समलैंगिक संबंधों को लेकर एक नई जंग शुरू ?
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से समलैंगिक संबंधों को वैध ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सोमवार को सुनवाई शुरू की, वकीलों की दलीलें सुनने के बाद उसने सुनवाई मंगलवार तक टाल दी.
जस्टिस जी एस सिंघवी और एसजे मुखोपाध्याय की बेंच के सामने वकील ने कहा कि हाईकोर्ट के 2 जुलाई 2009 को आए फैसले से भ्रम की स्थिति बन गई है. दिल्ली हाईकोर्ट का क्षेत्राधिकार राष्ट्रीय राजधानी तक सीमित है। ऐसे में क्या यह फैसला अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू होता है .
बेंच ने कहा, क्या आप यह कहना चाहते हैं कि हाईकोर्टों को केंद्रीय कानून को रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है? इस पर वकील अपनी दलीलों पर कायम रहा। बेंच ने कहा, 'ओछी या तुच्छ बातों पर मत जाओ, सीधे मूल मुद्दे पर आओ।' इसके बाद बेंच ने मामला मंगलवार तक टाल दिया.
बेंच समलैंगिक अधिकारों के विरोधी संगठनों और राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक संगठनों की अपीलों पर सुनवाई कर रहा है, इन्होंने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया है, कई समलैंगिक अधिकार संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के समर्थन में याचिका लगाई है, इससे पहले पिछले साल सात फरवरी को बेंच ने सशस्त्र सेनाओं को इस मुकदमे में पार्टी बनाने से इनकार कर दिया था.
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