Sunday, 26 November 2017
अलाऊद्दीन खिलज़ी कौन था एक नज़र ?
Saturday, 25 November 2017
दहेज दिखावा ओर खाने की बर्बादी को रोके सैफ़ी समाज ?
Friday, 24 November 2017
बिन ब्याही मां की आप बीती पूरा सच ?
सरकार भटकी हुई है ट्रेन भटक गई तो क्या ?
बरनी क्या हैं ?
क्यूं चुनाव कराये जा रहे हैं जब एक पार्टी के लिए ही काम करना है ?
जब केंद्रीयमंत्री पर भड़की छात्रा ?
सच मैं भारत बदल रहा है चार साल के बच्चे ने किया बलात्कार ?
साहब ये कैसा भारत जहां आज भी डायन हैं ?
सीबीआई जज की मौत की जाँच हो- जस्टिस शाह
दिल्ली में महिलाओं के उत्पीड़न का आज ज़िम्मेदार कौन ?
Wednesday, 22 November 2017
शक के सबसे बड़े घेरे में शाह ?
एस एम फ़रीद भारतीय
सोहराबुद्दीन केस के जज की संदिग्ध मौत पर उठे सवाल
बेख़ौफ़ पत्रकारिता को नए मायने देकर अंग्रेजी पत्रिका कारवां ने उधेड़ी जज बृजगोपाल की सनसीखेज मौत पर जमीं रहस्य की परतें, जज बृजगोपाल कर रहे थे सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई.
नई दिल्ली- 26 मई 2014 को दिल्ली में मोदी सरकार स्थापित हो चुकी थी और चार महीने बाद महाराष्ट्र में भी बीजेपी के हाथ सत्ता आ चुकी थी। पूरे देश में भगवा परचम लहरा रहा था लेकिन मुंबई की सीबीआई अदालत में सोहराबुद्दीन हत्याकांड के मामले में अब भी बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह के सर पर इन्साफ की तलवार लटक रही थी। इसी बीच महीने भर के अंदर यानी 30 नवंबर 2014 को सोहराबुद्दीन हत्याकांड की सुनवाई कर रहे जज बृजगोपाल हरिकृष्ण लोया की संदिग्ध हालात में मौत हो गयी।
जज मौत: सांसदों के धरने के बाद भी शाह के खिलाफ खबर की हिम्मत नहीं जुटा पाए दिग्गज पत्रकार
जज लोया की मौत को सरकार से लेकर मीडिया ने दबा दिया। अगले 30 दिन बाद यानी 30 दिसंबर 2014 को जज लोया की जगह दूसरे जज एमबी गोसावी ने अमित शाह को सोहराबुद्दीन हत्याकांड के इस चर्चित कांड से बरी कर दिया।
जज लोया के परिवार ने अब इस समूचे घटनाक्रम पर गंभीर सवाल उठाए हैं। परिवार का कहना है कि जज की मौत के पीछे गहरी साज़िश है। उनके कपड़ों पर खून के छींटे थे, लेकिन गुनाहों के ये दाग हमेशा के लिए मिटा दिए गए और पूरे परिवार को अंधेरे में रखा गया।
48 वर्षीय जज बृजगोपाल की संदिग्ध मौत के तीन साल बाद उनके परिवार ने डरते-डरते जुबान खोली है। जस्टिस लोया सीबीआई अदालत में सोहराबुद्दीन शेख, पत्नी कौसर के फर्जी मुठभेड़ में हत्या के ट्रायल की सुनवाई कर रहे थे। इस हत्याकांड के केंद्र में गुजरात के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह थे।
परिवार का कहना है-संदेहास्पद परिस्थितियों में जस्टिस लोया का शव नागपुर के सरकारी गेस्टहाउस में मिला था। इस मामले को तत्कालीन भाजपा सरकार ने हार्टफेलियर का रूप दिया। लेकिन कई अनसुलझे सवाल इस मौत पर आज भी जवाब मांग रहे हैं। जस्टिस लोया सुनवाई के जिस निर्णायक मोड़ पर थे, निर्णय देने वाले थे, उसकी हम हकीकत में बाद में बताएंगे। पहले जानते हैं कि उनके परिवार ने इस संदिग्ध मौत पर कौन-कौन से सवाल उठाए हैं।
परिवार के सात सवाल
1-जस्टिस लोया की मौत कब हुई, इस पर अफसर से लेकर डॉक्टर अब तक खामोश क्यों हैं। तमाम छानबीन के बाद भी अब तक मौत की टाइमिंग का खुलासा क्यों नहीं हुआ
2-48 वर्षीय जस्टिस लोया की हार्ट अटैक से जुड़ी कोई भी मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी, फिर मौत का हार्टअटैक से कनेक्शन कैसे
3- उन्हें वीआइपी गेस्ट हाउस से सुबह के वक्त आटोरिक्शा से अस्पताल क्यों ले जाया गया
4-हार्टअटैक होने पर परिवार को तत्काल क्यों नहीं सूचना दी गई। हार्टअटैक से नेचुरल डेथ के इस मामले में अगर पोस्टमार्टम जरूरी था तो फिर परिवार से क्यों नहीं पूछा गया
5-पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के हर पेज पर एक रहस्मय दस्तख्वत हैं, ये दस्तख्वत जस्टिस लोया के कथित ममेरे भाई का बताया गया है। परिवार का कहना है-संंबंधित हस्ताक्षर वाला जस्टिस का कोई ममेरा भाई नहीं है
6-अगर इस रहस्यमय मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी तो फिर मोबाइल के सारे डेटा मिटाकर उनके परिवार को 'डिलीटेड डेटा' वाला फोन क्यों दिया गया
7-अगर मौत हार्टअटैक से हुई फिर कपड़ों पर खून के छींटे कैसे लगे।
संघ कार्यकर्ता की भूमिका पर सवाल
जज का परिवार इस पूरे मामले में एक संघ कार्यकर्ता की भूमिका को संदेहास्पद मानता है। इसी संघ कार्यकर्ता ने सबसे पहले परिवार को हादसे की जानकारी दी। इसी कार्यकर्ता ने बाद में डिलीट किए डेटा वाला जज का मोबाइल भी परिवार को सौंपा।
ये सवाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ाने के लिए भले काफी हों, मगर इससे बड़ा सवाल पूरी व्यवस्था की नींद उड़ाने वाला है। सवाल यह है-मौत के 30 दिन बाद नए जज ने अमित शाह को इस सनसनीखेज मामले से बरी कैसे कर दिया। यही नहीं जांच एजेंसी सीबीआई ने अमित शाह के केस में डिस्चार्ज होने के बाद चुप्पी क्यों साध ली। केस की अपील उच्च न्यायालय में क्यों नहीं की।
जस्टिस लोया की मौत का घटनाक्रम
अंग्रेजी पत्रिका कारवां से बात करते हुए जस्टिस लोया की बहन अनुराधा, भांजी नुपूर और पिता हरकिशन का कहना है- यकीन नहीं होता कि जज बृजगोपाल की हृदयगति रुक जाने से मौत हुई। परिवार का कहना है-30 नवंबर 2014 को जस्टिस लोया साथी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में शरीक होने नागपुर आए थे। उनके रहने का इंतजाम वीआइपी गेस्ट हाउस में हुआ था। अगले दिन परिवार को बताया गया जस्टिस लोया की हार्टअटैक से मौत हो गई।
है कोई जवाब ?
Sunday, 12 November 2017
पत्रकारिता क्या है ?
क्या है हमारे भारत का संविधान ओर विशेषताऐं ?
राष्ट्रीय पक्षी दिवस पर डॉ सालिम अली की याद
Thursday, 9 November 2017
पपीते के पत्तों की चाय कैंसर का रामबाण ?
पपीते के पत्तों की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म
पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।
अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।
ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी, जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।
कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।
विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।
University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधों से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।
Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता हैं, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती हैं, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती हैं जिनमें मुख्य हैं:-
breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला हैं, अगर पपीता की पत्तियाँ कैंसर को खत्म नहीं कर सकती हैं तो कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती हैं।।
तो आइये जाने पपीता की पत्तियाँ कैंसर को कैसे खत्म करती हैं ?
1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।
2. पपीता की पत्तियों में papain नामक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका का शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सिर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।
सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।
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कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जान लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।
1. 5 से 7 पपीता के पत्तों को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा लें फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर कर दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। मगर ध्यान रहे कि इसको दोबारा गर्म मत करें।
2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अब इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।
पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।
कब तक करें ये प्रयोग ? वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी.
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