आनंद भवन, जिसका संबंध हिंदुस्तान के स्वतंत्रता संग्राम से रहा है. जहां से स्वतंत्रता संग्राम की नीतियाँ और रणनीति तय होतीं थीं, आनंद भवन और उसके बगल में स्थित स्वराज भवन आज ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात है. स्वतंत्रता संग्राम के इस मंदिर में आकर राष्ट्रनायकों के चिन्हों, उनकी स्मृतियों को श्रद्धा से देखते हैं और पूरे भवन व परिसर में कुछ तलाशते फिरते हैं.
देश की आज़ादी से पहले आनंद भवन कांग्रेस मुख्यालय के रूप में रहा और उससे भी पहले राजनीतिक सरगर्मियों का केंद्र रहा, पंडित नेहरू ने 1928 में पहली बार यहीं ‘पूर्ण स्वतंत्रता’ की घोषणा करने वाला भाषण लिखा.‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का प्रारूप यहीं पर बना, यही नहीं तमाम ऐतिहासिक फैसले या उनकी रूपरेखा यहाँ पर ही बनी.
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