Friday, 24 November 2017

क्यूं चुनाव कराये जा रहे हैं जब एक पार्टी के लिए ही काम करना है ?

एस एम फ़रीद भारतीय
उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में ईवीएम में कथित गड़बड़ी के मामले को राज्य निर्वाचन आयोग ने महज़ अफ़वाह बताया है, जबकि राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया में इसे लेकर हो-हल्ला मचा हुआ है.

राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने बुधवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कुछ जगह मशीनों में तकनीकी ख़ामियां ज़रूर थीं जिन्हें तत्काल बदल दिया गया, लेकिन सत्ताधारी पार्टी
को ही वोट जाने संबंधी शिकायतों के बारे में कानपुर और मेरठ के ज़िलाधिकारियों से रिपोर्ट मंगाई गई है. रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी.
उनका कहना था मशीनें कई स्तर पर जांच के बाद ही भेजी जाती हैं. उसके बाद भी कई मशीनें इसलिए रिज़र्व में रखी जाती हैं ताकि गड़बड़ी की स्थिति में उन्हें तत्काल बदला जा सके.
निकाय चुनाव के पहले चरण में बुधवार को 24 ज़िलों के 5 नगर निगम, 71 नगर पालिका परिषद और 154 नगर पंचायतों के लिए वोट डाले गए. मतदान के बाद चुनाव आयोग ने मतदान शांतिपूर्ण होने की बात कही, लेकिन बुधवार सुबह से ही कई जगहों से विवाद और हिंसक झड़पों की ख़बरें आने लगीं.
सबसे पहले विवाद कानपुर में हुआ जब कई मतदान केंद्रों पर ईवीएम में ख़राबी को लेकर मतदाताओं ने आपत्ति जताई. विवाद इतना बढ़ा कि पुलिस को कई जगह बल प्रयोग भी करना पड़ा. मतदाताओं की सबसे ज़्यादा शिकायत इस बात को लेकर थी कि वो वोट किसी भी उम्मीदवार को दे रहे हैं लेकिन उसके साथ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के सामने भी लाइट जल रही थी.
कानपुर के बाद मेरठ समेत कई दूसरी जगहों से भी शिकायतें आने लगीं. कानपुर में वार्ड नंबर 58 में बाल निकेतन पोलिंग बूथ के बाहर खड़े गोलू चौरसिया ने भी ऐसा ही दावा किया.
चौरसिया ने मीडिया को बताया, सुबह कुछ लोगों ने ये शिकायत की तो विभिन्न दलों के उम्मीदवार समेत कई लोग मतदान स्थल पर पहुंच गए. मतदान अधिकारी ने जब ख़ुद चेक किया, तो उन्होंने पहले हाथी निशान के सामने वाला बटन दबाया, लेकिन हाथी के साथ कमल के सामने वाली लाइट भी जलने लगी. फिर उन्होंने एक अन्य निशान को दबाया तो फिर ऐसा ही हुआ. लेकिन जब कमल को दबाया तो सिर्फ़ कमल के सामने वाली लाइट जली.
जो बात गोलू चौरसिया बता रहे हैं लगभग यही शिकायत तमाम लोगों की थी.
यही नहीं, सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति का ईवीएम मशीन में मतदान करते समय का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, बावजूद इसके प्रशासन और निर्वाचन आयोग इस शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रहा है.
कानपुर के ज़िलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने भी ईवीएम में तकनीकी ख़राबी की बात बुधवार को स्वीकार की थी, लेकिन उनका कहना था कि जो मशीनें ख़राब थीं उन्हें तत्काल बदल दिया गया.
सुरेंद्र सिंह का कहना था कि कुछ मशीनों में मतदान से एक दिन पहले भी ख़राबी थी जिन्हें बदल दिया गया था. लेकिन 'मशीनें सिर्फ़ कमल के फूल पर ही वोट बरसा रही हैं', इस शिकायत से वो सहमत नहीं थे.
कानपुर में इस मामले में कुछ लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज कराई गई है.
कानपुर के एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट कमलेश वाजपेयी ने बीबीसी को बताया, कुछ अज्ञात अराजक तत्वों के ख़िलाफ़ अफ़वाह फैलाने के आरोप में केस दर्ज कराया गया है. पुलिस जांच के बाद ऐसे लोगों की तलाश करेगी. उसके बाद उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने इस मामले में भले ही कानपुर और मेरठ के ज़िलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है, लेकिन निर्वाचन आयोग के ही एक वरिष्ठ अधिकारी जेपी सिंह का कहना था कि इन शिकायतों में कोई दम नहीं है, ये सब सिर्फ़ अफ़वाह है.
वहीं राजनीतिक दलों ने ईवीएम में इस तरह की ख़राबी को गंभीर मानते हुए चुनाव आयोग से शिकायत करने की बात कही है. कांग्रेस प्रवक्ता वीरेंद्र मदान कहते हैं कि सरकार ये चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का हर तरह से दुरुपयोग कर रही है.
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी ईवीएम में ख़राबी को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ये आरोप विपक्षी दल हताशा में लगा रहे हैं.
ईवीएम में ख़राबी के अलावा मतदाता सूची में भी तमाम तरह की गड़बड़ियां मिलीं और मतदान के लिए लोग इधर-उधर भटकते रहे. उन्नाव में तो बीजेपी सांसद साक्षी महराज और कांग्रेस की पूर्व सांसद अनु टंडन भी मतदाता सूची में अपना नाम ढूंढ़ते रहे और अंत में दोनों को बिना मतदान किए ही लौटना पड़ा.
उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव कुल तीन चरणों में होने हैं और एक दिसंबर को इसके परिणाम आएंगे, यहां ये सवाल पैदा होता है जब एक ही पार्टी के लिए चुनाव आयोग को काम करना है तब चुनाव मैं समय ओर पैसा बर्बाद करने की क्या ज़रूरत है...

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