सीरियल किलर के 1800 शिकार? दलदल से मिला ससुर का कंकाल !
रायपुर. सीरियल किलर अरुण उर्फ तोरण चंद्राकर के एक और शिकार का कंकाल बरामद हो गया है। पुलिस ने संजय देवार का कंकाल जमीन खोदकर निकाला। देवार रिश्ते में उसका मामा ससुर था। कुकुरबेड़ा नरसंहार में यह पांचवां कंकाल बरामद किया गया है। अरुण ने अब तक सात लोगों को मौत के घाट उतारने का बात कबूली है।अरुण ने बताया कि पांच साल पहले हत्या की साजिश रचने के बाद वह संजय को आमानाका ओवरब्रिज के पास लेकर आ गया। वहां उसने मामा ससुर को जमकर शराब पिलाई। नशे में बेहोश संजय को उसने पहले से खोदकर रखे गए गड्ढे में डालकर जिंदा ही दफन कर दिया। गड्ढा उसने सुबह ही खोदकर रखा था। इस हत्या के पहले उसने अपनी पत्नी, साले, साले की पत्नी और अपने मकान मालिक को इसी तरह से मारा था।
वह घर के एक हिस्से पहले से गड्ढा खोदकर रखता था। अपने शिकार के बेहोश होने के बाद एक बोरी में बंद करने के बाद गड्ढ़े में गाड़ दिया करता था। वह जिस कमरे में दफन करता था, वह हिस्सा घर के अंतिम छोर में है। इस कमरे में ज्यादातर कोई नहीं आता था। दिन में अरुण की पत्नी के सारे रिश्तेदार काम पर चले जाते थे, इस वजह से किसी को खबर नहीं होती थी कि वह कब गड्ढा खोदता था। वह पुलिस के सामने बड़े सहज भाव से यह स्वीकार रहा है कि उसने हत्या की है। उसे किसी का भी कत्ल करते समय घबराहट नहीं हुई।
कुकुरबेड़ा से गुमशुदा लोगों के कंकाल मिलने के बाद पुलिस का अमला सहमा हुआ है। पुलिस रिकार्ड रायपुर जिले में ही 18 सौ लोग गायब हैं। इनमें महिलाओं की संख्या एक हजार से ज्यादा है। गायब लोगों में कुछ ऐसे हैं, जिनका पांच-पांच साल से पता नहीं हैं। पुलिस उन्हें तलाश करना तो दूर यह भी मालूम नहीं कर सकी है कि गायब लोग अभी जिंदा हैं या नहीं?
कुकुरबेड़ा में कई लोगों की हत्याओं का मामला उजागर होने के बाद आला अफसरों का ध्यान गुमशुदा लोगों की लंबी फेहरिस्त की ओर गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिपांशु काबरा ने अफसरों की बैठक लेकर उन्हें गुमशुदा लोगों का रिकार्ड नए सिरे से चेक करने के निर्देश दिए। उन्होंने थानेदारों से रिपोर्ट मांगी है कि उनके क्षेत्र में कितने लोग और कब से गायब हैं। रिपोर्ट के साथ यह जानकारी भी देने को कहा गया है कि गायब लोगों की खोजबीन के संबंध में क्या-क्या किया गया और कहां जाकर तहकीकात अटकी। कुकुरबेड़ा का मामला भी ऐसा ही था। यहां एक ही परिवार के तीन सदस्य गायब थे, लेकिन शिकायत के बावजूद थाना स्तर पर उनकी खोजबीन के कोई प्रयास नहीं किए गए।
जिम्मेदार अधिकारियों ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की थी कि आखिर एक परिवार से तीन-तीन लोग गायब कैसे हो गए? इस बात से आला अफसर बेहद नाराज हैं। हालांकि पुलिस ने अब उनके शव बरामद कर लिए हैं, लेकिन इसमें डेढ़-दो साल लग गए। यह काम भी डीजीपी की चिट्ठी के बाद हुआ। इस दौरान लाशें कंकाल में तब्दील हो गईं।
पांच साल में 1741 हो गए गायब
वर्ष बालक बालिका पुरुष महिला कुल
2007 15 69 70 80 234
2008 23 40 84 85 232
2009 18 78 78 100 274
2010 41 78 110 138 367
2011 48 148 166 272 634
कुल 145 413 508 675 1741
दोबारा खुलेगी फाइल
रायपुर जिले ही नहीं छत्तीसगढ़ से गायब तमाम लोगों की फाइल दोबारा खुलेंगी। पुलिस मुख्यालय ने इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं। फरमान देने के आला अलावा प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तत्काल मांगी गई है कि खोजबीन के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए।
पत्नी को जिंदा दफनाया, पिता को पटरी पर फेंका
ye wo satya he jo sirf ronte hi khde na kre balke dil mein dar paeda kr deti he
ReplyDeleteye khabar bahut hi vibhast he dil mein dar beathne lagta he kya ho rha he
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