Friday, 28 July 2017

पनामा 10 लाख दस्तावेज, 300 पत्रकार ?

एस एम फ़रीद भारतीय
क्या है पनामा पेपर्स जाने...?
नोट- ये जानकारी विभिन्न नेटवर्क से जुटाई गई हैं.
पनामा पेपर्स (हिन्दी: पनामा दस्तावेज़) पानामनियन कंपनी मोसेक फोनसेका द्वारा इकट्ठा किया हुआ 1 करोड़ 15 लाख गुप्त फाइलों का भंडार है, इनमें कुल 2,14,000 कंपनियों से सम्बन्धित जानकारिया है, इसमें उस कंपनी के निर्देशक आदि की जानकारी भी है, यह अब तक पाँच देशों के
नेताओं के बारे में बता चुका है, जिसमें अर्जेंटीना, आइसलैंड, सऊदी अरब, यूक्रेन, सयुंक्त अरब अमिरत है.
इसके अलावा यह 40 देशों के सरकार से जुड़े आदि लोगों के बारे में भी बता चुका है, इसमें ब्राज़ील, चीन, पेरु, फ्रांस, भारत, मलेशिया, मेक्सिको, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, सीरिया और ब्रिटेन है.
बर्लिन मैं करीब एक साल पहले उच्च स्तरीय सूत्रों ने जान जोखिम में डाल लाखों दस्तावेजों को पनमनियन लॉ फर्म मोसेक फोनसेका से जर्मन न्यूज पेपर जीटॉयचे साइटुंग के पत्रकार के जरिए लीक करने का फैसला किया था, जॉन डोये (लीगल डॉक्युमेंट में कल्पित नाम) नाम के सूत्र ने जर्मन जर्नलिस्ट फ्रेडरीक ऑइबमेय और बस्तीअन ऑइबमेय से कहा था कि उसके पास बेहद गोपनीय और महत्वपूर्ण जानकारी है.
ऐसे हुई बात 
हेलो, मैं जॉन डोए हूं, क्या आप डेटा को लेकर दिलचस्पी रखते हैं? जीटॉयचे साइटुंग ने जवाब दिया: बिल्कुल, पूरी दिलचस्पी है, सूत्र सूचना देने को लेकर राजी था लेकिन वह गुमनाम रहने की मांग कर रहा था, इस जानकारी को लीक करना बेहद जोखिम भरा काम था, इसके साथ ही इसे समझना भी कम कठिन नहीं था.

ओर तब 
जॉन ने इस सूचना को सौंपने के बदले दो शर्तें रखी थीं, जॉन ने कहा था, 'इसे सौंपने के बाद मेरी जिंदगी खतरे में होगी, हमलोग केवल इनक्रिप्ट फाइल देंगे और कोई मुलाकात नहीं होगी,' इसका नतीजा अप्रत्याशित रूप से सामने आया, एक करोड़ 10 लाख दस्तावेजों को इंटरनैशनल कॉन्सोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) और दुनिया भर के 300 पत्रकारों से साझा किया गया.

जर्नलिस्ट बस्तीअन ने एबीसी न्यूज से कहा, 'सूत्रों ने यह फैसला इसलिए किया क्योंकि उन्हें लग रहा था कि मोसेक फोनसेका अनैतिक काम कर रहा है। सूत्रों को लग रहा था कि पनामा स्थित यह लॉ फर्म दुनिया के लिए खतरा है, उसे एक्सपोज किया जाना चाहिए.
सूत्र इसे खत्म करना चाहते थे, इसी प्रेरणा के साथ उन्होंने यह काम किया, हमलोग मानते हैं कि हमारे सूत्रों को वास्तविक खतरा है क्योंकि इसमें बेहद ताकतवर लोग शामिल हैं, ये ऐसे लोग हैं जो ताकत का इस्तेमाल करना बखूबी जानते हैं.'
पनामा पेपर्स के खुलासों से साफ है कि मोसेक फोनसेका संदिग्ध कंपनी बना, जिसमें मिडल-ईस्ट के आतंकवादियों और वॉर क्रिमिनल्स के भी पैसे लगे हैं के जरिए पैसे बना रहा था, इसमें मेक्सिको, ईस्टर्न यूरोप और ग्वाटेमाला के ड्रग्स किंग्स-क्वीन, ईरान और नॉर्थ कोरिया में परमाणु हथियारों का प्रसार करने वालों के साथ दक्षिणी अफ्रीका के हथियार डीलर के पैसे लगे हैं.
हालांकि डेटा में यह भी साफ दिख रहा है कि इसमें सैकड़ों ऑस्ट्रेलियन नागरिक हैं और दर्जनों प्रतिष्ठित ऑस्ट्रेलियन लॉ फर्म्स, बैंक अकाउंटेंट, बड़ी कंपनियों जिनमें बीएचपी और विल्सन भी शामिल हैं के पैसे इन संदिग्ध कंपनियों लगे हैं.
दुनिया भर में अवैध पैसों को लगाने और उससे कमाने का धंधा जोरों पर है,मोसेक फोनसेका बहुत खतरनाक तरीके से इस काम को रहा है, टैक्स जस्टिस नेटवर्क का अनुमान है कि 21 से 32 ट्रिलियन डॉलर 80 संदिग्ध कंपनियों में टैक्स से बचने के लिए निवेश किए गए हैं, एक अनुमान के मुताबिक इस तरह के निवेश के कारण दुनिया भर की सरकारो को 250 बिलियन डॉलर जो राजस्व टैक्स के रूप में मिलता उससे नुकसान उठाना पड़ा है, यदि इन पैसों का इस्तेमाल किया जाए तो दुनिया कई समस्याओं को खत्म किया जा सकता है.
मोसेक फोनसेका का कहना है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है, उसने कहा कि हमारी कंपनियों का इस्तेमाल हुआ है तो ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया है, ज्यादातर मामलों में अनुभवी ग्राहक हैं जो बैंक या लॉ फर्म में काम करते हैं, इनका पनामा के इस फर्म और कंपनी से सीधा संबंध है...
पहली लिस्ट मैं कौन कौन 
टैक्स बचाने के लिए विदेशों में खोली गई फर्मों को लेकर जारी हुई पनामा की लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका के डॉक्युमेंट्स की खासी चर्चा हुई थी, इस लिस्ट में 500 भारतीयों के नाम बताए जा रहे थे, भारत में इस लिस्ट का खुलासा दैनिक अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने किया था.

इससे पहले स्विस लीक्स में 1,100 भारतीयों के नाम शामिल थे, ध्यान रहे कि लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका से 11 मिलियन डॉक्युमेंट्स लीक हुए हैं.
कथित तौर पर टैक्स फायदे के लिए अपनाए गए तरीकों में बड़ी फिल्मी हस्ती अमिताभ बच्चन-ऐशवर्या राय, डीएलएफ कंपनी के मालिक केपी सिंह और उनके परिवार के नौ लोगों, अपोलो टायर्स-इंडियाबुल्स के प्रमोटर और गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी के नाम हैं.
इस लिस्ट में 2 राजनेताओं के भी नाम हैं जिसमें पश्चिम बंगाल के शिशिर बजोरिया और लोकसत्ता पार्टी के दिल्ली यूनिट के पूर्व चीफ अनुराग केजरीवाल का भी नाम है, दाऊद के पूर्व सहयोगी इकबाल मिर्ची भी इस लिस्ट में शामिल है, साथ ही इंडियाबुल्स के मालिक समीर गहलौत का नाम भी है.
अमिताभ की 4 कंपनियां
1995 में एबीसीएल कंपनी लॉन्च करने से 2 साल पहले बॉलिवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन कम से कम 4 शिपिंग कंपनियों में डायरेक्टर नियुक्त किए गए। मोसैक फॉन्सेका के रेकॉर्ड्स और उसके आधार पर हुई जांच से पता लगता है कि जिन 4 कंपनियों में बच्चन डायरेक्टर थे, उनका रजिस्ट्रेशन 1993 में टैक्स हेवन्स में हुआ था। इनमें से एक ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स (BVI) में थी और तीन बहामास में। सी बल्क शिपिंग कंपनी लिमिटेड (BVI), लेडी शिपिंग लिमिटेड, ट्रेजर शिपिंग लिमिटेड और ट्रंप शिपिंग लिमिटेड (बहामास) है। इन कंपनियों की ऑथराइज्ड कैपिटल वैसे तो 5,000 से 50,000 डॉलर तक थी मगर वे लाखों डॉलर के जहाजों में ट्रेड करते थे। चारों कंपनियों में अमिताभ मैनेजिंग डायरेक्टर भी थे जबकि अन्य निदेशक कॉरपोरेट और फाइनैंशल सहयोग देते थे। चारों कंपनियां फाउंडिंग डायरेक्टर्स उमेश सहाय और डेविड माइकल पेट ने शुरू की थीं। हर कंपनी की पहली बोर्ड मीटिंग में ही अमिताभ को अडिशनल डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया गया था.
ऐश्वर्या राय
अखबार के मुताबिक ऐश्वर्या, उनके पिता, मां और भाई को 14 मई 2005 को 'एमिक पार्टनर्स लिमिटेड' का डायरेक्टर बनाया गया। इस कंपनी की शुरुआत 50 हजार डॉलर से हुई। मोसैक फॉन्सेका के अनुसार पनामा की एक फर्म ने इस कंपनी को स्थापित करने में मदद की थी। उसके मुताबिक करीब 3 साल के लिए ऐश्वर्या इस कंपनी से जुड़ी हुई थीं। वह इस कंपनी की शेयर होल्डर थीं। शेयरहोल्डर्स में से एक ने रिक्वेस्ट की थी कि गोपनीयता की खातिर ऐश्वर्या राय का नाम मिस ए. राय रखा जाए.

साल 2008 में अभिषेक से शादी के एक साल बाद कंपनी समेटने का काम शुरू हो गया था, रेकॉर्ड्स बताते हैं कि जब कंपनी बनी थी, हर शेयर की वैल्यू 1 डॉलर थी, चारों डायरेक्टर्स में से हर एक के पास 12,500 शेयर थे.
कुशाल पाल सिंह
भारत के सबसे बड़े रीयल एस्टेट ग्रुप डीएलएफ के प्रमोटर के.पी. सिंह ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में एक कंपनी को खरीदा था, इस कंपनी में उनकी पत्नी इंदिरा के.पी. सिंह सह शेयरहोल्डर हैं, लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका के लीक दस्तावेजों में के.पी. सिंह को राजनीतिक रूप से सक्रिय व्यक्ति बताया गया है.
बीते सालों डीएलएफ सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के साथ विवादित लैंड डील के कारण सुर्खियों में आई थी, के.पी. सिंह (84) और उनकी पत्नी इंदिरा साल 2013 में 'विल्डर लिमिटेड' में शेयर होल्डर्स बने.
दस्तावेजों के मुताबिक, कम से कम 2 अन्य कंपनियों को भी साल 2012 में के.पी. परिवार के सदस्यों ने शुरू किया था, इनमें से एक बेटे राजीव सिंह ने और दूसरी बेटी पिया सिंह ने शुरू की थी, इसमें शेयरहोल्डर उनके परिजन ही थे, सिंह और इंदिरा ने विल्डर के शेयर खरीदने के लिए शुरुआत में 2 हिस्सों में पैसा लगाया, पहले सितंबर 2010 में और दूसरी बार अक्टूबर 2011 में, सिंह ने 6 लाख 76 हजार 400 डॉलर और इंदिरा ने 7 लाख 14 हजार 400 डॉलर दिए थे.
कंपनी की प्रति शेयर वैल्यू 10 हजार डॉलर थी, सिंह और इंदिरा को 67 और 71 शेयर दिए गए, इसके बाद अगस्त 2013 से मार्च 2014 के बीच उन्हें 51 और 53 शेयर अलॉट किए गए, इसी तरह पिया सिंह ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में 'अल्फा इनवेस्टमेंट्स ग्लोबल लिमिटेड' नाम से कंपनी रजिस्टर करवाई, इसमें उनके पति और बच्चे शेयरहोल्डर थे.
गौरतलब है कि मई 2015 तक प्रिया सिंह डीएलएफ में पूर्णकालिक डायरेक्टर थीं, हालांकि अब वह शायद नॉन एग्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं, 'अल्फा इनवेस्टमेंट्स ग्लोबल लिमिटेड' की फरवरी 2014 में टोटल कैपिटल करीब 25 करोड़ रुपये थी.
वहीं राजीव सिंह जो कि डीएलएफ ग्रुप के वाइस चेयरमैन हैं, पत्नी कविता और बच्चों अनुष्का और सावित्री देवी सहित 'बेकोन इनवेस्टमेंट्स ग्रुप लिमिटेड' में शेयरहोल्डर्स हैं, यह कंपनी भी ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में रजिस्टर्ड है, सावित्री की शादी पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के बेटे से हुई थी.
बेकोन इनवेस्टमेंट्स का भी फरवरी 2014 में टोटल कैपिटल 25 करोड़ रुपये थी, डीएलएफ की एनुअल रिपोर्ट 2013-14 में विल्डर लिमिटेड, अल्फा इन्वेस्टमेंट्स ग्लोबल लिमिटेड और बेकोन इन्वेस्टमेंट्स ग्रुप लिमिटेड को प्रमुख मैनेजमेंट पर्सनेल और उनके रिश्तेदारों के कंट्रोल वाली एंटरप्राइजेज के तौर पर लिस्ट किया गया है, इस कैटिगरी में इन 3 कंपनियों सहित 127 कंपनियों की लिस्टिंग है.
समीर गहलौत
देश के सबसे बड़े रीयल्टी ग्रुप्स में शुमार इंडियाबुल्स के कंट्रोलर समीर गहलौत के एसजी फैमिली ट्रस्ट का अक्टूबर 2012 में गठन किया गया था, मोसैक फॉन्सेका के दस्तावेज बताते हैं कि एसजी फैमिली ट्रस्ट 'कैलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड' (दिल्ली) की मालिक है, इस कंपनी के पास क्लाइवडेल ओवरसीज लिमिटेड (बहामास) का स्वामित्व है.

क्लाइवडेल के पास भी कई सब्सिडियरी कंपनियों का स्वामित्व है जो कि बहामास ही नहीं मॉरिशस, यूके और जर्सी में स्थित हैं, हालांकि एसजी फैमिली ट्रस्ट की यह ओनरशिप चेन रेग्युलेटर्स के पास दर्ज है मगर जो बात सार्वजनिक नहीं थी वह यह कि लंदन की प्रॉपर्टीज का स्वामित्व भी गहलौत परिवार के पास है.
क्लाइवडेल की लंदन में तीन प्रॉपर्टीज हैं - 4,5,6 स्टेनहोप गेट जहां कि 18 अपार्टमेंट बन रहे हैं, 9 मेरिलबोन लेन जहां कि 22 कंटेंपररी अपार्टमेंट्स 'द मैंशन' के तौर पर बनाए जा रहे हैं, इसके अलावा 20 हजार स्क्वेयर फीट का ऑफिस स्पेस भी 73 ब्रुक स्ट्रीट में है, इन तीन प्रोजेक्ट्स के अलावा इंडियाबुल्स का 'हेनोवर स्क्वेयर' प्रोजेक्ट भी है जिसे 'क्लाइवडेल डॉट कॉम' में फीचर किया गया था.
'क्लाइवडेल यूके' के सभी 19.3 मिलियन शेयर 'क्लाइवडेल ओवरसीज लिमिटेड (बहामस)' को इश्यू किए गए हैं। फरवरी 2011 में रजिस्टर्ड क्लाइवडेल (बहामस) ने अब तक 75.5 मिलियन शेयर इश्यू किए हैं जो कि पूरी तरह 'कैलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर' के पास हैं, कैलिस को मई 2011 में नई दिल्ली में रजिस्टर कराया गया था.
कैलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक को छोड़कर सभी शेयर एसजी ट्रस्ट के पास थे, एक शेयर समीर गहलौत का था, जून 2011 से नवंबर 2015 के बीच कैलिस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने 800 करोड़ रुपये से भी अधिक क्लाइवडेल ओवरसीज (बहामास) में निवेश किए थे.
कौन कौन है दूसरी लिस्ट में शामिल
अशोक मल्होत्रा– इंडियन क्रिकेट टीम का हिस्सा रह चुके हैं और फिलहाल कोलकाता में क्रिकेट एकेडमी चलाते हैं। इनके नाम से E&P Onlookers Limited नाम की कंपनी ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में रजिस्टर्ड है.

अशोक कुछ वक्त तक बंगाल और टीम इंडिया के कोच भी रह चुके हैं, मल्होत्रा भारत की तरफ से 7 टेस्ट और 20 वनडे मैच खेल चुके हैं, उन्होंने 1982 में डेब्यू किया था.
प्रभाष संकलेचा- ये मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी करते थे, पत्नी की मौत के बाद फिलहाल इंदौर में रहते हैं, इनके नाम से लोटस होराइजन एसए नाम की कंपनी रजिस्टर्ड है, यह कंपनी पनामा से ऑपरेट करती है.
सतीश गोविंग समतानी, विश्लव बहादुर और हरीश समतानी– यह फैमिली रेडीमेड गारमेंट्स के कारोबार से जुड़ी है, बहादुर रहने वाले तो लखनऊ के हैं, लेकिन फिलहाल बेंगलुरु में उनका रेसिडेंस है, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में उनके नाम से दो कंपनियां रजिस्टर्ड हैं.
अनुराग केजरीवाल- अनुराग केजरीवाल लोक सत्ता पार्टी के दिल्ली के प्रेसिडेंट थे, 2014 के लोकसभा इलेक्शन के दौरान एक स्टिंग सामने आने के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था.
लीक डॉक्युमेंट्स में उनके नाम तीन कंपनियां और दो फाउंडेशन पाए गए हैं, इनकी लोकेशन ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और पनामा है.
अश्विनी कुमार मेहरा- मेहरा सन्स ज्वैलर्स के मालिक हैं। इनके दो बेटे भी पार्टनर के तौर पर काम करते हैं। इनके नाम विदेशों में सात कंपनियां रजिस्टर्ड पाई गई हैं। ये कंपनियां ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और बहामास में हैं.
गौतम और करण थापर- क्रॉम्पटन ग्रीव्ज के मालिक ब्रजमोहन थापर के बेटे हैं, 1999 में इन्होंने ग्रुप की कमान संभाली, करण साल 2000 से ग्रुप के डायरेक्टर हैं, चार्लवुड फाउंडेशन और निकोम इंटरनेशनल फाउंडेशन के नाम से इनकी पनामा में दो कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, गौतम अपने अंकल ललित मोहन थापर के साथ बलारपुर इंडस्ट्रीज लिमिटेड से जुड़े हैं.
गौतम सीन्गल- इन्वेस्ट मैनेजमेंट और आईटी कंसल्टेंट हैं, इसके अलावा भी उनकी कंपनियां हैं, जो कई सेक्टर्स में काम करती हैं, इनके नाम से ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में जेफ मोर्गन कैपिटल लिमिटेड रजिस्टर्ड है.
विनोद रामचंद्र जाधव- ये शख्स सावा हेल्थकेयर नाम की कंपनी चलाते हैं, इसकी यूनिट अहमदनगर और बेंगलुरु में हैं, इनके नाम से कई कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जो ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में हैं...
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