के आदेश दिए जाने के बाद उपाध्याय द्वारा दिए गए बयान पर उन्होंने कहा कि लोकायुक्त जांच के दायरे में आए किसी भी नेता या अधिकारी को कोई भी बयान देने से पहले सोचना चाहिए, उन्हें अनुशासन की सीमा रेखा नहीं लांघनी चाहिए. 

रामवीर उपाध्याय के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले आए थे, जिसकी जांच कराने की बात कही है और अगर वह उनकी जांच कराने की बात कहते हैं तो उन्हें अपनी अनुशासन की सीमा रेखा को भी देखना होगा,  बसपा सरकार के पूर्व मंत्रियों नसीमुद्दीन और अयोध्या पाल के बेटों को लोकायुक्त के समक्ष बुलाए जाने के मुद्दे पर मेहरोत्रा ने कहा कि इन दोनों पूर्व मंत्रियों के बेटों को गवाह के रूप में कई बार बुलाया जा चुका है, ताकि वह आकर यह स्पष्ट करें कि उनके पास पिछले कुछ वर्षों में आय से अधिक संपत्ति कैसे आई है, लेकिन, अभी तक इन दोनों मंत्रियों के बेटे लोकायुक्त के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं. 

दोनों मंत्रियों के पुत्र कोई लोक सेवक या जनता से जुड़े हुए नहीं हैं, इसलिए उन्हें गवाह के तौर पर ही बुलाया जा सकता है, यह दोनों पूर्व मंत्री के पुत्र खुद आकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दें, वरना इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी....

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