किस हक़ से गये हैं पावरफ़ुल मंत्री जी यूएनओ मैं ?
यूपी की सरकार ओर सरकार के मंत्री हमेशा ही दिखावा ओर दिखावे की हिमायत करते रहे हैं, कभी समाजवादी या बसपा की सरकार ने मानवाधिकार कानून को लागू करने मैं दिलचस्पी तो क्या हाईकोर्ट के कानूनों या आदेशों को नहीं माना.
हमेशा ही दिखावा ओर टालमटोली की
है मानवाधिकार कानून या आयोग को ताक़त या विस्तार करने के नाम पर.
आज अगर यूपी मैं मानवाधिकार आयोग सही ताक़त ओर पूरे जोश से काम कर रहे होते तब प्रदेश की ताक़त ओर हालत बदली हुई होती.
लेकिन हमेशा ही प्रदेश की जनता के साथ धोखा हुआ है ओर मानवाधिकार कानून ओर विस्तार को ठंडे बस्ते मैं डालकर अधिकारियों को जनता का सेवक बनाने या जनता को संवादकर जवाब देही वाला जनसेवक बनाने के बजाये अधिकारी ही रखा है .
तब मैं मान्नीय मंत्री आज़म ख़ान साहब से मालूम करना चाहता हुँ कि आप इतने क़द्दावर ओर सत्ता मैं होते हुए भी कैसे यूएनओ मैं गये?
इससे ये साबित होता है कि आप कमज़ोर ओर लाचार कल भी थे ओर आज भी हैं.
अगर आप सरकार मैं रहकर वो भी उस सरकार मैं जो पूरे बहुमत की सरकार हो अपने आपको कमज़ोर या लाचार महसूस करते हैं तब आपको ऐसी सरकार को ओर पदों को छोड़ देना चाहिए.
आपको यूएनओ मैं गुहार करने से पहले अपने वज़न ओर वजूद को देखना चाहिए था लेकिन शायद समाजवादी की राजनीति करते करते आप सब कुछ भूल बैठे हैं ओर अपने को प्रदेश का मंत्री ना मान आज भी सिर्फ रामपुर का एक आम नागरिक वो भी कमज़ोर ओर लाचार मान रहे हैं .
अगर आपको प्रदेश की जनता के हित मैं कुछ करना ही है तब आप जो मानवाधिकार आयोग के विस्तार मैं रूकावटे पैदा की गई हैं उनको दूर कराकर प्रदेश ओर ज़िलों मैं मानवाधिकार आयोगों को कायम कर जनता को न्याय दिलाने के साथ लूट ओर घोटालों से बचाने का काम करें इसके लिए आवाज़ बुलंद करें तब आपको प्रदेश की जनता हमेशा याद रखेगी.
आपका नाम भी इतिहास मैं दर्ज होगा.
एस एम फ़रीद भारतीय
मानवाधिकार कार्यकर्ता
पूर्व सचिव पीयूसीएल
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