Tuesday 23 February 2016

खरी खरी – चालू चाचा कहें पुकार, 4 तरह के हैं पत्रकार ?

भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई ज़बरदस्ती तो है नहीं.

बात कल रात की है, हम दाढी बनवाने चौराहे तक गये थे, रास्‍ते में अपने चालू चाचा मिल गये, हमें देखते ही तपाक से बोले अमां मियां तुम कौन से वाले पत्रकार हो ?
हमने भी सकपकाते हुये पूछा चचा क्या पत्रकारों की भी कैटगरी होती है जो आप एैसा उलटा सवाल पूछ रहे हो, चचा ने पूरे आराम से गुटखा चबाते हुये जवाब दिया होती है मियां, 4
तरह के पत्रकार पाये जाते हैं हमारे भारत में, अब तुम बताओ तुम कौन से वाले हो ?
हमारी तो सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी, बताओ पत्रकारों के प्रकार भी होते हैं और हमें पता ही नहीं, हद हो गयी पिछले 24 साल की पत्रकारिता एक मिनट में बेकार साबित हो गयी, हमने भी ठान लिया कि इतनी आसानी से हार नहीं मानेंगें, हमने भी चचा पर बाउंसर डालते हुए पूछा कि चचा आप ही बता दो पत्रकारों की केटेगिरी के बारे में, हमारे विचार से तो पत्रकार केवल पत्रकार होता है उसमें प्रकार नहीं होते हैं.
चचा चालू ने गुटखा थूकते हुये कहा कि तुम निरे लल्लू  ही रहोगे, पत्रकार चार प्रकार के होते हैं, बिग, स्माल , मिनी और नैनो, बिग पत्रकार वो होते हैं जो फुल टाइम पत्रकार होते हैं, बड़े बड़े मीडिया हाउस में नौकरी करते हैं या अपना खुद का मीडिया हाउस चलाते हैं, बड़ी गाडियों में घूमते हैं और दलाली, वसूली  के साथ दलाली की ऊंची सेटिंग रखते है.
ये अपने को खुदा समझते हैं और बाकी सभी को तुछ, चार चेले जमा करके खुद ही अपनी गौरव गाथा गाते हुये आपको किसी भी पार्टी, होटल आदि जगहों पर मिल जायेंगे, दूसरी श्रेणी में आते हैं स्माल पत्रकार, होते तो ये भी फुल टाइम पत्रकार है पर ये थोडा श्रमजीवी टाइप के होते हैं, कुछ हजार की नौकरी में पूरी लाइफ गुजार देते हैं, पत्रकारिता को सीरियसली लेते हैं और कलम के पक्‍के होते हैं, दलाली की चाहत तो होती है पर किसी से मांग नहीं पाते हैं इसलिये दलाली यदाकदा ही मिल पाता है, अंदर से ये काफी जले फुंके होते हैं और इसीलिये कलम भी आग उगलती है.
अब आते हैं तीसरी श्रेणी पर?
तीसरी श्रेणी में आते हैं मिनी पत्रकार, ये बहुतायत में पाये जाते हैं, बिग पत्रकारों की चेलागिरी करना उनकी सेवा करना ये अपना परम धर्म समझते हैं, फील्‍ड में काम ये करते हैं और मजा बिग पत्रकार उठाते हैं, बदले में कमाई का थोडा बहुत हिस्सा इनको भी मिल जाता है, उसी में ये लोग खुश रहते हैं.
पत्रकारों की चौथी कटेगरी होती है नैनो पत्रकार. 
ये पार्ट टाइम पत्रकार होते हैं जो केवल गाडी पर प्रेस लिखकर, पुलिस वालों को धौंस देकर और यदाकदा किसी घटना दुर्घटना की सूचना अपने आफिस में देकर खुदको पत्रकार कहलाते हैं, अक्‍सर पैसे देकर या हाथ पैर जोडकर ये किसी संस्थान का प्रेसकार्ड हासिल कर लेते हैं और पूरी रंगबाजी के साथ पत्रकार बने घूमते हैं, खबर लिखने या अखबार की कार्यप्रणाली से इनका कोई लेना देना नहीं होता है.

ये सब सुन कर हमारे तो होश फ़ाक्ता हो गये, हमने पूछा चचा ये सब तुमको बताया किसने.
चचा बोले अरे अभी तुमने पूरी बात सुनी कहां है, और भी कई फुटकर टाइप पत्रकार होते हैं जैसे देशभक्‍त पत्रकार, भगवा पत्रकार, वामपंथी पत्रकार, नक्सली पत्रकार, दलाल पत्रकार और फर्जी पत्रकार आदि आदि.
इतना सुन कर हमारा सिर चक्‍कर खाने लगा और हम चचा से क्षमा मांग कर दाढी बनवाये बिना घर लौट आये और रात भर सोचते रहे कि आखिर हम किस टाइप के पत्रकार हैं.

आपको पूरी घटना इसलिये बता रहे हैं क्‍योंकि भाई हम तो खरी खरी कहते हैं आपको बुरी लगे तो मत पढो, कोई ज़बरदस्ती तो है नहीं.

No comments:

Post a Comment

अगर आपको किसी खबर या कमेन्ट से शिकायत है तो हमको ज़रूर लिखें !

दुनियां को एक दिन की प्रेस आज़ादी मुबारक...?

कब और क्यों मनाया जाता है विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस...जानें भारतीय पत्रकारों की चुनौतियां एवं जोखिम क्या हैं...? एस एम फ़रीद भ...