Friday 13 October 2017

अगर आप बेगुनाह हैं तब कैसे बचें पुलिस के झंझटों से

एस एम फ़रीद भारतीय
कुछ लोग आपसी मतभेद में एक दूसरे के खिलाफ झूठी एफआईआर लिखवा देते हैं, अकसर ऐसे मामलों में जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, वे पुलिस और कोर्ट के कानूनी झंझटों में फंस जाते हैं और उनका पैसा, वक़्त और ज़िंदगी बर्बादी की तरफ़ पर चल पड़ता है, क्या आप जानते हैं कि ऐसी झूठी शिकायतों के खिलाफ आप कार्रवाई कर अपने खुद बचा सकते हैं ?

भारतीय संविधान में भारतीय दंड संहिता की धारा 482 ऐसा ही एक कानून है जिसके इस्तेमाल से आप ऐसे झंझटों से बच सकते हैं.

क्या है धारा 482
भारतीय दंड संहिता की धारा 482 के तहत आप अपने खिलाफ लिखाई गई एफआईआर को चैलेंज करते हुए हाईकोर्ट से निष्पक्ष न्याय की मांग कर सकते हैं, इसके लिए आपको अपने वकील के ज़रिये हाईकोर्ट में एक प्रार्थनापत्र देना होगा, जिसमें आप पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर सवालिया निशान लगा सकते हैं, अगर आपके पास अपनी बेगुनाही के सबूत जैसे कि ऑडियो रिकॉर्डिग, वीडियो रिकॉर्डिग, फोटोग्रॉफ्स, डॉक्यूमेंट्स हों तो आप उनको अपने प्रार्थना पत्र के साथ लगायें, ऐसा करने से हाईकोर्ट में आपका कैस बहुत मजबूत हो जाता है.

कैसे करना चाहिए धारा 482 का प्रयोग
धारा 482 का प्रयोग दो तरह से किया जाता है, पहला प्रयोग ज्यादातर दहेज तथा तलाक के मामलों में किया जाता है, इन मामलों में दोनों पार्टियां आपसी रजामंदी से सुलह कर लेती हैं, जिसके बाद लड़की पक्ष हाईकोर्ट में लड़के पक्ष के खिलाफ एफआईआर कैंसिल करने की एप्लीकेशन देता है, जिसके बाद लड़के पक्ष के खिलाफ दायर 498, 406 तथा अन्य धाराओं में दर्ज मामले हाईकोर्ट के आदेश पर बंद कर दिए जाते हैं.

तुरंत रुकवा सकते हैं पुलिस की कार्रवाई दूसरा प्रयोग आपराधिक मामलों में किया जाता है, मान लीजिए किसी ने आपके खिलाफ मारपीट, चोरी, बलात्कार अथवा अन्य किसी प्रकार का षडयंत्र रचकर आपके खिलाफ पुलिस में झूठी एफआईआर लिखा दी है.

आप हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत प्रार्थना पत्र दायर कर अपने खिलाफ हो रही पुलिस की कार्रवाई फ़ौरन रुकवा सकते हैं, यही नहीं हाईकोर्ट आपकी एप्लीकेशन देखकर संबंधित जांच अधिकारी जांच करने के लिए आवश्यक निर्देश दे सकता है, इस तरह के मामलों में जब तक हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत मामला चलता रहेगा, पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकेगी, यही नहीं यदि आपके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी है तो वह भी तुरंत प्रभाव से हाईकोर्ट के आदेश आने तक के लिए रूक जाएगा.

किन बातों का रखें ध्यान
इस कानून के तहत आप को एक फाइल तैयार करनी होती है जिसमें एफआईआर की कॉपी तथा आपके प्रार्थना पत्र के साथ-साथ आपको जरूरी एविडेंस भी लगाने होते हैं, यदि एविडेंस नहीं है तो आप अपने वकील से सलाह मशविरा कर पुलिस में दर्ज शिकायत के लूपहोल्स को ध्यान से देख कर उनका उल्लेख करें, इसके अतिरिक्त आप यदि आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसका भी उल्लेख करें.

नोट- लेखक मानवाधिकार कार्यकर्ता ओर मानवाधिकार कैसों के सलाहकार है सिर्फ़ सलाह बतौर आपको जानकारी दी गई है ये कार्यवाही आपको वकील के ज़रिये ही करनी होगी.
०९८०८१२३४३६

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