Thursday, 1 June 2017

भेदभाव और उत्पीड़न...?

मानवाधिकार आयोग भेदभाव तथा नस्लवादी और यौन-उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक नि:शुल्क, अनौपचारिक पूछताछ व शिकायत सेवा उपलब्ध कराता है.

भेदभाव की घटना तब मानी जाती है जब समान परिस्थितियों के तहत किसी व्यक्ति के साथ अन्य लोगों की तुलना में अन्यायपूर्ण या कम स्वीकारात्मक तरीके से
व्यवहार किया जाता है.
अगर आपको ऐसा लगे कि आपके साथ भेदभाव-पूर्ण व्यवहार किया गया है, तो आप इसके बारे में मानवाधिकार आयोग से शिकायत कर सकते हैं। यह आयोग परामर्श और सूचना प्रदान कर, और यदि जरूरी हो तो आपकी शिकायत में मध्यस्थता प्रदान कर के सहायता उपलब्ध करा सकता है.
मानवाधिकार नियम के तहत निम्नलिखित कारणों के आधार पर भेदभाव करना गैर-कानूनी माना जाता है:
लिंग - जिसमें गर्भधारण और शिशु-जन्म शामिल है; तथा यौनान्तरण-लिंगी (transgender) और अन्तर्लिंगी (intersex) व्यक्तियों के प्रति उनके लिंग या लैंगिक-पहचान के कारण भेदभाव शामिल है.

वैवाहिक स्थिति – जिसमें विच्छेदित विवाह और सिविल यूनियन शामिल है
धार्मिक विचारणा – परंपरागत या मुख्य-धारा धर्मों तक सीमित नहीं है
नैतिक विचारणा – किसी प्रकार का धार्मिक विश्वास न रखना
त्वचा का रंग, नस्ल, या प्रजातीय या राष्ट्रीय मूल – जिसमें राष्ट्रीयता या नागरिकता शामिल है
विकलाँगता – जिसमें शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक या मनोवैज्ञानिक विकलाँगता या बीमारी शामिल है
आयु – 16 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को आयु के आधार पर भेदभाव से संरक्षण प्राप्त है. 
राजनैतिक विचारणा – जिसमें कोई भी राजनैतिक विचारणा न रखना शामिल है
रोज़गार की स्थिति – बेरोज़गार होना, कोई लाभ प्राप्त करना या ACC पर निर्भर होना। इसमें कार्यरत होना या राष्ट्रीय पेंशन प्राप्त करना शामिल नहीं है
परिवारिक स्थिति – जिसमें बच्चों या अन्य आश्रितों के लिए जिम्मेदार न होना शामिल है
लैंगिक रुझान – विषमलिंगी, समलिंगी, स्त्री-समलिंगी (lesbian) या उभयलिंगी (bisexual) होना।
ये आधार किसी व्यक्ति के पहले के समय, वर्तमान समय या मान्य परिस्थितियों में लागू होते हैं। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति के साथ वर्तमान में हुए, पहले कभी हुए या किसी अन्य के द्वारा अभिकल्पित मानसिक रोग के आधार पर भेदभाव-पूर्ण व्यवहार करना गैर-कानूनी होता है.

सभी प्रकार के भेदभाव-पूर्ण प्रकरण गैर-कानूनी नहीं होते हैं। मानवाधिकार नियम के तहत इन्हें गैर-कानूनी तब माना जा सकता है, जब वे निम्नलिखित क्षेत्रों में घटित हों:
सरकारी या सरकारी-क्षेत्र की गतिविधियाँ
रोज़गार
व्यावसायिक साझेदारी
शिक्षा
सार्वजनिक स्थानों, यातायात के साधनों व अन्य सुविधाओं की सुलब्धता
मालगुज़ारी व सेवाएँ
ज़मीन, आवास व रहने के लिए उपयुक्त सेवाएँ
औद्योगिक व व्यावसायिक संगठन, योग्यता निर्धारित करने वाली संस्थाएँ और व्यावसायिक प्रशिक्षण देने वाली संस्थाएं.

यौन या नस्लवादी उत्पीड़न
यौन और नस्लवादी उत्पीड़न विशेष प्रकार के भेदभाव होते हैं.

ऐसे किसी अवाँछित या आक्रामक यौन व्यवहार को यौन-उत्पीड़न कहा जाता है जोकि बार-बार दुहराया जाए या जो इतनी गंभीर प्रवृत्ति का हो कि किसी व्यक्ति पर इसका बहुत खराब प्रभाव पड़े।
ऐसे किसी नस्लवादी, मानसिक संताप पहुँचाने वाले या अवाँछित व्यवहार को नस्लवादी उत्पीड़न कहते हैं जोकि बार-बार दुहराया जाए या जो इतनी गंभीर प्रवृत्ति का हो कि किसी व्यक्ति पर इसका बहुत खराब प्रभाव पड़े.

अप्रत्यक्ष भेदभाव
ऐसे किसी भेदभाव को अप्रत्यक्ष भेदभाव कहते हैं जबकि सभी के लिए समान रूप से लागू होने वाले कोई कार्य या नीति के तहत किसी व्यक्ति के प्रति वास्तव में भेदभाव का व्यवहार किया जाए। उदाहरण के लिए, अगर किसी दुकान में प्रवेश करने के लिए बस ऊपर चढ़ने वाली सीढ़ी ही उपलब्ध हो, तो यह व्हीलचेयर का प्रयोग करने वाले किसी व्यक्ति के प्रति अप्रत्यक्ष भेदभाव होगा.

मानवाधिकार की अन्य शिकायतें
अगर आपकी शिकायतें किन्हीं अन्य मानवाधिकार संबंधी मुद्दों के बारे में हो, तो आप मानवाधिकार आयोग से संपर्क कर सकते/ सकती हैं, पूछ-ताछ और शिकायत सेवा आपको परामर्श और सूचना उपलब्ध करा के और अपने मुद्दे का सबसे बेहतर तरीके से समाधान निकालने के बारे में सलाह दे कर आपको सहायता प्रदान कर सकती है.

अन्य एजेंसियाँ
इस नियम के तहत गैर-कानूनी व्यवहार बहुत बार अन्य नियमों के तहत भी गैर-कानूनी होता है, इसका मतलब यह है कि मानवाधिकार आयोग या अन्य किसी संस्थान के पास शिकायत कर के भी मुद्दों का समाधान किया जा सकता है.

आपको शुरु में इसके बीच कोई चुनाव नहीं करना होगा कि आप मानवाधिकार आयोग के पास जाएँ या अन्य किसी संस्थान के पास जाएँ.
कोर्ट और पुलिस
इस नियम के तहत कुछ गैर-कानूनी व्यवहार अपराध भी हो सकता है। उदाहरण के लिए कुछेक प्रकार का यौन-उत्पीड़न यौन-आक्रमण भी हो सकता है.

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