1980 मुरादाबाद दंगे अगस्त से नवंबर 1980 के दौरान मुरादाबाद (यूपी) शहर में हुए थे. हिंसा आंशिक रूप से हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष था, और आंशिक रूप से मुस्लिम-पुलिस संघर्ष. मुसलमानों के एक समूह द्वारा स्थानीय पुलिस पर पथराव से इन दंगों की शुरुआत हुई थी. पुलिस ने भी फायरिंग करते हुए जवाबी कार्यवाही की. और इसके साथ ही आगजनी, लूटपाट और हत्या की हिंसक घटनायें
होती चली गईं. अनौपचारिक रूप से इन दंगों में 2500 लोग मरे गए थे.
दंगे कांग्रेस नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह के मुख्यमंत्री पद के दौरान हुए. केंद्रीय मंत्री योगेंद्र मकवाना ने आरएसएस, जनसंघ और भाजपा पर हिंसा को दोषी ठहराया था. और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिंसा के पीछे "विदेशी ताकतों" और "सांप्रदायिक पार्टियों" का हाथ होने का संदेह जताया था. सरकार ने दंगों की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सक्सेना को नियुक्त किया. मई 1983 में न्यायमूर्ति सक्सेना की प्रस्तुत रिपोर्ट में, इस हिंसा के लिए मुस्लिम नेताओं और तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को दोषी पाया था.
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http://en.wikipedia.org/wiki/1980_Moradabad_riots
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