कुछ माह पहले तक सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी न्यूज़ चैनलों के स्व नियंत्रण की बात कहती थी. लेकिन अण्णा के मामले में न्यूज़ चैनलों की धुँआधार कवरेज और सरकार की फजीहत के बाद अब अंबिका सोनी के सुर में भी बदलाव है. इसी मसले पर इंडिया टुडे ने उनसे संक्षिप्त बातचीत की, उसी बातचीत को हम यहाँ नीचे प्रकाशित कर रहे हैं.
'हम पर नजरअंदाज करने के आरोप लगाए जा रहे हैं'
अंबिका सोनी मई 2009 से सूचना और प्रसारण मंत्री हैं, यही वह अवधि है जिसमें संयोगवश यूपीए-2 के लिए परेशानियों का दौर शुरू हुआ है. वे विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला कर रही हैं, अप्रैल में अण्णा हजारे के अनशन के बाद से मीडिया पर मंत्रियों के समूह के लिए दबाव बनाया जा रहा था और समाचार चैनलों को नियंत्रित करने के आह्वान के खिलाफ भी वे खड़ी रहीं. 7 अक्तूबर को, जहां कैबिनेट के टीवी चैनलों पर प्रस्तावों ने हंगामा मचा दिया था, उन्होंने कहा कि ''आलोचना सिर्फ मीडिया घरानों से हो रही है, जिनके चैनल हैं.'' संपादक कावेरी बामजई के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंशः
दिशा-निर्देशों में संशोधन की जरूरत क्यों महसूस की गई?
जब मैंने 2009 में पदभार संभाला था, मुझसे एक दिन में 55 चैनल और तीन हफ्ते बाद 32 चैनलों को मंजूरी देने के लिए कहा गया. मैंने कोई पानवाले की दुकान नहीं खोली थी. मैंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को लिखा, साथ ही कुछ शिकायतें भी थीं जिनमें रियल एस्टेट से जुड़े लोग अपने चैनलों का प्रयोग धौंस जमाने के लिए कर रहे थे. इसलिए हमने शुद्ध संपत्ति बढ़ाने का फैसला किया और शीर्ष प्रबंधन में एक सदस्य को मीडिया का अनुभव होने संबंधी मानदंड को लेकर आए. इसके साथ ही, नवीकरण के लिए लाइसेंस आ रहे हैं. अब कैबिनेट ने हमें उन चैनलों के लाइसेंस नवीकरण की इजाजत दे दी है, जिन्होंने कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता का पांच या उससे अधिक बार उल्लंघन नहीं किया है.
कौन तय करेगा कि उल्लंघन क्या है?
इसे स्थापित आत्म नियंत्रण तंत्र के साथ परामर्श के बाद निर्धारित किया जाएगा. उल्लंघन के तीन मामलों को छोड़कर हमने पिछले तीन माह में किसी तरह की कोई चेतावनी भी जारी नहीं की है. लेकिन हां, न्यू.ज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के सिर्फ 45 सदस्य हैं. भारत में समाचार और समसामयिक मामलों से जुड़े 366 चैनल हैं. क्या यहां का कानून उन पर लागू नहीं होता?
क्या मीडिया पर नियंत्रण को लेकर आप पार्टी के दबाव में हैं?
लोग आरोप लगा रहे हैं कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय नजरअंदाज कर रहा है. मैं समाचार चैनलों से कह चुकी हूं, अपने आपको देखें कि आप किस तरह लोगों की बदनामी कर रहे हैं. आत्मनियंत्रण सर्वश्रेष्ठ है लेकिन इसे महज दो शब्द ही न रहने दें. मैं महसूस करती हूं कि यूपीए खुली सोच वाला है. यूपीए की अध्यक्ष खुले विचारों वाली हैं, ऐसे ही प्रधानमंत्री भी हैं.
कांग्रेस में नियंत्रण की सख्त वकालत करने वाले भी हैं?
जब आप ढेर सारे हमलों के पात्र बन जाते हैं तब आप पल भर के लिए प्रतिक्रिया कर सकते हैं. एक नेता होने के नाते हमारे पास अपने बारे में कुछ विचार हो सकते हैं जिनसे दूसरे सहमत नहीं हो सकते. मैं चाहूंगी कि आत्म नियंत्रण प्रणाली को लागू किया जाए. अगर मेरा नेतृत्व समझता है कि मैं निष्प्रभावी हूं, तो मुझे मंत्रालय छोड़ने में कोई आपत्ति नहीं है.
किस समय आप मीडिया पर नियंत्रण को लेकर अत्यधिक दबाव में थीं? अण्णा हजारे भाग-1 या भाग-2?
भाग-2. मुझसे कहा गया कि मीडिया के कारण हम हार रहे हैं. लेकिन किसी को एहसास है कि सिर्फ दूरदर्शन पर ही मेरा कुछ नियंत्रण है. बाकी का मीडिया मेरी प्रॉपर्टी नहीं है. वे मुझसे या अन्य किसी से क्यों डरेंगे? मुझे लगता है मीडिया भी इस रौ में बह गया. मुझे लगता है कि खासकर हिंदी चैनल काफी आक्रामक और व्यापक पहुंच वाले हैं.
(मूलतया इंडिया टुडे (२६ अक्तूबर अंक) में प्रकाशित. इंडिया टुडे से साभार)
'हम पर नजरअंदाज करने के आरोप लगाए जा रहे हैं'
अंबिका सोनी मई 2009 से सूचना और प्रसारण मंत्री हैं, यही वह अवधि है जिसमें संयोगवश यूपीए-2 के लिए परेशानियों का दौर शुरू हुआ है. वे विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला कर रही हैं, अप्रैल में अण्णा हजारे के अनशन के बाद से मीडिया पर मंत्रियों के समूह के लिए दबाव बनाया जा रहा था और समाचार चैनलों को नियंत्रित करने के आह्वान के खिलाफ भी वे खड़ी रहीं. 7 अक्तूबर को, जहां कैबिनेट के टीवी चैनलों पर प्रस्तावों ने हंगामा मचा दिया था, उन्होंने कहा कि ''आलोचना सिर्फ मीडिया घरानों से हो रही है, जिनके चैनल हैं.'' संपादक कावेरी बामजई के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंशः
दिशा-निर्देशों में संशोधन की जरूरत क्यों महसूस की गई?
जब मैंने 2009 में पदभार संभाला था, मुझसे एक दिन में 55 चैनल और तीन हफ्ते बाद 32 चैनलों को मंजूरी देने के लिए कहा गया. मैंने कोई पानवाले की दुकान नहीं खोली थी. मैंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को लिखा, साथ ही कुछ शिकायतें भी थीं जिनमें रियल एस्टेट से जुड़े लोग अपने चैनलों का प्रयोग धौंस जमाने के लिए कर रहे थे. इसलिए हमने शुद्ध संपत्ति बढ़ाने का फैसला किया और शीर्ष प्रबंधन में एक सदस्य को मीडिया का अनुभव होने संबंधी मानदंड को लेकर आए. इसके साथ ही, नवीकरण के लिए लाइसेंस आ रहे हैं. अब कैबिनेट ने हमें उन चैनलों के लाइसेंस नवीकरण की इजाजत दे दी है, जिन्होंने कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता का पांच या उससे अधिक बार उल्लंघन नहीं किया है.
कौन तय करेगा कि उल्लंघन क्या है?
इसे स्थापित आत्म नियंत्रण तंत्र के साथ परामर्श के बाद निर्धारित किया जाएगा. उल्लंघन के तीन मामलों को छोड़कर हमने पिछले तीन माह में किसी तरह की कोई चेतावनी भी जारी नहीं की है. लेकिन हां, न्यू.ज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के सिर्फ 45 सदस्य हैं. भारत में समाचार और समसामयिक मामलों से जुड़े 366 चैनल हैं. क्या यहां का कानून उन पर लागू नहीं होता?
क्या मीडिया पर नियंत्रण को लेकर आप पार्टी के दबाव में हैं?
लोग आरोप लगा रहे हैं कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय नजरअंदाज कर रहा है. मैं समाचार चैनलों से कह चुकी हूं, अपने आपको देखें कि आप किस तरह लोगों की बदनामी कर रहे हैं. आत्मनियंत्रण सर्वश्रेष्ठ है लेकिन इसे महज दो शब्द ही न रहने दें. मैं महसूस करती हूं कि यूपीए खुली सोच वाला है. यूपीए की अध्यक्ष खुले विचारों वाली हैं, ऐसे ही प्रधानमंत्री भी हैं.
कांग्रेस में नियंत्रण की सख्त वकालत करने वाले भी हैं?
जब आप ढेर सारे हमलों के पात्र बन जाते हैं तब आप पल भर के लिए प्रतिक्रिया कर सकते हैं. एक नेता होने के नाते हमारे पास अपने बारे में कुछ विचार हो सकते हैं जिनसे दूसरे सहमत नहीं हो सकते. मैं चाहूंगी कि आत्म नियंत्रण प्रणाली को लागू किया जाए. अगर मेरा नेतृत्व समझता है कि मैं निष्प्रभावी हूं, तो मुझे मंत्रालय छोड़ने में कोई आपत्ति नहीं है.
किस समय आप मीडिया पर नियंत्रण को लेकर अत्यधिक दबाव में थीं? अण्णा हजारे भाग-1 या भाग-2?
भाग-2. मुझसे कहा गया कि मीडिया के कारण हम हार रहे हैं. लेकिन किसी को एहसास है कि सिर्फ दूरदर्शन पर ही मेरा कुछ नियंत्रण है. बाकी का मीडिया मेरी प्रॉपर्टी नहीं है. वे मुझसे या अन्य किसी से क्यों डरेंगे? मुझे लगता है मीडिया भी इस रौ में बह गया. मुझे लगता है कि खासकर हिंदी चैनल काफी आक्रामक और व्यापक पहुंच वाले हैं.
(मूलतया इंडिया टुडे (२६ अक्तूबर अंक) में प्रकाशित. इंडिया टुडे से साभार)
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