Tuesday, 24 October 2017

दिल्ली दुनियां का सबसे जाम वाला राज्य होगा ?

सम्पादकीय

दिल्ली जाम ओर प्रदुषण की समस्या, सरकार कुछ कहती है कोर्ट कुछ कहती है, कानून बनाकर राज्य को जाम ओर प्रदुषण से मुक्त करना चाहते हैं, लेकिन जितने कानून बनते ओर लागू होते हैं उतना ही दिल्ली पर बोझ बढ़ता जा रहा है जाम ओर प्रदुषण का ?

दिल्ली मैं जाम ओर प्रदुषण की समस्या असल मैं 1980 के दशक से शुरू हुई, क्यूं हुई या हो रही है आज तक इस असल मुद्दे पर कोई सोचने ओर विचार करने को तैयार नहीं है, बस असल मुद्दे को अनदेखा कर दिल्ली जाम ओर प्रदुषण से छुटाकारा पाने के फ़र्जी उपायों पर अमल करने मैं लगे पड़े हैं, जितना उपाय ओर तरीके दिल्ली मैं आज़माये जा रहे हैं सब के सब मौजूदा हालात को लेकर अपनाये जा रहे हैं, ना तो आगे दिल्ली क्या होगी इसपर काम किया जा रहा है ओर ना ही इसपर कि दिल्ली जैसी है वैसी रहे ओर मौजूद समस्याओं पर काम कर परेशानियों को दूर कर आगे भी ऐसी ही रहे उस पर काम किया जाये?

दिल्ली मैं दो सरकारें हैं एक दिल्ली को चलाती है दूसरी दिल्ली मैं बेठकर देश को चलाती है, दोनो ही सरकारें अपने काम को सही तौर पर अंजाम नहीं दे पा रही हैं, वरना आज दिल्ली को जाम ओर प्रदुषण से छुटकारे के लिए जितना बजट हर साल बनाया जाता है मगर कोई काम नहीं आता समस्या विकट ओर विकट होती चली जाती है क्यूं भाई क्यूं ?

वजह है ठोस प्लान से काम ना करना, ओर ना ही भविष्य के बारे मैं सोचना कि आगे दिल्ली का भविष्य कैसा होगा हमको अच्छे भविष्य के लिए काम करना है तैयारी करनी है, हम दिल्ली सरकार देखती है मौजूदा समस्याओं को ओर दूर करने के प्रयास भी कर रही है.

जबकि दिल्ली के जाम ओर प्रदुषण के बारे मैं सोचना चाहिए बड़ी सरकार को जो देश चला रही है, असल मैं आज जो दिल्ली की हालत है उसकी ज़िम्मेदार केंन्द्र सरकार है उसकी नीतियां रही हैं, सुप्रीमकोर्ट को तो चिंता है दिल्ली की लेकिन केन्द्र सरकार को बिल्कुल भी नहीं है ओर आज जो कुछ दिल्ली की हालत को सुधारने के लिए केन्द्र सरकार को ठोस नीति ओर कानून बनाने की ज़रूरत है ओर काम करने या कानून बनाने से पहले सोचना होगा कि दिल्ली का ये हाल क्यूं हुआ जब इस पर विचार करोगे तो उपाय अपने आप सामने होगा, अभी भी वक़्त है दिल्ली को इन परेशानियों के साथ आने वाली बड़ी परेशानियों से बचाया जा सकता है, वरना दिल्ली दुनियां का सबसे जाम वाला प्रदुषित राज्य होगा.

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