नाटकों की खराब हालत के लिए सांस्कृतिक नीतियाँ ज़िम्मेदार - अरविंद गौड़
थियेटर की दुनिया में 'अरविंद गौड़' एक जाना - पहचाना नाम है. एक अच्छे निर्देशक के रूप में उनकी ख्याति है.नाट्य ग्रुप 'अस्मिता' के माध्यम से वे लगातार नाटकों का मंचन करते आ रहे हैं.तुगलक, रक्त कल्याण, अँधा युग, कोर्ट मार्शल, काल कोठरी, एक मामूली आदमी, कानपुर की औरत भली रामकली, फायनल सोल्यूशन, तारा, वारेन हेस्टिंग्स का सांड, अंतिम दिवस, लोग - बाग़, वेटिंग फॉर गोडौट आदि उनके द्वारा निर्देशित कुछ बेहतरीन नाटक हैं. हाल ही में ‘द लास्ट सैल्यूट’’ नामके नाटक से भी उन्होंने सुर्खियाँ बटोरी. नाटकों की वर्तमान स्थिति पर पेश है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
(दरअसल यह इंटरव्यू वर्ष 2003 में लिया गया था. जामिया मिल्लिया इस्लामिया के टेलीविजन जर्नलिज्म कोर्स के एक क्लास प्रोजेक्ट के लिए.इंटरव्यू पुराना है लेकिन नाटकों के संदर्भ में की गयी बातचीत की प्रासंगिकता अब भी बाकी है.)
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