आजीवन फ्री इलाज के लिए करना होगा यह - दान ?
नई दिल्ली. देश में नागरिकों को अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार लुभावनी योजनाओं की तैयारी कर रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी नई योजना में स्वेच्छा से अंगदान करने वालों को जीवनभर मुफ्त इलाज और स्वास्थ्य जांच की सुविधा देने का निश्चय किया है। अंगदान की बात लोगों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार लगभग सभी राज्यों में नए केंद्र खोलने की सोच रही है। इस बाबत स्वास्थ्य मंत्रालय ने योजना आयोग को 12वीं पंचवर्षीय योजना में अलग से धन मुहैया कराने का अनुरोध किया है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंगदान के मामले में पश्चिमी देशों की तुलना में भारत काफी पिछड़ा हुआ है। देश के अस्पतालों में सैकड़ों मरीज अंगों की कमी की वजह से मर रहे हैं। इसी कारण केंद्र सरकार ने नागरिकों के बीच अंगदान की प्रवृति को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं पेश करने को सोचा है।
केंद्र सरकार ने अंगदान करने लोगों को आजीवन अस्पताल में इलाज की सुविधा निशुल्क देने का निश्चय किया है। समय-समय पर स्वास्थ्य जांच का खर्च भी सरकार ही वहन करेगी। मंत्रालय ने इसके लिए योजना आयोग से अतिरिक्त पैसा मुहैया कराने का अनुरोध किया है। संभावना है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना से यह कार्यक्रम शुरू हो जाएगा।
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सरकार का इरादा अंगदान की प्रक्रिया को आसान और सुविधाजनक करने के लिए 'सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन ऑर्गनाइजेशन' बनाने का भी है।
देश के सभी राज्यों में इसकी यूनिटें स्थापित की जाएंगी। इस ऑर्गनाइजेशन का मुख्य काम जरूरतमंद मरीजों और अंगदान करने वालों के बीच तालमेल बैठाना होगा। इसके अलावा दान दिए गए अंगों के रख-रखाव का पूरा जिम्मा भी इसी विभाग को संभालना होगा।
अंगदान की भारतीय कहानी
भारत में अंगदान का चलन नहीं के बराबर है। स्पेन में प्रति दस लाख लोगों में 35.1 अंगदान करते हैं। इसी तरह प्रति दस लाख लोगों के हिसाब से ब्रिटेन में 27, अमेरिका में 26, कनाड़ा में 14 और ऑस्ट्रेलिया में 11 लोग अंगदान करते हैं। इसके उलट भारत में अभी भी प्रति दस लाख लोगों में लगभग 0.08 लोग ही अंगदान करते है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में मरीज हर तीन मिनट में अंग प्रत्यारोपण नहीं होने की वजह से दम तोड़ देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हर साल भारत में अंग प्रत्यारोपण नहीं होने की वजह से दो लाख लोग मर जाते हैं।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंगदान के मामले में पश्चिमी देशों की तुलना में भारत काफी पिछड़ा हुआ है। देश के अस्पतालों में सैकड़ों मरीज अंगों की कमी की वजह से मर रहे हैं। इसी कारण केंद्र सरकार ने नागरिकों के बीच अंगदान की प्रवृति को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं पेश करने को सोचा है।
केंद्र सरकार ने अंगदान करने लोगों को आजीवन अस्पताल में इलाज की सुविधा निशुल्क देने का निश्चय किया है। समय-समय पर स्वास्थ्य जांच का खर्च भी सरकार ही वहन करेगी। मंत्रालय ने इसके लिए योजना आयोग से अतिरिक्त पैसा मुहैया कराने का अनुरोध किया है। संभावना है कि 12वीं पंचवर्षीय योजना से यह कार्यक्रम शुरू हो जाएगा।
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सरकार का इरादा अंगदान की प्रक्रिया को आसान और सुविधाजनक करने के लिए 'सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन ऑर्गनाइजेशन' बनाने का भी है।
देश के सभी राज्यों में इसकी यूनिटें स्थापित की जाएंगी। इस ऑर्गनाइजेशन का मुख्य काम जरूरतमंद मरीजों और अंगदान करने वालों के बीच तालमेल बैठाना होगा। इसके अलावा दान दिए गए अंगों के रख-रखाव का पूरा जिम्मा भी इसी विभाग को संभालना होगा।
अंगदान की भारतीय कहानी
भारत में अंगदान का चलन नहीं के बराबर है। स्पेन में प्रति दस लाख लोगों में 35.1 अंगदान करते हैं। इसी तरह प्रति दस लाख लोगों के हिसाब से ब्रिटेन में 27, अमेरिका में 26, कनाड़ा में 14 और ऑस्ट्रेलिया में 11 लोग अंगदान करते हैं। इसके उलट भारत में अभी भी प्रति दस लाख लोगों में लगभग 0.08 लोग ही अंगदान करते है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में मरीज हर तीन मिनट में अंग प्रत्यारोपण नहीं होने की वजह से दम तोड़ देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हर साल भारत में अंग प्रत्यारोपण नहीं होने की वजह से दो लाख लोग मर जाते हैं।
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